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Friday, 24 November 2017

चिंतनीय : लर्निंग लेवल सुधारने के चक्कर में बाधित हो रही पढ़ाई

** स्किल सुधारने के लिए चलाए जा रहे लर्निंग लेवल आउटकम का प्रभाव पड़ रहा उल्टा
** अध्यापकों के विभागीय मीटिंग में व्यस्त होने के चलते विद्यार्थियों की शिक्षा पर पड़ रहा विपरीत असर

** शिक्षा अधिकारी ने कहा भविष्य में बच्चों को होगा फायदा
सोनीपत : प्रदेश शिक्षा विभाग की ओर से सरकारी स्कूलों में बच्चों की स्किल सुधारने के नाम पर चलाए गए लर्निग लेवल आउटकम प्रोग्राम का प्रभाव उल्टा ही पड़ता दिखाई दे रहा है। ऐसे लर्निंग लेवल प्रोग्राम से बच्चों को कोई फायदा पहुंचेगा या नहीं, यह तो कुछ समय बाद ही पता चल सकेगा, मगर फिलहाल इन कार्यक्रमों में व्यस्त अध्यापकों की वजह से स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई पर नकारात्मक असर जरूर पड़ रहा है। 
शिक्षा विभाग की ओर से प्राइमरी स्कूलों के बच्चों को उनकी कक्षा से संबंधित विषयों में दक्ष बनाने के लिए अक्टूबर महीने से ही लर्निंग लेवल आउटकम (एलएलओ) प्रोग्राम के तहत अध्यापकों की बैठकों का दौर जारी है। जिले के सभी सात ब्लाकों में चल गए इस प्रोग्राम में शिक्षा अधिकारियों के साथ प्राइमरी टीचरों को बैठक में हिस्सा लेना होता है। इन बैठकों में जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी समेत खंड मौलिक शिक्षा अधिकारी शिक्षकों को जरूरी हिदायत देते हुए स्कूलों में बच्चों का कौशल सुधारने की ट्रेनिंग देते हैं। 
इसके अलावा गणित के अध्यापकों को भी जरूरी दिशानिर्देश देने के लिए जिले भर में मीटिंग की जा रही हैं।इसी तरह की ट्रेनिंग में जाने की वजह से पहले ही अध्यापकों की कमी की मार ङोल रहे स्कूलों में बच्चों की शिक्षा पर बुरा असर पड़ रहा है।
प्रोग्राम के लिए नहीं चुना सही समय:
जिला शिक्षा अधिकारी की ओर से वैसे तो बच्चों के फाइनल पेपर करीब आने का हवाला देते हुए सरकारी शिक्षकों के आक्समिक अवकाश पर रोक लगा दी है वहीं दूसरी ओर इसी समय में विभाग की ओर से कराई जा रही बैठकों में शामिल शिक्षकों की वजह से बाधित हो रही पढ़ाई विभाग को नहीं दिख रही है। इस तरह के प्रोग्राम जिसमें शिक्षक भी शामिल हों, वह विभाग को छुट्टियों के दिनों में करने चाहिए। अगर यह संभव न हो तो शैक्षणिक सत्र की शुरूआत में ही ऐसे कार्यक्रमों को कराया जा सकता है। शिक्षकों की दी जा रही यही ट्रेनिंग अगर सत्र की शुरूआत में ही दी गई होती तो शिक्षकों को भी उनकी शैक्षणिक योग्यता में सुधार करने का पूरा वक्त होता। इसके अलावा इस समय में पढ़ाई का भी उतना जोर नहीं रहता जिससे बच्चों की शिक्षा पर विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता। अब सत्र के अंत में ऐसे लर्निंग लेवल प्रोग्राम कराए जा रहे हैं जब मार्च में बच्चों को फाइनल परीक्षा की तैयारी में लगना है।
"बच्चों के शैक्षणिक योग्यता में सुधार लाने के लिए महीने भर से चल रहे लर्निंग लेवल आउटकम प्रोग्राम के तहत सोनीपत और खरखौदा ब्लॉक में तीसरी से पांचवीं तक के अध्यापकों की मीटिंग खत्म हो चुकी है जबकि अन्य ब्लॉक की मीटिंग चल रही है। अब 25 से 30 नवंबर के बीच पहली और दूसरी कक्षा के अध्यापकों की मीटिंग होनी है। फाइनल एग्जाम पास आने के समय मीटिंग होने से कुछ दिक्कतें होनी स्वाभाविक हैं मगर उम्मीद है कि इससे भविष्य में बच्चों को फायदा पहुंचेगा।"-- नवीन गुलिया, खंड मौलिक शिक्षा अधिकारी

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