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Sunday 2 February 2014

HTET : प्रबंधों की परीक्षा

हरियाणा अध्यापक पात्रता परीक्षा पूरे राज्य की प्रतिष्ठा से जुड़ी है। इस पर गंभीरता दिखाई जानी इसलिए भी जरूरी है कि पूर्व के अनुभव अच्छे नहीं रहे। परीक्षा की गोपनीयता और शुचिता पर आंच न आए, यह सुनिश्चित करना स्कूल शिक्षा बोर्ड व स्थानीय प्रशासन का सबसे अहम दायित्व है। अध्यापकों के हजारों पद अर्से से रिक्त पड़े हैं, भर्ती प्रक्रिया नितांत तदर्थ, तात्कालिक, अनियमित, अनियंत्रित आधार पर होती रही। पात्रता परीक्षा के माध्यम से इस आधार को संगठित, नियमित और तार्किक बनाने की योजना लगभग पांच साल पहले केंद्र की तर्ज पर बनी थी। तथ्य बता रहे हैं कि योजना क्रियान्वयन से पूर्व पूरा होम वर्क नहीं किया गया और बिना तैयारी के ही आनन-फानन में लागू कर दी गई। निरंतरता का क्रम टूटता रहा और परीक्षा की शुचिता कायम रखने में भी कामयाबी नहीं मिल पाई। 2008 व 2009 में स्टैट के नाम से परीक्षा हुई जिनमें इतनी अनियमितताएं सामने आईं कि उस समय इसे पास करके नौकरी पाने वालों के भविष्य पर तलवार लटकी हुई है। इस बार के प्रबंधों से आभास हुआ कि शिक्षा बोर्ड व विभाग ने पिछली खामियों से सबक लिया। फिंगर प्रिंट के घालमेल जैसी गलतियों की संभावनाएं तो समाप्त हो गईं पर परीक्षा की गोपनीयता और शुचिता कायम रखने की है। इनसे बार-बार खिलवाड़ हुआ तो शिक्षा बोर्ड की साख पर घातक प्रभाव पड़ सकता है। एकाध घटनाओं को छोड़ प्रबंधों की परीक्षा का पहला चक्र सफलतापूर्वक पूरा हुआ। विशेष राजपत्रित अधिकारी व केंद्र अधीक्षक की मौजूदगी में प्रश्नपत्र खुले। पहली बार राजपत्रित अधिकारी पर सटीक जवाबदेही तय की गई। शिक्षा बोर्ड का एक अन्य निर्णय सराहनीय रहा कि परीक्षा ड्यूटी की सूचना देकर संबंधित शहर में तो कर्मचारियों को भेज दिया गया लेकिन केंद्र का नाम परीक्षा आरंभ होने से कुछ समय पूर्व ही बताया गया। कुल 13 जिलों में परीक्षा केंद्र बनाए गए पर खास बात यह रही कि ये कस्बों, उपमंडल मुख्यालयों में नहीं बल्कि केवल जिला मुख्यालय पर ही बने। दूरदराज के जिलों में हजारों परीक्षार्थियों को भेजने से हालांकि कुछ असुविधा हुईं, एकाएक दबाव पड़ने से परिवहन व्यवस्था भी चरमराती दिखाई दी लेकिन इसके पीछे बोर्ड का मंतव्य नकारात्मक नहीं कहा जा सकता। दूरगामी परिणामों की अपेक्षा के साथ बोर्ड ने इसके अलावा कई और निर्णय भी लिए जिनका तत्काल प्रभाव देखने की अपेक्षा नहीं की जानी चाहिए, बोर्ड को कुछ समय तो दिया ही जाना चाहिए। परीक्षा की निरंतरता, पवित्रता कायम रखने पर सभी का ध्यान केंद्रित रहना चाहिए।                                          dj

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