चंडीगढ़ : प्रदेश में गरीब बच्चों को नियम 134ए के तहत निजी स्कूलों में दस फीसदी सीटों पर दाखिला दिलाने के लिए चल रही प्रक्रिया के खिलाफ फेडरेशन आफ प्राइवेट स्कूल वेलफेयर एसोसिएशन ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायलय का दरवाजा खटखटाया है। एसोसिएशन ने शक्रवार को अपनी याचिका में हरियाणा शिक्षा विभाग द्वारा 134ए के तहत आयोजित की जा रही उस परीक्षा पर रोक लगाने की मांग की, जिसमें पहली परीक्षा में फेल हुए विद्यार्थियों को मौका दिया जा रहा है। हाईकोर्ट ने इस याचिका पर हरियाणा सरकार को 13 जुलाई के लिए नोटिस जारी किया है।
एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका की पैरवी करते हुए एडवोकेट पंकज मैनी ने कहा कि जो बच्चे पहली परीक्षा में फेल हो गए और मेरिटोरियस की सूची में स्थान नहीं बना सके, उन्हें नियम 134ए के तहत दाखिला दिलाने के लिए सरकार बार-बार परीक्षा का आयोजन कर रही है। इस बीच, एसोसिएशन की ओर से नियम 134ए पर प्रदेश में सही तरीके से अमल नहीं किए जाने के खिलाफ एक याचिका दायर कर इस नियम के क्रियान्वयन पर रोक लगाने की मांग की है। इस याचिका पर अगली सुनवाई 2 अगस्त को होगी। इस याचिका में कहा गया है कि प्रदेश सरकार प्रदेश में नियम 134ए को पूरे दिशानिर्देशों के साथ लागू करने में असफल रही है। यहां तक कि प्रदेश सरकार हाईकोर्ट द्वारा इस मामले में 1 अप्रैल, 2015 को जारी आदेश को भी सही तरीके से लागू नहीं कर पाई है।
इस आदेश में हाईकोर्ट ने प्राइवेट गैर अनुदान प्राप्त निजी स्कूलों के साथ-साथ प्रदेश सरकार के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे। एडवोकेट पंकज मैनी ने अदालत में याची का पक्ष रखते हुए कहा कि नियम 134ए के तहत दूसरी से बारहवीं कक्षा तक गरीब बच्चों को दाखिला दिलाने के लिए ऐसे समय में कोशिश की जा रही है जब प्राइवेट गैर अनुदान प्राप्त स्कूल 15 से 20 फीसदी सेलेबस पढ़ा चुके हैं।
इस हालत में नए दाखिल होने वाले बच्चे पढ़ाई में पीछे छूट सकते हैं। याचिका में यह आरोप भी लगाया गया है कि सरकार गरीब बच्चों को गैर अनुदान प्राप्त प्राइवेट स्कूलों में दाखिला दिलाने के लिए उनका टेस्ट ले रही है, जिनमें 55 फीसदी अंक पाने वाले बच्चों को ही दाखिला दिलाया जाएगा। dj
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