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Saturday 2 June 2018

हुड्डा सरकार में पक्के हो चुके पांच हजार कर्मचारियों की भी नहीं बच पाएगी नौकरी

** सरकार ने विभागाध्यक्षों से मांगा ब्योरा, श्रेणी बी, सी और डी के कर्मियों को राहत संभव नहीं
चंडीगढ़ : प्रदेश की पिछली हुड्डा सरकार के कार्यकाल में बनी अलग-अलग नियमितीकरण नीति के तहत पक्के हुए करीब पांच हजार कर्मचारियों को चलता करने की तैयारी है। हाई कोर्ट द्वारा नियमितीकरण नीति पर रोक लगा दिए जाने के बाद नियमित होने के इंतजार में बैठे करीब 50 हजार कच्चे कर्मचारियों की उम्मीदों पर भी पानी फिर गया है। दूसरी तरफ उन पांच हजार कर्मचारियों की रोजी-रोटी पर ही संकट आ गया है, जो पक्के हो चुके हैं। 
प्रदेश सरकार ने पिछली हुड्डा सरकार में बनी नियमितीकरण नीति के तहत पक्के हुए सभी कर्मचारियों का पूरा रिकार्ड तलब कर लिया है। श्रेणी बी, सी और डी के इन कर्मचारियों की संख्या हालांकि पांच हजार के आसपास है, लेकिन फिर भी सरकार ने हर विभाग से श्रेणीवार कर्मचारियों की पूरी डिटेल मुख्यालय मंगवाई है। मुख्य सचिव डीएस ढेसी के कार्यालय की ओर से सभी विभागाध्यक्षों, मंडलायुक्तों, जिला उपायुक्तों, विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रार तथा बोर्ड एवं निगमों के प्रशासक व प्रबंध निदेशकों को पत्र भेजकर एक दिन के भीतर पूरी डिटेल मुख्यालय भेजने के आदेश दिए गए हैं। पिछली हुड्डा सरकार के कार्यकाल में चार नियमितीकरण नीतियां बनी थी, जिनके तहत श्रेणी बी, सी और डी के इन कर्मचारियों को पक्का किया गया था। सभी कर्मचारियों का श्रेणीवार डाटा जुटाने के बाद राज्य सरकार इन कर्मचारियों के भविष्य को लेकर कोई नीतिगत निर्णय लेगी। हाईकोर्ट के निर्देश हैं कि अगले छह माह के भीतर नियमित भर्ती की जाए तथा कच्चे कर्मचारियों को नियमित भर्ती में आयु की छूट दी जा सकती है। सरकार इन कर्मचारियों को शायद ही राहत प्रदान करे। इन कर्मचारियों के नियमित होने के बाद अब सरकारी विभागों के पास पद रिक्त होना संभव नहीं है। लिहाजा पांच हजार कर्मचारी और उनसे जुड़े परिवार अब अपने भविष्य को लेकर चिंतित हो गए हैं।
"पिछली सरकार ने तमाम नीतियां बनाई गई, जिनमें खामियां ही खामियां रहीं। हमने कोर्ट में मजबूत पैरवी की और हरसंभव प्रयास किए। हमने चूंकि नीति नहीं बनाई थी, पुरानी नीतियों में खामियां थी, इसलिए मजबूत पैरवी भी काम नहीं आ सकी। हाईकोर्ट के फैसले का अध्ययन किया जा रहा है। शीर्घ ही निर्णय लिया जाएगा कि अब क्या कुछ किया जाए।"-- मनोहर लाल, मुख्यमंत्री
"सभी कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने के लिए तुरंत प्रभाव से अध्यादेश लाया जाए। रेगुलाइजेशन नीति को रद करने से आठ हजार गरीब परिवार सड़क पर आने को मजबूर हो गए हैं। कांग्रेस सरकार की नीति कानूनन सही थी, लेकिन वर्तमान सरकार ने अदालत में जानबूझ कर कमजोर तथ्य रखे।"-- रणदीप सिंह सुरजेवाला, मीडिया प्रभारी, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी
"हमारी सरकार ने कच्चे कर्मचारियों को नियमित करने की नीति बनाई थी। इन नीतियों के तहत हजारों कर्मचारी पक्के हुए और अपना घर चला रहे हैं। यदि मजबूत और वाजिब तरीके से बिना बदनीयती के पैरवी की जाती तो इन कच्चे कर्मचारियों को परेशानी नहीं उठानी पड़ती।"-- भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पूर्व मुख्यमंत्री

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