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Wednesday 7 August 2013

सरकारी स्कूलों के 13,940 बच्चों पर सात लाख का बोझ

** भिवानी बोर्ड ने 10वीं व 12वीं के ऑनलाइन फॉर्म भरने के निर्देश दिए
**16 तक फॉर्म नहीं जमा हुए तो 200 रुपए जुर्माना 
अम्बाला सिटी : पहले शिक्षा बोर्ड के दो कर्मचारी जिला शिक्षा कार्यालय में बैठते थे। जिले के सभी स्कूल मुखिया बच्चों के मेन्युअल फॉर्म भरकर उसे कार्यालय में बैठे कर्मचारियों के पास जमा कराते थे। बोर्ड के पास फॉर्म खुद व्यवस्था करके भेजते थे। साथ ही पहले मेन्युअल फॉर्म पर एक साथ 20 बच्चों का डाटा भरा जा सकता था। ऐसे में स्कूल मुखिया परीक्षा फॉर्म सीधे भिवानी बोर्ड के पास रजिस्ट्री करके भी भेज देते थे। ऑनलाइन से उनकी झंझट खत्म हो गई।
साइबर कैफे का सहारा लेना पड़ेगा
राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल शहजादपुर के बायो प्राध्यापक संजीव अग्रवाल का कहना है कि दो घंटों में केवल दो ही बच्चों के परीक्षा फॉर्म ऑनलाइन जमा हो पाए हैं। पहले तो वेबसाइट पर स्कूल की आईडी नहीं आई। दो दिन बाद आईडी मिली। इसके बाद मंगलवार को जब बच्चों के फॉर्म भरने लगे तो वेबसाइट पर डेट ऑफ बर्थ स्वीकृत नहीं हो पाई। बोर्ड के टोल फ्री नंबर पर संपर्क करने के बाद दो बच्चों के ही फॉर्म जमा हो पाए। स्कूल में 275 बच्चे शेष हैं। यदि वेबसाइट में ऐसी ही खामियां आती रहीं तो कब तक फॉर्म किस तरह भरे जाएंगे। जाहिर है कि ऐसे में साइबर कैफे का सहारा लेना पड़ेगा।
ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादातर स्कूलों में इंटरनेट ही नहीं 
भिवानी बोर्ड का एक निर्णय साइबर कैफे संचालकों को मालामाल करेगा। विद्यार्थी परेशान होंगे। अभिभावक बोर्ड को कोसेंगे। अध्यापक आनंद उठाएंगे। यह शिक्षा विभाग के खिलाफ बयानबाजी नहीं, हकीकत है। कड़वी सच्चाई है। सचमुच ऐसा ही हो रहा है। विद्यार्थी साइबर कैफे के चक्कर लगा रहे हैं। हरियाणा शिक्षा बोर्ड दसवीं और बारहवीं कक्षा के परीक्षा फॉर्म जमा करने की अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो गया है। अध्यापक ही इंटरनेट पर ऑनलाइन फॉर्म भरेंगे। स्कूलों में इंटरनेट नहीं है, शिक्षा बोर्ड के इस फैसले से सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले लगभग 13,940 बच्चों और उनके अभिभावकों को करीब सात लाख रुपए का फटका लगने का अनुमान है। यह पैसा साइबर कैफे संचालकों की जेब में जाएगा। ऑनलाइन फॉर्म भरने के लिए अध्यापक बच्चों को साइबर कैफे में ले जाने को मजबूर हैं। इसके बदले में शिक्षा विभाग ने स्कूलों को कोई अतिरिक्त फंड भी उपलब्ध नहीं कराया है। बच्चों के भविष्य को देखते हुए अभिभावक अपनी जेब से पैसा अदा करने को मजबूर हैं।
वेबसाइट में खामियां 
बोर्ड की वेबसाइट पर भी कई खामियां निकल रही हैं। अपडेट के दौरान छात्रों के फोटो अपलोड नहीं हो रहे हैं। डेट ऑफ बर्थ भी वेबसाइट स्वीकार नहीं कर रही है। एक बार गलत एंट्री दर्ज होने पर उसमें सुधार भी नहीं किया जा सकता। एक घंटे में एक ही परीक्षा फॉर्म जमा हो रहा है।
प्रति छात्र 50 रुपए वसूल रहे 
अम्बाला के सरकारी स्कूलों में दसवीं में 8671 और बारहवीं में 5269 विद्यार्थी हैं। साइबर कैफे संचालक प्रत्येक बच्चे से 50 रुपए वसूल रहे हैं। ऐसे में 13940 बच्चों पर लगभग सात लाख रुपए का बोझ पड़ेगा। यदि 16 अगस्त तक फॉर्म नहीं जमा हुए तो 200 रुपए के जुर्माना अदा करना पड़ेगा। दसवीं और बारहवीं के प्रथम सेमेस्टर की परीक्षांए सितंबर के प्रथम सप्ताह में हैं।
डोंगल खरीदने के आदेश 
"मैंने अपने खंड में सभी स्कूल मुखियों और स्कूल मैनेजमेंट कमेटी को स्कूल फंड से डोंगल खरीदने के आदेश दिए हैं। ताकि बच्चे ऑनलाइन परीक्षा फॉर्म भर सकें। किसी भी बच्चे को साइबर कैफे में जाने की जरूरत नहीं है। उनके खंड में डोंगल के माध्यम से स्कूलों में फॉर्म भरवाए जाएंगे। " --सुमन मुंजाल, बीईओ, अम्बाला खंड-एक ...DB

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