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Wednesday 19 February 2014

अध्यापकों ने कहा-यूज लैस हैं मैथ और साइंस किट्स

** सर्व शिक्षा अभियान के तहत सरकारी स्कूलों को हजारों रुपए की कीमत की भेजी जाती है किट 
** बिना प्रयोग के डिब्बे में बंद
सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान के तहत सरकारी स्कूलों में साइंस किट व मैथ किट भेजी है। ताकि सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चे साइंस व मैथ के विषयों को प्रैक्टिकल तौर पर अच्छी तरह समझ सकें, लेकिन स्कूलों में अध्यापकों द्वारा इन किट्स को खोला ही नहीं गया। दो लोहे की पेटियों में साइंस किट का सामान भेजा गया है। 
इसी प्रकार लकड़ी की छोटी पेटियों में मैथ किट का सामान स्कूलों में पहुंचा है। साइंस किट में 99 प्रकार का सामान है। इसकी कीमत भी करीब चार हजार रुपए बताई जा रही है। जबकि मैथ किट इससे काफी सस्ती है। जिले के ज्यादातर सरकारी स्कूलों में मैथ और साइंस किट को आज तक नहीं खोला गया। अध्यापकों का कहना है कि वे इन किटों को खोलकर समय बर्बाद नहीं करना चाहते। इससे अच्छा है कि विद्यार्थियों को ब्लैक बोर्ड और कॉपियों पर ही समझा दिया जाए। मैथ किट में बच्चों को दिखाने के लिए बड़े आकार का सामान रखा है। वहीं पर साइंस किट में साइंस का सामान है। 
"सरकारी स्कूलों में बच्चों को सिखाने के लिए मैथ व साइंस किट भेजी जा रही है। सभी स्कूलों के हेडमास्टर्स को पत्र लिख दिया है। अगर फिर भी कोई हेडमास्टर मैथ व साइंस किट का प्रयोग नहीं करता तो रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजी जाएगी।"--दयानंद अंतिल, जिला शिक्षा अधिकारी 
ये हैं दिक्कतें 
सरकारी स्कूलों में प्रयोगशाला न होने के कारण एक ही कमरे में साइंस और मैथ किट का सामान रखा हुआ है। ज्यादातर स्कूलों में स्कूल अध्यापकों का कहना है कि अभी तक उन्हें साइंस किट में आए सामान के प्रयोग के बारे में बताया नहीं गया। कुछ सामान टूटा हुआ आया है तो कुछ सामान ऐसा भेजा गया है जिसके प्रयोग के बारे में अभी तक उन्हें पता ही नहीं चला। बच्चों को समझाने के लिए जगह की कमी है। कमरों में सामान रखने के लिए टेबल तक नहीं हैं। अगर इन किट्स के साथ-साथ बुक लेट दी गई होती तो अध्यापकों के लिए बच्चों को समझाने में आसानी होती। 
अलग से पीरियड न होने के कारण आ रही दिक्कत 
हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के सचिव सतबीर गोयत ने कहा कि सरकार को सरकारी स्कूलों में मैथ और साइंस किट भेजने के स्थान पर साइंस और मैथ टीचर भेजने चाहिए। सरकारी स्कूलों में साइंस टीचरों की भारी कमी है। प्रेक्टिकल के लिए अलग से पीरियड न होने के कारण साइंस टीचर बच्चों को पै्रक्टिकल कराने में असमर्थ हैं। अध्यापकों से बच्चों का सिलेबस भी मुश्किल से पूरा होता है। ऐसे में वे किट का प्रयोग नहीं कर रहे। 
इधर...जांच शुरू 
सर्वशिक्षा अभियान इंचार्ज सुरेंद्र मोर ने मंगलवार को राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में साइंस व मैथ किट की जांच की। दोनों किट्स को खोला ही नहीं गया था। सुरेंद्र मोर ने कहा कि सभी स्कूलों के हेड मास्टर को पत्र लिखकर आदेश दिए गए थे कि इन किट्स के सामान को प्रैक्टिकल के दौरान प्रयोग किया जाए। लेकिन कुछ अध्यापकों की लापरवाही के कारण इन किट्स का प्रयोग ही नहीं किया जा रहा। उन्होंने स्कूल प्रिंसिपल शशि गुलाटी को कहा कि इन किट्स का प्रयोग किया जाए। इस पर प्रिंसीपल का कहना था कि उनके पास साइंस और मैथ अध्यापकों की कमी के साथ-साथ प्रयोगशाला में टेबल की कमी है।                                                  dbktl 


1 comment:

Darshan Lal Baweja said...

मैंने scert व ncert के विशेषज्ञों से इस साइंस किट का प्रशिक्षण लिया है .......मुझे मास्टर ट्रेनर का प्रशिक्षण दिया गया है हर जिले से ४-५ अध्यापक प्राध्यापक MT बनाए गए हैं .....हम आगामी आदेशों के इन्तजार मे हैं .........खुराना जी यह किट बहुत ही उपयोगी हैं

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