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Saturday, 2 July 2016

प्रिंसिपल न कोई लेक्चरर, कैसे पढ़ेंगी बेटियां

कैथल : राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, रोहेड़ा में छात्राएं तो 250 हैं लेकिल अध्यापक केवल 2 ही हैं। इनमें भी एक गेस्ट टीचर है। स्कूल को अपग्रेड हुए 2 साल बीत गए हैं लेकिन स्वीकृत पद नहीं दिए गए हैं।
इन दिनों स्कूल में प्रिंसिपल की पोस्ट भी खाली है और 11वीं व 12वीं की छात्राओं को पढ़ाने के लिए कोई लेक्चरर भी नहीं है। छठी से 12वीं तक के   स्कूल में प्रिंसिपल न होने के कारण पीटीआई को इंचार्ज बना दिया गया है।
स्कूल के लिए पीटीआई, ड्राइंग, साइंस व सामाजिक अध्ययन के पद मंजूूर हैं।  पीटीआई अध्यापक को यदि अलग कर दें तो पूरे स्कूल में विषय के नाम पर केवल एक ड्राइंग टीचर है। स्कूल अपग्रेड होने से लड़कियों में यह उम्मीद जगी थी कि अब वे गांव में ही रहकर 12वीं तक की शिक्षा प्राप्त कर सकेंगी परंतु सरकार के उदासीन रवैए के कारण छात्राओं में निराशा है। ऐसी स्थिति में बच्चों के अभिभावक असमंजस में हैं कि लड़कियों को इसी स्कूल में रखा जाए या कहीं बाहर पढ़ने भेजा जाए। उनका मानना है कि शिक्षा विभाग लड़कियों के भविष्य से न केवल खिलवाड़ कर रहा है, बल्कि ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना को भी पतीला लगा रहा है। गांव वासियों का कहना है कि जब विभाग ने स्टाफ नहीं भेजना था तो स्कूल को अपग्रेड करने का ड्रामा करने की क्या जरूरत थी।
अनिवार्य विषयों के प्राध्यापक नहीं
स्कूल को अपग्रेड हुए 2 वर्ष बीतने के बाद भी हिंदी, अंग्रेजी जैसे विषय पढ़ाने के लिए भी सरकार लेक्चरर्स का बदोबस्त नहीं कर पाई। अभिभावकों का कहना है कि हिंदी व अंग्रेजी ऐसे विषय हैं जो अनिवार्य हैं और इनके लिए माहिर अध्यापकों की जरूरत है। जब स्कूल में कोई विशेषज्ञ टीचर नहीं है तो भला इस तरह के स्कूलों में बेटियां क्या पढ़ेंगी।
उच्च अधिकारियों को बतायी समस्या
खंड शिक्षा अधिकारी दलीप सिंह का कहना है कि अध्यापकों की व्यवस्था करने के लिए शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों को लिखा गया है। समय समय पर रिपोर्ट भी दी जाती है। जब तक स्टाफ नहीं आता तब तक उन्होंने स्कूल में एक टीचर की अस्थाई व्यवस्था की है।                                                                         dt 

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