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Saturday 12 April 2014

समस्याएं बरकरार, ऐसे में कैसे मिले सबको शिक्षा


नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली में ही शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून बेअसर हो रहा है। स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की कमी, प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालयों का मूलभूत ढांचा, शिक्षकों की कमी हकीकत को खुद बयां कर रही है। इतना ही नहीं यहां कई स्कूलों की अपनी इमारतें तक नहीं हैं। सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो राजधानी में हर साल पांच लाख की आबादी बढ़ती है। इसमें बच्चों की संख्या लगभग एक लाख है। ऐसे में स्कूलों का अभाव एक बड़ी समस्या है।संजीव कुमार मिश्र, दक्षिणी दिल्ली1राजधानी के सरकारी स्कूलों की हालत ठीक नहीं है। शिक्षकों की कमी तो है ही, छात्रों को भी कक्षाओं में ठूंस दिया जाता है। बुनियादी सुविधाएं भी छात्रों को नहीं मिल पा रही हैं। स्कूलों में दाखिले के लिए प्रमाण पत्र मांगे जाने, शिक्षकों, शौचालयों एवं बेंचों की कमी जैसे कई मुद्दों पर एलायंस फॉर पीपुल्स राइट ने सर्वे किया है। सर्वे में 131 स्कूलों में गंभीर खामियां मिली हैं।
शिक्षकों का अनुपात नहीं है सही
एलायंस फॉर पीपुल्स राइट के संयोजक अंजनी कुमार ने बताया कि वर्ष 2013 में दिल्ली के छह जिलों में हमने सर्वे किया था। इसमें पता चला कि एक कक्षा में 80 से 120 बच्चे बैठ रहे हैं। कानूनन 40 छात्रों पर एक अध्यापक होना चाहिए, लेकिन स्कूलों में यह अनुपात नहीं दिखा। उन्होंने बताया कि संविदा पर अध्यापकों की नियुक्ति इसका बड़ा कारण है। 
अंजनी का कहना है कि स्कूल दाखिले के समय आयु, आवास प्रमाण पत्र, आधार कार्ड की कॉपी, बैंक अकाउंट, ट्रांसफर प्रमाण पत्र समेत अन्य दस्तावेजों की मांग करते हैं, कानूनी रूप से ऐसा नहीं करना चाहिए।
सर्वे में 66 फीसद स्कूलों में शौचालय गंदे मिले
उत्तरी पश्चिमी, उत्तरी पूर्वी एवं बाहरी दिल्ली के स्कूलों में तो शौचालय की हालत बहुत ही खराब है। इससे बच्चों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं स्कूल आउट डोर गेम सुविधा भी मुहैया नहीं करा पा रहे हैं। दक्षिणी दिल्ली में 30 फीसद स्कूलों में यह सुविधा नहीं थी।
"शिक्षा का अधिकार कानून लागू करने से पहले न तो जरूरी चीजें पूरी की गईं और न ही संसाधन। स्कूल व शिक्षकों की समस्या अब भी है। सरकार को इस पर ध्यान देने की जरूरत है।"--आरसी जैन (सदस्य, दिल्ली स्कूल शिक्षा सलाहकार बोर्ड)
"दिल्ली में भी शिक्षा का अधिकार कानून की हालत बहुत अच्छी नहीं है। इसे पूरी तरह से लागू करने की समय सीमा तीन वर्ष भी बीत चुकी है फिर भी इसे ठीक से लागू नहीं कर पाए। सरकार को बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान देना होगा। केंद्र तथा राज्य सरकार को इस दिशा में मिलकर काम करना होगा। इस कानून को ठीक से लागू न कर पाने वाली सरकारों के प्रति भी जवाबदेही तय होनी चाहिए।"--अंबरीश राय (संयोजक, आरटीई फोरम)  dj

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