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Sunday 18 March 2018

50 लाख आवेदकों वाली भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी, पेपर का जिम्मा ठेकेे पर

** सॉफ्टवेयर का ऑडिट भी नहीं, निजी कंपनी अपलोड करती है प्रश्न पत्र 
** मंत्रालयों और सीबीआई की शिकायत- ऐसे लोग भर्ती जिन्हें ईमेल करना नहीं आता 


नई दिल्ली  : कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) की ऑनलाइन भर्ती परीक्षा बगैर ऑडिट किए सॉफ्टवेयर से करवाई जा रही है। जिस कारण कई तरह की गड़बड़ियां सामने आने लगी हैं। ऑनलाइन पेपर अपलोड करने का काम एसएससी ने निजी कंपनी सिफी को ठेके पर दिया है। जबकि नियम के हिसाब यह ठेके पर नहीं दिया जा सकता। इसे एसएससी को खुद ही करना है। अब गड़बड़ियों पर छात्रों द्वारा सीबीआई जांच की मांग उठ रही है। पिछले दो सप्ताह से करीब चार हजार बच्चे दिल्ली में धरने पर बैठे हैं। वे पूरी एसएससी परीक्षा की सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं। जबकि सरकार ने छात्रों से कहा है कि वे 21 फरवरी को हुए सीजीएल टियर 2 के एग्जाम की ही सीबीआई जांच करेंगे। हालांकि एसएससी भर्ती में गड़बड़िया कई सालों से हो रही हैं। एसएससी से ऐसे लोगों की भर्ती भी हो चुकी है, जिन्हें अंग्रेजी में अपना नाम लिखना और ईमेल करना तक नहीं आता।
इसके बारे में 2015 में आधा दर्जन मंत्रालयों और सीबीआई ने पत्र एसएससी को लिखा था। यह पत्र भास्कर के पास है। पत्र में लिखा है कि एसएससी अपनी भर्ती प्रक्रिया में बदलाव करे। मंत्रालयों ने उम्मीद जताई थी कि नए चेयरमैन असीम खुराना के आने के बाद इस व्यवस्था में सुधार आएगा। इसके बाद से ही ऑनलाइन परीक्षा कराने की प्रक्रिया शुरू हुई। लेकिन गड़बड़ी अभी भी चालू है। दैनिक भास्कर के पास ऐसे दस्तावेज हैं, जिससे एसएससी में भर्ती प्रक्रिया की पोल खुलती है।
इस बारे में खुराना से पूछा था कि सॉफ्टवेयर का ऑडिट कब करवाया, लेकिन खुराना ने सिर्फ ये बताया कि यह सॉफ्टवेयर सर्ट इन से सर्टिफाइड है। ऑडिट की जानकारी नहीं दी। मंत्रालयों द्वारा लिखे गए पत्र पर उनका कहना है कि ओएमआर प्रणाली में कुछ गड़बड़ियां आई थीं, इसके बाद से 2016 से ऑनलाइन परीक्षा की प्रक्रिया शुरू करवाई गई। इन परिवर्तन के बाद कोई शिकायत नहीं आई है। सर्वर के बारे में उनका कहना है सर्वर कहां रखा जाना है इसके लिए कोई बाध्यता तय नहीं है। पेपर अपलोड करवाने के सवाल पर चेयरमैन की सफाई है कि नियम के तहत ही पेपर अपलाेड हो रहा है। पहले से हो रही सीबीआई जांच के सवाल पर असीमा खुराना का कहना है कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है।
गौरतलब है कि एसएससी ने ऑनलाइन परीक्षा करवाने का टेंडर जब निकाला उसके बाद से ही गड़बड़ियां शुरू हो गई। जिसने 50 लाख से ज्यादा उन छात्रों को दिक्कत में डाल दिया है जो हर साल एसएससी की किसी न किसी परीक्षा में हिस्सा लेते हैं। अभी परीक्षा कराने की जिम्मेदारी सिफी कंपनी के पास है। सूत्रों के मुताबिक इतनी शिकायतांे के बावजूद एसएससी कंपनी का ठेका बढ़ाने की तैयारी में है। आरटीआई के जवाब से पता चला है कि सिफी का ठेका 11 अप्रैल 2018 को खत्म होना है। जबकि सीवीसी नियम के तहत ठेका खत्म होने के कम से कम 45 दिन पहले टेंडर निकालना अनिवार्य है, लेकिन अभी कोई नई टेंडर प्रक्रिया शुरू नहीं हुई। इससे भी यही संकेत मिलता है कि कंपनी का ठेका कुछ समय और बढ़ाया जा सकता है।
वो गड़बड़ियां जो अभी भी चल रही हैं
1 बेहतर के बजाय सस्ते को दी तवज्जो
टेंडर के दस्तावेजों के मुताबिक उसी कंपनी को ऑनलाइन परीक्षा कराने का टेंडर दिया जाना चाहिए था, जिसकी बिड सस्ती हो, साथ ही उसका सॉफ्टवेयर भी अन्य कंपनियों से बेहतर हो। सिफी कंपनी का सॉफ्टवेयर सबसे सस्ता था। टीसीएस का सॉफ्टवेयर टेस्टेड था और ऑडिटेड भी था, लेकिन तीन गुना महंगा था। एसएससी ने सस्ते को चुना।
नहीं हुआ एक बार भी ऑडिट
आईटी मंत्रालय की सिक्यूरिटी ऑडिट एडवायजरी के मुताबिक इस ऑनलाइन इस्तेमाल होने वाले साॅफ्टवेयर का ऑडिट अनिवार्य है ताकि गड़बड़ी के बारे में पता चल जाता है। एसएससी से मिले दस्तावेजों के अनुसार सिफी साॅफ्टवेयर सर्टइन से टेस्टिड है। इसका एक बार भी ऑडिट नहीं करवाया गया। सर्टिफाइड यानी सॉफ्टवेयर तय मानकों पर बनाया गया है, लेकिन ऑडिट कराया जाता है तो इससे यह पता लगता है कि इसको कितनी बार हैक किया गया, छेड़छाड़ हुई या नहीं आदि।
4 एसएससी के पास नहीं है कंट्रोल रूम
दस्तावेजों के मुताबिक एसएससी कार्यालय में एक कंट्रोल रूम होना चाहिए। ताकि एसएससी कार्यालय से ही किसी भी एग्जाम सेंटर की मॉनिटरिंग वहां लगे लाइव सीसीटीवी कैमरे से हो सके। इसमें एग्जाम सेंटर को भी पता नहीं चलता कि उसकी लाइव मॉनिटिरिंग हो रही है। लेकिन अभी एसएससी कार्यालय में सिर्फ दिखावे का कंट्रोल रूम बना हुआ है। अभी तय एग्जाम सेंटर के सीसीटीवी फुटेज देखे जाते हैं। सब कुछ तय होने के कारण एग्जाम सेंटर को भी पता होता है कि उसकी मॉनिटिरिंग हो रही है या नहीं।
5 एसएससी के पास सर्वर नहीं
टेंडर के दस्तावेजों में लिखा है कि एसएससी कार्यालय में ही ऑनलाइन साॅफ्टवेयर का सर्वर होना चाहिए। लेकिन यह सर्वर भी सिफी के पास है जो चेन्नई में लगा हुआ है। इस हिसाब से इसमें किसी भी तरह का एक्सिस करने का राइट सीधे तौर पर सिफी को मिल जाता है। सिफी को ही ऑनलाइन पेपर अपलोड करने का जिम्मा भी सौंप दिया गया। जबकि टेंडर दस्तावेज में साफ लिखा है कि पेपर अपलोड करने का जिम्मा एसएससी के पास होना ही होना चाहिए।

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