** मनेठी निवासी रिटायर्ड शिक्षक ने सरकार को पत्र भेजकर मांगा अधिकार
रेवाड़ी : मनेठी निवासी एक रिटायर्ड हिंदी अध्यापक ने सरकार को पत्र भेज पदोन्नति में अपने साथ हुए भेदभाव की शिकायत की है। मांग पत्र में उन्होंने रिवाइज्ड पे-फिक्स कर ब्याज सहित बकाया भुगतान की मांग की है।
गांव मनेठी निवासी दयानंद ने अपनी शिकायत में कहा कि उसने 23 अगस्त 1971 को राजकीय माध्यमिक पाठशाला लाला में नियमित अाधार पर शिक्षा विभाग में नौकरी ज्वाइन की थी।
सर्विस के दौरान उसने हिंदी से प्रभाकर साहित्य रत्न की परीक्षा भी पास की। जो कि उसके सर्विस बुक में भी दर्ज है। वर्ष 1974 से दयानंद ने जेबीटी से हिंदी अध्यापक पद पर पदोन्नति के लिए पाठशाला के माध्यम से केस भेजा। विभाग के आदेशानुसार 25 प्रतिशत पदों पर रिक्त हिंदी पद और उसके बाद होने वाले नियुक्त हिंदी अध्यापकों के पदों को 25 प्रतिशत हिंदी पदोन्नति से भरा जाना था।
2004 में दी गई पदोन्नति नहीं बन सके लेक्चरर
दूसरा राजकीय माध्यमिक विद्यालय तुर्कियावास में 1979 तथा राजकीय हाई स्कूल बूढ़पुर में 1983 में एक अध्यापक एक अध्यापिका की ज्वाइनिंग ऐसे केस हैं जो कि उनसे बाद में शिक्षा विभाग में नौकरी में लगे, जबकि उन्हें पहले पदोन्नति दे दी गई। जबकि उन्हें काफी समय बाद वर्ष 2004 में पदोन्नति मिली। इस देरी के कारण वे लेक्चरर पद पर पदोन्नत नहीं हो सके। इसके बाद अप्रैल 2010 में वे कुंड के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय से बतौर हिंदी अध्यापक सेवानिवृत हाे गए। दयानंद ने मांग की कि उन्हें 1982 में पदोन्नति का लाभ दिया जाए तथा उसी आधार पर रिवाइज्ड पे-फिक्स कर बकाया का ब्याज सहित भुगतान किया जाए। दयानंद ने कहा कि यदि उन्हें यह लाभ नहीं दिया गया तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। db db
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