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Sunday 23 July 2017

स्मार्ट बनेंगे विद्यार्थी, लाइव मिलेगा हर सवाल का जवाब

** पंचकूला में बैठे शिक्षकों और एक्सपर्ट से सवाल-जवाब कर सकेंगे बच्चे
हिसार : सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए नई टेक्नोलॉजी से जोड़ा जाएगा। इसके लिए शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में स्मार्ट क्लास बनाने का फैसला लिया है, जिसमें बच्चे क्लास में बैठे-बैठे पाठ्यक्रम से संबधित सवाल-जवाब पंचकूला में पढ़ा रहे एक्सपर्टो से कर सकेंगे। इसमें खास बात यह रहेगी कि टेक्नोलॉजी की मदद से संबधित विषय का एक्सपर्ट भी बच्चों से जुड़ सकेगा, ताकि बच्चे पाठ्यक्रम से संबधित चीजों को आसानी से समझ सकें। इसके लिए शिक्षा विभाग ने हिसार के पांच स्कूलों का चयन किया है। चयनित स्कूलों में स्मार्ट क्लास के लिए अलग से कमरा बनाया जाएगा, जिनमें एक स्मार्ट बोर्ड, एक कंप्यूटर, सीपीयू, मॉनिटर, बैकअप बैटरी और एक लाइव कैमरा लगाया जाएगा। ताकि दूर - दराज बैठे टीचर और एक्सपर्ट की मदद से पाठ्यक्रम से संबधित आने वाली समस्याओं को दूर किया जा सके। इस सुविधा की सबसे बड़ी खासियत यह है कि पूरा पाठ्यक्रम कंप्यूटर में रिकॉर्ड हो जाएगा। ताकि अनुपस्थित बच्चों को अगले दिन उस विषय के बारे में जानकारी दे सकेंगे। शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों की मानें तो इसे शुरू करने में एक स्कूल पर करीब 70 हजार रुपये खर्च आएगा। लेकिन अधिकारियों की तरफ से यह सुविधा जल्द शुरू करने का फैसला लिया गया है।
"बच्चों को जल्द ही स्मार्ट क्लास की सुविधा मिलेगी। ताकि बच्चों को पाठ्यक्रम से संबधित आने वाली समस्याओं का तुरंत समाधान किया जा सके। इसके लिए चयनित स्कूलों में कवायद शुरू कर दी है।"-- डा. अजय बल्हारा, प्रोग्राम ऑफिसर, शिक्षा विभाग, पंचकूला।
अन्य विषयों को भी कर सकेंगे सर्च 
इंटरनेट की सहायता से स्मार्ट बोर्ड के माध्यम से टीचर और बच्चे गूगल और अन्य वेबसाइट का भी सहारा ले सकेंगे। विषय से संबधित कुछ अन्य जानकारियां और तथ्य जुटाने के लिए बच्चे गूगल का सहारा ले सकेंगे।एक्सपर्ट से सवाल कर सकेंगे बच्चे 
इस सुविधा की सबसे बड़ी खासियत यह है कि बच्चे अपने से दूर - दराज बैठे टीचरों और एक्सपर्ट से सवाल - जवाब कर सकेंगे, लाइव कैमरे की मदद से पूरी प्रक्रिया विजुअल तौर पर होगी। इसके अलावा पूरी प्रक्रिया को रिकॉर्ड किया जाएगा। बता दें कि इससे पूर्व शिक्षा विभाग की ओर से एजुसेट और डीटीएच स्कूलों में लगाएं गए है, लेकिन उसमें बच्चे पाठ्यक्रम से संबधित दूर-दराज बैठे टीचरों से सवाल नहीं कर सकते थे।

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