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Tuesday, 11 February 2014

आईएएस बनने के अब 2 और मौके, उम्र में भी छूट

** अब सामान्य छात्र छह और ओबीसी छात्र नौ बार दे सकेंगे परीक्षा 
** सरकार ने जारी किया आदेश, अमल इसी साल से 
** 4  लाख लोग देते हैं हर साल यूपीएससी की परीक्षा। 
** 1.5 से 2 लाख को फायदा होने का अनुमान है। 
** 24 अगस्त को नए नियम के तहत ही होगी परीक्षा 
नई दिल्ली : आईएएस, आईपीएस, आईएफएस बनने के लिए संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए अच्छी खबर है। केंद्र सरकार ने उन्हें परीक्षा में बैठने के दो और मौके देने का फैसला किया है। यानी अब सामान्य वर्ग के छात्र 4 के बदले 6, पिछड़ा वर्ग के छात्र 7 के बदले 9 मौके हासिल कर सकेंगे। फैसला इसी साल से अमल में आ जाएगा। इसके साथ ही उम्र सीमा में भी छूट मिलेगी। कार्मिक मंत्रालय ने सोमवार को इसकी जानकारी दी। तय कार्यक्रम के मुताबिक 24 अगस्त को यूपीएससी की प्रारंभिक (प्रिलिमस) परीक्षा होनी है। परीक्षा के लिए फॉर्म भरने की तारीख अभी घोषित नहीं हुई है। यानी जब यह तारीख घोषित होगी तो नई व्यवस्था के साथ। उम्र को लेकर पूरा नोटिफिकेशन बाद में कार्मिक मंत्रालय ने अभी सिर्फ चार लाइन का आदेश जारी किया है। मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक जल्द ही फैसले का विस्तृत नोटिफिकेशन जारी गिया जाएगा। जैसे अभी सैन्य क्षेत्र के परीक्षार्थी 33 साल की उम्र तक परीक्षा देने के हकदार हैं। नेत्रहीन, गूंगे और गंभीर विकलांग छात्रों के लिए अधिकतम उम्रसीमा 40 तय है। इन लोगों को कितनी मोहलत मिलेगी इसका जिक्र मौजूदा आदेश में नहीं है।  
सामान्य छात्र : 4 बार परीक्षा दे सकते थे। अब 6 मौके मिलेंगे। उम्र सीमा 21 से 30 साल है। यानी इस साल जिनकी उम्र 30 साल हो चुकी है और चार मौकों का उपयोग कर चुके हैं वे भी फॉर्म भर सकेंगे। उन्हें छह चांस लेने के लिए 32 साल तक की छूट मिलेगी। 
पिछड़ा वर्ग : 7 बार परीक्षा दे सकते थे। अब 9 मौके मिलेंगे। उम्र सीमा 21 से 33 साल है। यानी इस साल जिनकी उम्र 33 साल हो चुकी है और 7 मौकों का उपयोग कर चुके हैं वे भी फॉर्म भर सकेंगे। उन्हें 9 चांस लेने के लिए 35 साल तक की छूट मिलेगी। 
पक्ष में दलीलें 
  • पिछले साल यूपीएससी के परीक्षा पैटर्न में बदलाव के शिकार हुए छात्र/छात्राओं को फायदा होगा। 
  • सुदूर ग्रामीण इलाकों के अ?यर्थी देर से तैयारी शुरू कर पाते हैं। अधिक अवसर उन्हें लाभ देगा। 
  • नए अभ्यर्थियों को नुकसान नहीं। क्योंकि सीटों की संख्या बढ़ी है। 
  • १९७९ में जब पैटर्न बदला था तब भी सभी को तीन और मौके मिले थे। 

विरोध में तर्क 
  • चुनावी माहौल देख युवाओं को लुभाने के लिए फैसला लिया गया। 
  • परीक्षा में जैसा टैलेंट खोजा जाता है उसके लिए इतने अवसर सही नहीं। मेहनत की बर्बादी होगी। 
  • अवसर बढ़ाने से चयनित लोगों के स्तर में गिरावट आएगी। 
  • इससे बेहतर होता कि जीके-इंगलिश के साथ मैनेजमेंट जैसे कोर्स की भी अनिवार्यता की जाती। 

(जैसा यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कराने वाले शिक्षकों ने बताया)                                                    db


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