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Saturday 1 December 2018

छोड़ो नकल रोकने का बहाना, जिले में हों एचटेट परीक्षा का ठिकाना

प्राइम इंट्रो : परीक्षा शब्द इन दिनों परीक्षार्थियों को बौद्धिक कम शारीरिक, मानसिक व आर्थिक तौर पर परेशान करने लगा है। कारण? सरकार और सरकारी तंत्र की अदूरदर्शिता भरी सोच से उपजी परिस्थितियां। लाखों अभ्यर्थियों की सहभागिता वाली एचटेट जैसी परीक्षा इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। सरकार की व्यवस्था के तहत अभ्यर्थियों को 200-300 किलोमीटर तक की दूरी तय कर परीक्षा देने जाना पड़ता है। कतई हास्यास्पद और उबाऊ। इसलिए कि परीक्षा पास करने के लिए की गई सारी तैयारियां शारीरिक व मानसिक थकान की भेंट चढ़ जाती हैं। महिला अभ्यर्थियों की कठिनाइयों के तो कहने ही क्या? ऐसा तब है जबकि सारी संभावनाएं अपने ही जिले में मौजूद हैं। करोड़ों रुपये के सीसीटीवी कैमरे और पारदर्शी व्यवस्था के अन्य उपकरण स्कूलों में लगे हैं। और भी विकल्प हैं। एचटेट में अभ्यर्थियों की परेशानियों को दैनिक जागरण ने शिद्दत से जाना है। इसलिए हर वर्ग के मौजिजों की व्यवस्था बदलाव की संभावनाएं टटोलने की कोशिश की गई है। हर कोने से यही आवाज कि अपने ही जिले में हों एचटेट के सेंटर .. प्रबुद्धजनों के साथ चर्चाओं में सामने आया है। 
फतेहाबाद : भिवानी बोर्ड ने एचटेट की परीक्षा के लिए तारीख घोषित कर दी हैं। लंबे समय से तैयारी कर रहे युवाओं को इससे खुशी मिली है, लेकिन उन्हें भय भी सताने लगा है कि फिर से उन्हें 200 से 300 किलोमीटर दूर जाकर पेपर देना पड़ेगा। इससे उन्हें मानसिक परेशानी के साथ आर्थिक नुकसान भी होगा। महिला अभ्यर्थियों को पेपर देने जाने के लिए अपने साथ किसी परिजन को लेकर जाने मजबूरी हो जाएगी।
दैनिक जागरण ने एचटेट पेपर को लेकर विभिन्न वर्गों के लोगों की राय जानने के लिए पैनल डिस्कशन करवाया। जिसमें सामने आया कि अभ्यर्थियों को पेपर देने जाने में भारी मुसीबत होती है। उनकी मांग है कि उनके साथ लगते जिलों में उनके पेपर आयोजित किए जाए, ताकि उन्हें किसी प्रकार की परेशानी न हो। दैनिक जागरण के द्वार आयोजित पैनल डिस्कशन में शहर के बुद्धिजीवी, शिक्षाविद्, अध्यापक, रोडवेज अधिकारी, सरपंच, वकील व समाजसेवी संगठनों के पदाधिकारियों ने भाग लिया।
"मैं पिछली बार भी पेपर देने गई थी, उसे दौरान बहुत परेशानी हुई। नए शहर में सेंटर ढूंढने में सबसे ज्यादा मुश्किल होती है। जब पेपर के लिए विडियोग्राफी, बायोमैट्रीक होने के बाद सीसीटीवी के सामने पेपर होते हैं तो इतनी दूर सेंटर बनाने का औचित्य नहीं। मेरी मांग है कि खुद के जिले में सेंटर न सही, साथ लगते जिले में सेंटर बना दिया जाए तो हमारी परेशानी का हल हो जाएगा।"-- भारती, अभ्यार्थी, एचटेट।

"एचटेट के फार्म भरने पर बहुत अधिक फीस ली जाती हैं। उसके बाद भी सेंटर पास नहीं बनाए जा रहे। सेंटर 200 से 300 किलोमीटर दूर आते हैं। सुबह के समय पेपर हो तो उक्त शहर में एक दिन पहले जाकर रूकना पड़ता है। इससे पर 2 हजार रुपये का अतिरिक्त खर्चा होता है। बेरोजगार युवाओं के लिए दूर सेंटर आना एक मुसीबत है। जिलावाइज सेंटर हो तो पेपर देने में किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी।"-- सोमवीर, अभ्यार्थी, एचटेट।

"परीक्षा के दौरान रोडवेज स्पेशल बसें चलाता है। पहले भी हमने बसें चलाई थी। इस बार भी स्पेशल बसें चलाई जाएगी। रोडवेज विभाग अपनी तरफ से पूरी तैयारी करता है, ताकि युवाओं को किसी प्रकार की परेशानी न हो। ग्रुप डी के पेपर में युवाओं के लिए रोडवेज ने विशेष व्यवस्था की थी।"-- बलवीर ¨सह, डीआई, फतेहाबाद रोडवेज डिपो

"रोडवेज के पास हरियाणा में सिर्फ 3500 बसें है, जबकि एचटेट का पेपर देने वाले 7 लाख युवा होंगे। सरकार सभी बसें चलाने के बाद भी परिवहन की व्यवस्था नहीं बना पाएगी। इसलिए सरकार को चाहिए कि युवाओं के पेपर निकटवर्ती जिलों में ले। दूर पेपर होने में युवाओं को कई प्रकार की परेशानी होगी, धुंध में एक्सीडेंट का खतरा भी बढ़ जाता है।"-- सुभाष पूनिया, सामाजिक कार्यकर्ता।

"एचटेट की परीक्षा भिवानी बोर्ड को 15 से 20 करोड़ रुपये की बचत होती है। उसके बाद भी युवाओं की परेशानी के लिए दूर जिलों में सेंटर बनाए जा रहे है। मेरी मांग है कि या तो फीस बिल्कुल कम की जाए, या सेंटर निकटवर्ती जिले में बनाए जाए। सरकार अभ्यर्थियों के दूर सेंटर करने की बजाए कर्मचारियों की ड्यूटी दूसरे जिले में लगा दे। इससे युवाओं को राहत मिलेगी। कर्मचारी कम होते है, उन्हें आने जाने में भी आसानी होगी।"-- - दलीप बिश्नोई, शिक्षाविद्।

"एचटेट की परीक्षा निकटवर्ती शहरों में हो। इसके लिए हमारी पंचायत भी सरकार से मांग करेगी। सरपंच एसोसिएशन के सदस्य मिलकर सरकार को पत्र भेजेगा, जिसमें मांग करेंगे कि सरकार एचटेट सहित अन्य परीक्षा भी निकटवर्ती जिले में हो। नियम भी है कि प्रदेश की कुल पंचायतों का 10 फीसद प्रस्ताव भेजती है तो उस मुदे पर विधानसभा पर चर्चा होनी जरूरी है। इसलिए हम सभी पंचायतें मिलकर प्रस्ताव भेजेंगे कि एचटेट की परीक्षा पास के जिले में हो।"-- अशोक जाखड़, सरपंच, ¨ढगसरा।

"एचटेट के पेपर के दौरान युवाओं को परेशानी होती है। कानूनन भी युवा इसके खिलाफ कोर्ट जा सकते है। एचटेट के अभ्यर्थी परीक्षा का सेंटर पास करवाने के लिए हाईकोर्ट में पीआइएल लगा सकते है। इसके अलावा बार एसोसिएशन भी इस मुद्?दे को सरकार के सामने रखेगी, ताकि युवाओं की परेशानी का हल निकाला जा सके।"-- लवप्रीत मेहता, अधिवक्ता।

"दूर सेंटर बनाने का मतलब यह नहीं कि इससे नकल रूकती है। नकल रोकने के लिए सीसी कैमरे, वीडियोग्राफी की व्यवस्था है तो दूर सेंटर बनाने का औचित्य ही नहीं। हमारी संस्था की मांग है कि सरकार उसी जिले में पेपर करवाया, जिस जिले से संबंधित अभ्यर्थी हैं।"--हरदीप ¨सह, प्रधान, ¨जदगी संस्था।

"एचटेट की परीक्षा देने के लिए आवेदन फीस बहुत अधिक है, इसके बाद कई प्रकार के अन्य खर्च होते है। जो बेरोजगार युवा नहीं उठा पाते। इसके बाद सेंटर 300 किलोमीटर दूर बना दिए जाते है, जहां पर तय समय में पहुंच कर पेपर देना संभव नहीं होता। ऐसे में एचटेट के पेपर का सेंटर निकटवर्ती जिले में ही हो।"-- संजय गोदारा, एलबी अकेडमी।

"विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा एचटेट सेंटरों को लेकर प्रदर्शन करती थी, अब सरकार आने के बाद खुद सेंटर दूर बना रही है। इससे युवाओं का शोषण होता है। सरकार सिर्फ निजी बस आपरेटरों को फायदा पहुंचाने के लिए दूर सेंटर बनाती है। सेंटर पास बनाने के लिए हमारी संस्था मुख्यमंत्री को पत्र भेजेगी।"-- अमरीक ¨सह सोढ़ी, प्रधान, नेताजी सुभाष चंद्र बोस संगठन।

"सरकार ने एक बार निकट सेंटर बनाकर एचटेट की परीक्षा ली। उस वर्ष युवाओं को किसी प्रकार की परेशानी नहीं हुई और रिजल्ट भी कम रहा। इससे साफ हो गया था कि दूर व पास सेंटर बनाने से रिजल्ट पर प्रभाव नहीं पड़ता। दूर सेंटर होने से महिला अभ्यर्थियों को परेशानी होती है। कई बार तो वे पेपर देने भी नहीं जा पाती।"-- सुशील बंसल, शिक्षाविद्।

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