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Friday 11 May 2018

स्कूल में पढ़ाते भी हो या नहीं, कुछ शर्म करो, आगे बहाने नहीं सुनूंगा

** एडीसी ने खराब परीक्षा परिणाम वाले 70 स्कूल मुखियाओं को सुनाई खरी-खरी 
जींद : खराब परीक्षा परिणाम वाले स्कूल मुखियाओं को एडीसी विक्रम सिंह ने खरी-खरी सुनाई। एक-एक स्कूल मुखिया को खड़ा करके उसके रिजल्ट के बारे में बताते हुए कहा कि तुम्हें शर्म आती है या नहीं। स्कूल में बच्चों को पढ़ाते भी या नहीं। किसी भी बच्चे को पिछले महीने का गणित का पढ़ाया हुआ चैप्टर का प्रश्न भी नहीं आता है। ऐसे तो काम नहीं चलेगा, अगर ऐसा ही हाल रहा, तो वे उनके खिलाफ कड़ा एक्शन लेंगे।
बृहस्पतिवार को एडीसी जिले के लोअर परीक्षा परिणाम वाले 70 स्कूलों के मुखियाओं की बैठक ले रहे थे। इस दौरान डीईओ विजय लक्ष्मी, डीईईओ सत्यवती नांदल, सीएम सुशासन सहयोगी शुभी केसरवानी व डिप्टी डीईईओ बीपी राणा भी मौजूद रहे। एडीसी ने स्कूल मुखियाओं को नसीहत दी कि वे भाईचारा बंद करके शिक्षकों को उनके कर्तव्य समझाएं। 
इस दौरान खराब रिजल्ट के लिए शिक्षकों ने स्कूल में शिक्षकों के पद खाली होना, बच्चों का पढ़ाई की तरफ ध्यान नहीं देना व अभिभावकों की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया। इस पर एडीसी ने कहा कि बहाना बनाने की प्रथा को बंद करके ईमानदारी से अपना काम करें। स्टाफ की कमी अकेले जींद जिले की नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश की है। स्टाफ की ज्यादा समस्या कुछ स्कूलों में हो सकती है, लेकिन दूसरी कक्षाओं में जहां पूरे शिक्षक हैं, वहां भी रिजल्ट खराब आ रहे हैं। उच्च शिक्षा पाकर मेरिट में आने के बाद शिक्षक बनते हो, लेकिन उसके बाद स्कूल में आकर नहीं पढ़ाते। जबकि उनसे कम योग्य व कम पढ़ा-लिखा एक शिक्षक प्राइवेट स्कूलों में उनसे अच्छा काम कराता है। 
जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी सत्यवती नांदल ने कहा कि स्कूलों को सक्षम करने के लिए शिक्षकों को बार-बार कार्यशालाओं में बुलाकर ट्रेनिंग दी जा चुकी है। इसके बावजूद उनके रिजल्ट सुधरने की बजाय गिर रहे हैं। स्कूल मुखिया इसे गंभीरता से लें।
जिले के प्रत्येक ब्लॉक के 10 स्कूलों को बैठक में बुलाया
जिले के सभी सात ब्लॉक से 10-10 ऐसे स्कूलों के नाम चुने गए हैं, जिनमें पिछले सत्र में 50 प्रतिशत से ज्यादा परीक्षा परिणाम में सबसे कम बच्चे हैं। कुछ स्कूलों का इस आधार पर तीन से लेकर 9-10 प्रतिशत परिणाम रहा है। ऐसे स्कूल मुखियाओं को एडीसी ने मीटिंग में बारी-बारी से उठाते हुए खराब रिजल्ट का कारण पूछा।
सन-इन-लॉ का व्यवहार हो जाता शुरू
वहीं डिप्टी डीईईओ बीपी राणा ने मीटिंग का संचालन करते हुए कहा कि सरकारी जॉब में आते ही सन इन लॉ का व्यवहार शुरू हो जाता है। 80 हजार रुपये सैलरी पाकर भी अच्छा रिजल्ट नहीं दे पा रहे हैं, जबकि निजी स्कूल में पांच हजार रुपये पाने वाला एक शिक्षक उनसे अच्छा रिजल्ट दे रहा है। स्किल पास बुक को स्कूल गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। खुद ही स्किल पासबुक भर कर उसका मूल्यांकन खुद ही कर लेते हैं।
स्कूलों में स्मार्ट क्लासेस
सीएम की सुशासन सहयोगी शुभी केसरवानी ने शिक्षकों को रिजल्ट सुधारने की हिदायत देते हुए कहा कि जिन स्कूलों का रिजल्ट बेहतर रहता है, उन स्कूलों में डीसी अमित खत्री स्मार्ट क्लासेस शुरू कराने और सोलर पैनल लगवाने की बात कह रहे हैं। इसलिए वे भी अपने स्कूलों में रिजल्ट सुधारने के लिए ईमानदारी से प्रयास करें। स्कूलों के प्रति सरकार गंभीर है और शिक्षा विभाग व प्रशासनिक अधिकारियों की तरफ से स्कूलों के लगातार दौरे किए जाएंगे।
आठवीं के बच्चे को जोड़-घटा नहीं आती
मीटिंग के दौरान एक स्कूल मुखिया ने बच्चों के लर्निंग लेवल पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि आठवीं क्लास के बच्चे को जोड़ व घटा नहीं करना आता है। ये चीज तीसरी-चौथी कक्षा वाले बच्चे को आनी चाहिए। ऐसे में शिक्षक उनका रिजल्ट कैसे सुधार सकता है।
हाई व सेकेंडरी स्कूलों का रिजल्ट खराब
मीटिंग के दौरान अधिकारियों ने कहा कि अकसर शिक्षक खराब रिजल्ट के लिए प्राइमरी लेवल पर बच्चे की ठीक ढंग से पढ़ाई नहीं होने का बहाना बनाते हैं। लोअर परीक्षा परिणाम में जो 70 स्कूल शामिल हैं, उनमें प्राइमरी स्कूल केवल पांच हैं। जबकि 10 मिडल, 39 हाई स्कूल व 16 सीनियर सेकेंडरी स्कूल शामिल हैं।

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