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Thursday 26 January 2017

नया इतिहास : शिक्षकों की कमी देखी तो खुद संभाली क्लास

फतेहाबाद : गांवों की सियासत अजीब किस्म की होती है। लोग सरपंच बनने के बाद कामकाज छोड़ देते हैं। दूसरों का काम तो दूर, घर के काम में भी सहयोग नहीं करते। बल्कि पूरा दिन सफेदपोश बन राजनीति करते हैं। यदि गांव की चौधर महिला के हाथ लग जाए तो ससुर व पति ही सरपंच खुद को सरपंच कहलाते हैं। व्यवस्था को खोखला बनाने वाली इस परंपरा को तोड़ गांव नागपुर की सरपंच सुनीता रानी नया इतिहास लिख रही है। वह गांव की सरपंच है। मगर सरपंच रहते हुए इस बात का बिल्कुल भी घमंड नहीं। अब गांव की चौधर संभालने के साथ साथ बच्चों को शिक्षा भी बांट रही है। गांव के सरकारी स्कूल में शिक्षकों की कमी है। इसलिए वहां पर मुफ्त शिक्षा बांट रही हैं। 
सुनीता रानी डबल एमए पास है। उन्होंने इंग्लिश व हिस्ट्री विषय में एमएम कर रखी है। गांव में इन दोनों ही विषयों के अध्यापकों की कमी बनी रहती है। कभी कोई शिक्षक आता है तो उसका तबादला हो जाता है। उन्होंने सरकारी स्कूल में पढ़ रहे बच्चों की परेशानी को महसूस किया।
बच्चों को इंग्लिश व इतिहास विषय की पढ़ाई करवा रही
वह पिछले करीब दो महीने से नियमित रूप से स्कूल में जा रही हैं। वह 11वीं व 12वीं के बच्चों को इंग्लिश व इतिहास विषय की पढ़ाई करवा रही हैं। उनकी मेहनत से स्कूल में पढ़ रहे बच्चों को बड़ी राहत मिली है। बच्चों को पहले कोचिंग लेने के लिए रतिया आना पड़ता था। अब यह परेशानी काफी हद खत्म हो चुकी है।
खुद रखती हैं सारे काम का लेखा-जोखा 
ज्यादातर महिला सरपंचों को पता ही नहीं होता कि उनके गांव में क्या समस्याएं हैं। कितना बजट खर्च हुआ तथा कितना और चाहिए। तकरीबन महिला सरपंचों के पति या ससुर ही सरपंची करते हैं। वहीं सारा कामकाज संभालते हैं। वहीं ग्राम पंचायत की मीटिंग लेते हैं और अधिकारियों से बात करते हैं। मगर नागपुर की सरपंच सारा लेखा-जोखा खुद रखती हैं। ग्राम सभा की तमाम बैठकों में खुद भाग लेती हैं। यहां तक कि लोगों को संबोधित भी करती हैं। यदि किसी की कोई समस्या या परेशानी है तो उसका निवारण कराने में खुद आगे आती हैं। 
‘शिक्षा से सुधरेगा गांव’ 
सुनीता रानी का मानना है कि आज सरकारी स्कूलों में स्टाफ की कमी तकरीबन सभी जिलों में है। इसलिए हमें इस समस्या को लेकर नारेबाजी करने या रोष जताने की बजाय उसका निवारण करना चाहिए। यही सोचकर स्कूल में बच्चों को पढ़ाना शुरू किया है। चूंकि परीक्षा करीब है और अंतिम दिनों में भी यदि बच्चों की पढ़ाई ठीक से हो जाती है तो परिणाम अच्छा आ जाएगा।

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