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Sunday, 2 December 2012

KUK: 20 प्रतिशत अंक होने पर ही पुनर्मूल्यांकन

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के फैसले से हजारों विद्यार्थियों का भविष्य अधर में:
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के नए नियम हजारों विद्यार्थियों के भविष्य में रोड़ा बन रहे हैं। क्योंकि 20 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त विद्यार्थी ही पुनर्मूल्यांकन करा सकता है, जबकि 20 प्रतिशत से कम अंक प्राप्त विद्यार्थी रि-चेकिंग करा सकते हैं। ऐसे में हजारों विद्यार्थियों का भविष्य यूनिवर्सिटी के इन नए नियमों से प्रभावित हैं। जबकि यूनिवर्सिटी में पुनर्मूल्यांकन कराने पर विद्यार्थियों के अंक 17 से 54 अंक तक हुए हैं। 
यहां फंसा पेंच : रि-चेकिंग और पुनर्मूल्यांकन कराने के लिए अंक प्रतिशत की कंडीशन विद्यार्थियों को परेशान कर रही है। जबकि मार्च 2012 से पहले ऐसी कंडीशन नहीं थी। इस कंडीशन को विद्यार्थी पेपर मार्किंग की पारदर्शिता पर अंकुश मान मन रहे हैं। क्योंकि अब वे सभी विद्यार्थी जो फेल हो चुके हैं, अपनी उत्तरपुस्तिका का पुनर्मूल्यांकन नहीं करा सकते हैं। विश्वविद्यालय के नए नियमों के अनुसार जिन विद्यार्थियों के थ्योरी के पेपर में 20 प्रतिशत से कम अंक हैं तो वे रि-चेकिंग करा सकते हैं तथा जिनके अंक 20 प्रतिशत से अधिक होंगे तो वे रि-वेल्युएशन करा सकते हैं। विद्यार्थियों के अनुसार इस तरह की कंडीशन विद्यार्थियों के हित में नहीं है। 
बहुत से ऐसे विद्यार्थी थे जो अच्छे माक्र्स होते हुए भी पुनर्मूल्यांकन का फार्म भर देते थे। ऐसे में विश्वविद्यालय पर वर्कलोड बढ़ जाता था। जबकि रिजल्ट भी समय पर देने होते हैं। ऐसे में वे ही विद्यार्थी फार्म भरें, जिनको इसकी जरूरत होती है। इसलिए यह नई व्यवस्था की गई है। देवेंद्र सचदेवा, पीआरओ, केयू 
एक समस्या यह भी 
प्रश्न उठता है कि अगर किसी विद्यार्थी के अंक 20 प्रतिशत से कम हैं तो उसे री-चेकिंग के लिए फार्म भरना पड़ेगा। ऐसे में यदि उसके अंक बढ़कर 20 प्रतिशत से ज्यादा हो जाता है तो क्या फिर उसे रि-वेल्युएशन का फार्म भरना पड़ेगा। क्या वह रिवेल्युएशन करने का पात्र होगा। अगर फार्म भरेगा तो पुनर्मूल्यांकन का रिजल्ट कब आएगा। इस स्थिति में विद्यार्थी का भविष्य क्या रहेगा। 
 ... तो नहीं भर पाते फार्म 
यूनिवर्सिटी में अपने पेपर की पुनर्मूल्यांकन कराकर जो विद्यार्थी 17 अंकों के बावजूद पास हुए हैं। अगर यह नियम पहले से होते तो उक्त विद्यार्थियों के माक्र्स बढऩा तो दूर वह तो फार्म भी नहीं भर पाते। विद्यार्थियों को आरोप है कि केयू ने अपनी खामियों को ठीकरा विद्यार्थियों के सिर फोड़ दिया है।

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