.

.

Breaking News

News Update:

How To Create a Website

Thursday 29 October 2015

हटाए गए 4073 अतिथि अध्यापकों को राहत के संकेत

प्रदेश सरकार शिक्षा क्षेत्र को पटरी पर लाने के लिए प्रतिबद्धता दिखा रही है। किसी मायने में वह जवाबदेही के मापदंड पर खरा उतरने की कोशिश भी कर रही है। शिक्षा मंत्री द्वारा हाल ही में दिया गया आश्वासन खासतौर पर अतिथि अध्यापकों के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं। उन्होंने कहा कि कोर्ट के आदेश से हटाए गए 4073 अतिथि अध्यापकों को दोबारा भर्ती किया जाएगा। अब देखना यह है कि मंत्री का आश्वासन पत्थर की लकीर साबित होता है या हवा से भरा गुब्बारा। सवाल यह है कि गेस्ट टीचर की पीड़ा समझने में सरकार ने जानबूझकर देरी की या मजबूरीवश? विडंबना है कि भविष्य का आधार तैयार करने वाले शिक्षकों को एक दशक तक अधर में लटकाए रखा गया। पुरानी घोषणाओं, आश्वासनों, वादों, कसमों के यूटर्न देखते हुए अब भी सहसा विश्वास नहीं हो रहा कि अतिथि अध्यापकों के वर्तमान और भविष्य पर छाया अंधकार दूर होने जा रहा है। बकौल मंत्री जी उन्हें यह शुभ सूचना दीपावली से पहले मिल जाएगी, इसके लिए कोर्ट से अनुमति भी ले ली गई है। बार-बार दोहराया जा रहा है कि राज्य के सरकारी स्कूलों में शैक्षणिक ढांचा अनेक कारणों से ढहने के कगार पर है। दसवीं और 12वीं कक्षा के परीक्षा परिणाम साफ संकेत दे रहे हैं कि कुछ भी ठीक नहीं हो रहा। यदि सब ऐसा ही चला तो भावी पीढ़ी का आधार इतना कमजोर हो जाएगा कि प्रतिस्पर्धा के युग में कहीं भी टिकना कठिन होता जाएगा। सरकारी स्कूलों में अध्यापकों के 25 हजार से अधिक पद खाली रहना व्यवस्था की घोर असफलता की ओर सीधा संकेत करता है। इसके बावजूद चार हजार से अधिक गेस्ट टीचर हटा दिए गए, 11 हजार अन्य पर अनिश्चितता की तलवार लटक रही है। आलम यह है कि अनेक स्कूलों में अनेक विषयों के अध्यापक ही नहीं इसलिए अन्य शिक्षकों से पदानुसार कार्य नहीं लिया जा रहा। पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए अन्य स्कूलों से टीचरों की आउटसोर्सिग की जा रही है। हालांकि सरकार ने शिक्षकों के रिक्त पद भरने के लिए कवायद शुरू की है लेकिन उसके परिणाम के लिए अभी लंबा इंतजार करना होगा। गेस्ट टीचरों पर तो सरकार मेहरबानी बरसाने का संकेत दे रही है लेकिन पात्र अध्यापकों को भी वरीयता क्यों नहीं दी जा रही? सरकार को व्यापक दृष्टिकोण से सोचते हुए शिक्षा ढांचे के समग्र विकास और समृद्धि के लिए अपनी नीति में आधारभूत बदलाव लाना बेहद जरूरी हो गया है।                                                                                            djedtrl

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.