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Friday, 8 September 2017

एडिड स्कूलों के स्टाफ का घटाया जाएगा वेतन

** निदेशालय ने दो एसीपी वापस लेकर वेतन पुनर्निधारित करने का दिया फरमान
** 204 स्कूलों के 2000 शिक्षक व गैर शिक्षक कर्मियों के साथ पेंशनर्स भी होंगे प्रभावित 
** 75 फीसद सरकार और 25 फीसद प्रबंधन कमेटियां देती हैं वेतन
चंडीगढ़ : प्रदेश सरकार द्वारा टेकओवर किए जा रहे सरकारी अनुदान प्राप्त स्कूलों के शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक स्टाफ को शिक्षा विभाग ने झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार बनाते हुए इन शिक्षकों की दो एसीपी (एश्योर्ड कॅरियर प्रोमोशन) रोकने का आदेश जारी करते हुए वेतन को फिर से निर्धारित करने का निर्देश दिया गया है। इसके अलावा सेवानिवृत्त हो चुके स्टाफ की पेंशन भी पुनर्निधारित की जाएगी। इस फैसले से अनुदान प्राप्त स्कूलों के करीब 2000 शिक्षक व गैर शिक्षक कर्मचारी प्रभावित होंगे। बता दें कि इन कर्मचारियों को फीसद वेतन सरकार और 25 फीसद प्रबंधन कमेटियां देती हैं।
माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों व जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों के साथ ही सभी अनुदान प्राप्त स्कूलों के प्रबंधन को लिखित आदेश में कहा है कि इस पर तुरंत एक्शन लिया जाए। फरवरी 2011 में हाई कोर्ट के निर्देश पर सहायता प्राप्त स्कूलों के स्टाफ को पहली जनवरी 1996 और पहली जनवरी 2006 के आधार पर एसीपी का लाभ दिया गया था। सरकार द्वारा एसएलपी (स्पेशल लीव पिटीशन) की भी समीक्षा की गई। पिछले साल ही सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को रद करते हुए फैसला शिक्षा विभाग के पक्ष में सुना दिया था। अब वित्त विभाग की सलाह पर शिक्षा विभाग ने शिक्षकों व गैर शिक्षक कर्मचारियों का वेतन पुनर्निधारित करने का निर्देश दे दिया है। सेवानिवृत्त स्टाफ की पेंशन को भी रिफिक्स किया जाएगा।
"शिक्षा विभाग का आदेश गलत है। 98 फीसद मैनेजमेंट कमेटियां अपने स्टाफ को एसीपी का लाभ दे चुकीं। केवल चार-पांच स्कूलों की प्रबंधन समितियां एसीपी का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट गईं थी जिसके बाद मामले को फिर से हाई कोर्ट के पास भेज दिया गया। विगत 17 अगस्त को हाई कोर्ट ने इस आदेश पर स्टे लगा दिया था और 9 अक्टूबर को केस की सुनवाई है। एक तरफ एडिड स्कूलों को टेकओवर करने की प्रक्रिया चल रही है तो दूसरी तरफ यह तुगलकी फरमान जारी किया जा रहा है। संघ का प्रतिनिधिमंडल जल्द ही शिक्षा निदेशक से मुलाकात कर फैसले को वापस लेने की मांग करेगा।"-- राजेंद्र शर्मा, प्रधान, राज्य अध्यापक संघ (सरकारी सहायता प्राप्त निजी विद्यालय)।

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