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Sunday, 10 July 2016

संस्कृत अध्यापक संघ ने की शिक्षा नियमावली 2012 में संशोधन की मांग

** पूर्व सरकार की शिक्षा नियमावली पर रोष 
रेवाड़ी : हरियाणा राजकीय संस्कृत अध्यापक संघ 134 की ओर से शनिवार को नेहरु पार्क में बैठक आयोजित की गई। जिला प्रधान विक्रम शास्त्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में खंड के पदाधिकारियों एवं संस्कृत-शिक्षकों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। इसमें पूर्व सरकार द्वारा बनाई गई शिक्षा नियमावली 2012 पर सदस्यों ने जमकर रोष प्रकट किया। 
 जिला प्रधान ने कहा कि यह नियमावली संस्कृत एवं भारतीय संस्कृति को नष्ट करने के लिए बनाई गई थी। आश्चर्य बात यह है कि इस नियमावली के अनुसार जिन संस्कृत अध्यापकों ने 20 से 25 वर्ष तक का सेवाकाल पूर्ण कर लिया है, उनकी योग्यता काे चुनौती दी गई हैं। उनको प्रशिक्षित स्नातक नहीं माना जा रहा। परंपरागत योग्यता को दरकिनार किया जा रहा है। शिक्षा शास्त्री(बीएड) राष्ट्रीय स्तर के संस्थान द्वारा दी गई योग्यता है। जिसको प्रशिक्षण की श्रेणी में नहीं माना जा रहा। ओटी राज्य स्तर के संस्थान द्वारा दी गई योग्यता है। उन्होंने बताया कि संस्कृत भाषा इस देश की आत्मा है। इसके साथ सौतेला व्यवहार किया जाए। राज्य सरकार तुरंत इस मामले में हस्तक्षेप कर इस नियमावली को रद्द करें। संस्कृत एवं संस्कृति की रक्षा करें अन्यथा संस्कृत-अध्यापक संघ संस्कृत की रक्षा के लिए आगे आएगा। 
पदोन्नति में रखी जाए समकक्ष योग्यता 
संस्कृतअध्यापक संघ ने सरकार से मांग की है कि शिक्षा नियमावली 2012 में संशोधन किया जाए। पदोन्नति में समकक्ष योग्यता को भी स्थान दिया जाए। परंपरागत योग्यताधारी संस्कृत-अध्यापकों की पदोन्नति जारी रखी जाए।                                                        db 

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