.

.

Breaking News

News Update:

How To Create a Website

Sunday 2 February 2014

एचटेट : बोर्ड की जिद के कारण परेशान हुए प्रदेशभर के शिक्षित बेरोजगार

** एचटेट लेवल-3 : 341 केंद्रों पर 1,03,959 परीक्षार्थी प्रविष्ट हुए 
** बसों में बीती ठंडी रात, सुबह पापा को बनना पड़ा मम्मी, चाय की चुस्की तक पड़ी महंगी 
आखिर शिक्षा बोर्ड ने वही किया जो तय था। सेंटर दूर से पास नहीं किए। तय तो प्रदेश के शिक्षित बेरोजगारों का तंग होना भी था, लेकिन क्या करें। सवाल सरकारी नौकरी का जो था। एचटेट का फेर चक्करव्यूह जैसा बन गया। शनिवार को पेपर देने के लिए सिरसा के बेरोजगारों की रविवार की रात रेवाड़ी को जाने वाली बसों में बीती तो रेवाड़ी वालों की फतेहाबाद जाने वाली बसों में बीत गई। जैसे तैसे सेंटरों पर पहुंचे तो पेपर के लिए मारामारी शुरू हुई। महिलाएं अंदर पेपर देने चली गईं। ऐसे में पुरुषों को मम्मी की भूमिका अदा करनी पड़ी और बच्चों को संभाला। सेंटरों के आगे जो समोसा आम दिनों में 6 रुपए का मिलता था, शनिवार को 15 रुपए का मिला। ठंड से बचने के लिए चाय की चुस्की भी 10 रुपए में पड़ी। 
शनिवार 11.30 बजे का समय। रेवाड़ी की सड़कों पर चारों तरफ पसरा घना कोहरा, कंपकपाती सर्द हवा। शहर से 7 किमी दूर नेशनल हाइवे को जाती गढ़ी बोलनी सड़क के आमने सामने बने सोमाणी इंजीनियरिंग कॉलेज और कैंब्रिज स्कूल में हरियाणा शिक्षक पात्रता परीक्षा(एचटेट) चल रही है। दोनों शिक्षण संस्थानों के बाहर सैकड़ों की तादाद में लोग इधर से उधर भटक रहे हैं। कोई अपने कंधे से तीन माह से लेकर तीन साल के मासूम को चिपका कर ठंड से बचाने का प्रयास कर रहे हैं तो अधिकांश ऐसी जगह को तलाशते नजर आए जहां बैठकर रातभर की थकान को मिटा सके। इसी दौरान पांच-दस युवा ऑटो से तेजी से उतरकर स्कूल के गेट के पास पहुंचते हैं, वहां तैनात सुरक्षा गार्ड उन्हें रोक लेता है। युवा गिड़गिड़ाते हैं कि वे फतेहाबाद-हिसार से आए हैं, कोहरे की वजह से देरी हो गईं। गार्ड ने कहा, हम आपकी मजबूरी समझते हैं लेकिन हम भी मजबूर है, अब आप परीक्षा नहीं दे सकते। हताश होकर वे इधर-उधर बैठ जाते हैं। इसी दौरान हरियाणा सरकार की एक गाड़ी आती है जिसमें एक महिला समेत 7 कर्मचारी बैठे हुए हैं। गाड़ी से एक कर्मचारी उतरता है जिसका पूरा शरीर गर्म कपड़ों में ढका हुआ था। गार्ड से पूछता है, परीक्षा यहीं चल रही है, गार्ड ने कहा हां, अरे हम तो धुंध की वजह से आगे निकल गए थे, इतना कहकर तुरंत गाड़ी में बैठ जाता है और दोनों हाथों को तेजी से मसलता हुआ मुस्कारते हुए कहता है कि ठंड बहुत है। पता चला उडऩदस्ता है। कोहरे की चादर में लिपटे रहे समूचे सूबे में एचटेट की परीक्षा के लिए 503 केंद्र बनाए गए थे। अमूमन यहीं स्थिति और पीड़ा प्रदेश के सभी परीक्षा केंद्रों के बाहर नजर आ रही थी। 
अधिकांश परीक्षा केंद्रों पर नजारा हिला देने वाला रहा। सुबह 10.30 बजे शुरू हुई परीक्षा दोपहर एक बजे समाप्त हुईं। सैकड़ों महिलाएं ऐसी थी जो अपने दूधमुंहे बच्चे को घर पर छोड़ नहीं सकती थीं। इन महिलाओं के परिजनों के लिए परीक्षा केंद्र के बाहर इन मासूमों को संभालना चुनौती थी। कंपकंपाने वाली ठंड के बीच घंटों का सफर तथा उसके बाद लगातार 3 घंटे के लिए मां के दूध पर निर्भर बच्चे के लिए मां से अलग रहना कितना मुश्किल रहा होगा, अंदाजा लगाना सहज है। रोते बिलखते बच्चों को पिता ही कभी पानी पिलाकर तो कभी खिलौने दिलाकर बहलाते नजर आए। कई दफा बच्चे बार बार गोदी से उतरकर गेट की तरफ मां से मिलने के लिए दौड़ते तो पुलिस कर्मचारी उन्हें पकड़कर परिजनों को हवाले कर देते। 
केंद्रों के बाहर सुविधा के नाम पर पीने को पानी तक नहीं था। ऑटो से कभी कभार कोई चाय की टंकी व समोसे लेकर आता तो उसे खरीदने के लिए टूट पड़ते। आमतौर पर 6-7 रुपए में मिलने वाला समोसा 15 रुपए में बिका तो छोटे से प्लास्टिक के कप में चाय 10 रुपए में बेचकर एक दिन में हजारों रुपए कमाए।
3 लाख 98 हजार परीक्षार्थियों में 60 फीसदी महिलाएं
दो दिन तक चलने वाली परीक्षा में 1 जिलों में बनाए परीक्षा केंद्रों पर 3 लाख 98 हजार 406 परीक्षार्थी भाग लेंगे। इसमें 60 फीसदी महिलाएं हैं जिसमें 15 हजार से ज्यादा ऐसी हैं जिन पर 3 माह से लेकर 3 साल तक के बच्चे की देखभाल का भी जिम्मा है। 
आज भी होंगे तंग
रविवार को सुबह के सत्र में जेबीटी और शाम को टीजीटी स्तर की परीक्षा होने के कारण लोग शनिवार रात को ही १०० से २०० किमी दूर सेटरों के लिए रवाना हुए। 
12 मामले प्रदेशभर में अनुचित साधन प्रयोग के दर्ज किए 
अंबाला में चार, गुडग़ांव में चार तथा फरीदाबाद, फतेहाबाद, कुरुक्षेत्र व पानीपत में नकल के एक-एक केस दर्ज किए गए। 
105 उडऩदस्तों ने परीक्षा केंद्रों का निरीक्षण किया 
बोर्ड अध्यक्ष के उडऩदस्ते ने हिसार के केंद्रों पर और बोर्ड सचिव के उडऩदस्ते ने कैथल और संयुक्त सचिव के उडऩदस्ते ने फतेहाबाद जिले के परीक्षा केंद्रों छापे मारे। यहां परीक्षाएं शांत वातावरण में चल रही थीं। 
गुस्सा पॉलिसी बनाने वाले अपने बच्चों को दूर सेंटर पर भेजकर देखें 
पॉलिसी का हवाला देकर 100 से 250 किमी दूर सेंटर देने वाले बोर्ड के इस रवैये से युवाओं में जबरदस्त रोष है। आरडीएस कॉलेज परीक्षा केंद्र के बाहर मायूस खड़ी कविता व सुमन ने बताया कि वे परीक्षा के लिए अलसुबह से ही फतेहाबाद व सोहना से चलकर पहुंची, मगर धुंध अधिक होने के कारण बसें धीरे चली। इस कारण परीक्षा में 20 मिनट लेट हो गई। इस कारण उन्हें परीक्षा सेंटर में प्रवेश नहीं करने दिया। वहीं हिसार से आए रमेश व पलवल के पप्पू ने बताया कि उसके रोल नंबर में फोटो साफ है मगर ड्राइविंग लाइसेंस कुछ साल पहले बना होने के कारण फोटो पर आपत्ति जताते हुए अधिकारियों ने उन्हें परीक्षा में बैठने से रोक दिया। इन युवाओं ने कहा कि कमरे में बैठकर पॉलिसी बनाने वाले अधिकारियों से अपील है कि वे एक बार अपने बच्चो को भी दूर परीक्षा केंद्र पर परीक्षा के लिए भेजे ताकि पॉलिसी की हकीकत को भी महसूस कर सके। 
मजबूरी परीक्षा के लिए 4 दिन रहना होगा घर से दूर, धर्मशाला में रहना पड़ेगा 
फतेहाबाद के हरमनदीप सिंह व केवल सिंह अपने पांच व 12 माह के बच्चों को बहलाने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने बताया कि उनकी पत्नियां रिमनजीत कौर व सिकरजीत कौर परीक्षा देने गई हुई हैं। 2 फरवरी को भी उनकी परीक्षा है। इसलिए वे परीक्षा के लिए शुक्रवार को ही रेवाड़ी आ गए थे तथा अब 2 फरवरी को शाम 5.30 बजे परीक्षा खत्म होने के बाद 3 फरवरी को ही यहां से जा पाएंगे। तब वे धर्मशाला में ही चार दिनों तक रुकेंगे। इतना ही नहीं परीक्षार्थियों को अपने निजी वाहन लाने के लिए हजारों रुपए भी खर्च करने पड़े। मेवात के ममता पत्नी मुकेश, फतेहाबाद के गिनी पत्नी सुरेश, निर्मला पत्नी घनश्याम सहित अनेक परीक्षार्थी 3 हजार रुपए तक खर्च कर निजी वाहन बुक कर या अन्य वाहनों में काफी आर्थिक नुकसान उठाकर पेपर देने पहुंचे। कई दंपति ऐसे भी थे जिनमें शनिवार को एक ने परीक्षा दी तो दूसरे ने बच्चों को रखा, वहीं रविवार को दूसरा परीक्षा देगा और वह बच्चों को रखेगा। 
लेट हो गए 7 हजार से ज्यादा, नहीं दे पाए परीक्षा 
शिक्षा बोर्ड के अधिकारियों से मोटे तौर पर मिली जानकारी के मुताबिक करीब 7 हजार से ज्यादा परीक्षार्थी परीक्षा नहीं दे पाए जिसमें 5 हजार के लगभग महिलाएं हैं। परीक्षा नहीं देने की वजह साफ थी। अधिकांश के लिए परीक्षा केंद्र दूर होने के लिए परीक्षा देना आसान नहीं था तो शेष भटकते हुए केंद्र पर पहुंचते तो समय निकल चुका था। अकेले रेवाड़ी में 551 परीक्षार्थी यह परीक्षा देने से रह गए। 
रोडवेज खुश भलाई के साथ हो गई मोटी कमाई 
दो दिन तक चलने वाली यह परीक्षा रोडवेज के लिए किसी तोहफे से कम नहीं है। मोटे तौर पर पहले दिन रोडवेज ने 500 से ज्यादा बसें चलाकर 40 लाख रुपए की कमाई की तो 2 फरवरी को भी रोडवेज को अच्छी खासी कमाई होने की उम्मीद हैं। रविवार को दो चरणों में परीक्षा होगी।                                  db

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.