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Tuesday 2 March 2021

हरियाणा के कई विभागों में कर्मचारियों को छह माह से वेतन नहीं, सर्व कर्मचारी संघ ने लिखा सीएम को पत्र

** हरियाणा के एक दर्जन विभागों में हजारों कर्मचारियों को दो से छह माह का वेतन नहीं मिला है। इसको लेकर कर्मचारियों ने नाराजगी जताई। इसको लेकर सर्व कर्मचारी संघ ने सीएम को पत्र लिखा है। वहीं सीएम का कहना है कि कोई वेतन नहीं रोका गया है।

चंडीगढ़: हरियाणा सरकार के करीब एक दर्जन विभागों के हजारों कर्मचारियों ने दो से छह माह का वेतन नहीं मिलने का दावा किया है। कर्मचारियों के सबसे बड़े संगठन सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पत्र लिखकर कर्मचारियों का बकाया वेतन जारी कराने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि वेतन नहीं मिलने की वजह से सरकारी कर्मचारियों और उनके परिजनों को जीवन चलाने में खासी दिक्कतें आ रही हैं। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के अध्यक्ष सुभाष लांबा व महासचिव सतीश सेठी ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में बताया कि टूरिज्म निगम, महिला एवं बाल विकास विभाग, जन स्वास्थ्य और मेवात के माडल स्कूलों समेत कई विभाग ऐसे हैं, जहां कर्मचारियों को दो से छह माह का वेतन नहीं मिला है।
टूरिज्म निगम के पर्यटन स्थलों पर कोरोना योद्धा कहे जाने वाला मेडिकल व पैरामेडिकल स्टाफ रुका हुआ है। इनके खाने-पीने, रहने इत्यादि के करीब 35 करोड़ के बिलों का भुगतान सरकार ने नहीं किया है। बकाया वेतन न मिलने का एक बड़ा कारण यह भी है। निगम के मुख्यालय में बैठे अधिकारियों व कर्मचारियों ने अपना वेतन अपडेट कर लिया है, जबकि फील्ड के केंद्रों से ही राजस्व हेड आफिस में जाता है।
सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के अध्यक्ष सुभाष लांबा ने बताया कि जन स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत करीब पांच हजार पंचायती पंप आपरेटरों को अप्रैल 2020 यानी 10 महीने से बढ़ा हुआ 10447 रुपए वेतन ही नहीं मिला है। महिला एवं बाल विकास विभाग में आइसीडीएस सुपरवाइजरों सहित अन्य कर्मचारियों एवं अधिकारियों को चार महीने से वेतन नहीं मिला है। मेवात माडल स्कूलों के स्टाफ सहित दर्जनों विभागों के कर्मचारियों को करीब चार महीने से वेतन नहीं मिला है।
समय पर वेतनमान न मिलने के कारण कर्मचारी अपने बच्चों की फीस नहीं भर पा रहे हैं और स्कूल संचालक यह मानने को बिल्कुल तैयार नहीं है कि सरकारी कर्मचारी को तीन से छह महीने तक वेतन नहीं मिला होगा। इन कर्मचारियों को दुकानदारों ने राशन तक देने से मना कर दिया है। कर्मचारियों द्वारा विभिन्न बैंकों से लिए गए लोन की किस्त भी नहीं भरी जा रही है। दूधियों ने भी दूध देने से मना कर दिया है।

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