** ऑनलाइन एजूकेशन के नाम पर नर्सरी से लेकर आठवीं तक के बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
नारनौल : ऑनलाइन एजूकेशन के नाम पर नर्सरी से लेकर आठवीं तक के बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। इससे बच्चों स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ने का पूरा खतरा है। आंखों का कमजोर होना तो तय है। यह मानना है पांच जमा दो आंदोलन से जुड़े एडवोकेट कैलाश चंद का।
उन्होंने बताया कि जिस स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिये सरकार ने लॉकडाउन शुरू किया, उसी लॉकडाउन के पीछे मासूम बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। मान लिया जाए कि आठवीं से ऊपर की कक्षाओं के बच्चे ऑनलाइन शिक्षा से शायद कुछ हासिल कर लें, परंतु आठवीं तक के मासूम बच्चे जिनको शिक्षा सिर्फ और सिर्फ खेल-खेल के तहत दी जानी चाहिए और उनको मोबाइल, कंप्यूटर व इंटरनेट से दूर रखने के साथ-साथ, शारीरिक शिक्षा और स्वास्थ्य हेतु मजबूत बनाना चाहिए। सरकार उन्हीं बच्चों को निजी स्कूलों के साथ मिलकर ऑनलाइन शिक्षा के नाम पर इंटरनेट (मोबइल व कम्प्यूटर) के संसार मे धकेल रहे हैं। अभिभावकों को पता ही नहीं उनके बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति सरकार और निजी स्कूल मिलकर उनको बेवकूफ बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि चिकित्सक हमेशा कहते हैं कि छोटे बच्चों को मोबाइल फोन जैसे उपकरणों से दूर रखें। वहीं पर सरकार और निजी स्कूल मिलकर फीस वसूलने के मकसद से बच्चों को फोन की गिरफ्त मे धकेलना चाहते हैं।
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