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Saturday 8 February 2014

बीच में ही टूट गया हाइटेक शिक्षा देने-लेने का सपना

** आधे से ज्यादा एजुसेट सिस्टम खराब, कई दिन से सेटेलाइट से भी नहीं आ रहे सिग्नल 
यमुनानगर : सरकारी स्कूलों में शिक्षा को हाइटेक बनाने का 'सपना' लंबे समय से अलमारी में बंद है। यहां बात हो रही है एजुसेट सिस्टम की। अधिकतर एजुसेट की बैटरियां खराब हैं तो कभी सिग्नल नहीं आने से उन्हें अलमारी से बाहर निकालने का कष्ट नहीं करना पड़ता। बात की जाए तो प्राइमरी स्कूलों के 601 में से 400 और सीनियर सेकेंडरी के 41 में से 19 खराब पड़े हैं। 
हमने तो शक्ल भी नहीं देखी
कक्षा आठवीं के छात्र अरुण से जब एजुसेट बारे पूछा गया तो हम यह सुनकर हैरान रह गए जब उसने बोला ये क्या होता है। उसका कहना है कि एजुसेट आज तक नहीं देखा। इतना तो पता है कि स्कूल की छत पर छतरी (डिश) रखी है। कक्षा 10वीं के विशाल का कहना है कि पहले तो स्कूल में टीवी चलता था, लेकिन काफी समय से देखा तक नहीं। कमरे में एक अलमारी रखी है लेकिन उस पर ताला लगा है।
हमने भी चलते नहीं देखे
अध्यापक प्रदीप सरीन व जयदेव आर्य का कहना है कि जो एजुसेट ठीक हैं वे भी नहीं चलते। सालों से तो हमने भी इन्हें चलता नहीं देखा। बैटरियां कंडम हो चुकी है जिन्हें बदला नहीं गया। अब स्कूलों में सिर्फ टीवी और छत पर डिश ही बची है। अध्यापकों का कहना है कि खराब तो हैं ही साथ में सेटेलाइट से सिग्रल भी नहीं आते। जब सिग्रल ही नहीं आते तो उन्हें ठीक कराने का भी क्या फायदा।
जो ठीक हैं उनमें सिग्नल नहीं : 
जो एजुसेट खराब हैं वो तो बेकार हैं ही लेकिन जो ठीक हैं वे भी चलते नहीं दिखते। इन पर कोई कार्यक्रम आता भी है या नहीं स्कूल के टीचर तो दूर प्रिंसिपल को भी जानकारी नहीं है। जिले में कुल 656 एजुसेट सिस्टम हैं। प्राइमरी में 622 व सेकेंडरी में 34 है, लेकिन प्राइमरी के 400 व सेकेंडरी स्कूलों के 19 एजुसेट बंद हैं। 
क्या है खराबी का कारण : 
एजुसेट सिस्टम में खराबी की सबसे बड़ी वजह इनकी बैटरी है। स्कूलों में एजुसेट सिस्टम वर्ष 2005-06 में स्थापित किए गए थे। बैटरी डेढ़-दो साल तो ठीक चलती है उसके बाद इनकी क्षमता कम हो जाती है। सरकार ने भी एजुसेट सिस्टम लगाने के बाद कोई ध्यान नहीं दिया। जहां बैटरी खराब थी वहां नई नहीं रखी गई। यही वजह है कि पहले एक एजुसेट खराब हुआ, फिर दो हुए। करते-करते यह आंकड़ा सैकड़ों तक जा पहुंचा। 
ठीक करने के लिए सिर्फ एक जेई : 
जिले में एजुसेट की संख्या 656 है। इनमें से 419 खराब हैं। लेकिन इन्हें ठीक करने का जिम्मा सिर्फ एक जेई पर है। पूरे जिले में सिर्फ एक ही जेई है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्कूलों में एजुसेट सिस्टम को सुधारने के लिए सरकार और शिक्षा विभाग कितना गंभीर है। 
49 बैटरी आई है: जेई 
शिक्षा विभाग के जेई विक्रम का कहना है कि 400 से अधिक एजुसेट बंद पड़े हैं। पिछले दिनों 49 बैटरियां आई थी जिन्हें स्कूलों में रखवा दिया था। अन्य एजुसेट को ठीक कराने बारे मुख्यालय को पत्र लिखते रहते हैं।                                        db

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