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Wednesday 16 April 2014

ड्रॉप आउट बच्चों की दाखिला प्रक्रिया अटकी

** शुरू होने से पहले ही लडख़ड़ाई योजना, बालिका स्कूल को नहीं मिला स्टाफ
नांगल चौधरी : सरकार द्वारा ड्रॉप आउट छात्राओं को शिक्षित करने की योजना बनाई गई थी। योजना के मुताबिक नियामतपुर में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय खोला गया है। किंतु स्टॉफ उपलब्ध नहीं होने के कारण दाखिला प्रक्रिया अटकी हुई है। इसके चलते विभागीय योजना आरंभ होने से पहले लडखड़़ाने लगी है। 
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने आरटीई विधेयक पारित करके शिक्षा को मौलिक अधिकारों में शामिल किया है। विधेयक को साक्षर भारत मिशन तथा सर्व शिक्षा अभियान मेंं विभाजित किया गया है। सर्व शिक्षा अभियान में 6-14 साल के बच्चों को शामिल किया गया है तथा भारत साक्षर मिशन के तहत 14 से अधिक आयु के लोगों को साक्षर बनाया जाएगा। पिछले साल विभाग द्वारा स्कूल से ड्रॉप आउट बच्चों की सर्वे करवाई गई थी। सर्वे में सैकड़ों बच्चे विभिन्न कारणों के चलते शिक्षा से वंचित मिले हैं। हालांकि सरकारी स्कूलों में फीस माफ,निशुल्क वर्दी,किताब, साइकिल मुहैया करवाने की व्यवस्था की गई है। इसके बावजूद कई बच्चे शिक्षण संस्थाओं से दूरी बनाए हुए हैं। इनमें अधिकांश मजदूर वर्ग के बच्चे शामिल हैं। उन्हें शिक्षित करने के मकसद से नियामतपुर में कस्तूरबा गांधी बालिका स्कूल का निर्माण करवाया गया है। जिसमें रहने,खाने एवं पाठ्य सामाग्री निशुल्क मुहैया होगी। 
4 एकड़ में बन रहे है आधुनिक भवन 
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय के लिए नियामतपुर पंचायत से 4 एकड़ जमीन 33 साल के पट्टे पर ली गई है। विभाग द्वारा एक रुपए प्रति एकड़ सालाना किराया पंचायत को दिया जाएगा। स्कूल परिसर में तीन कमरे,स्टाफ रूम व कार्यालय भवन निर्माण लगभग कंप्लीट हो चुका है। छात्रावास सुविधा को लेकर चार बड़े हाल बनाए जा रहे हैं। जिसमें निशुल्क रहने व खाने की सुविधा उपलब्ध होगी। 
तीन महीने में पूरा होगा निर्माण : 
एसएसए के कनिष्ठ अभियंता इंद्रपाल सिंह ने बताया कि कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में छत,प्लॉस्टर,दरवाजे,फर्श, फिटिंग आदि निर्माण पेंडिंग है। जिसके पूरा होने में अधिकतम तीन महीने लगने की संभावना है। स्कूल भवन भूकंप रोधी बनाए गए हैं। 
उच्चाधिकारी स्थिति से अवगत : बीईओ 
खंड शिक्षा अधिकारी ब्रिजेश कुमार ने बताया कि कस्तूरबा गांधी बालिका स्कूल में दाखिले करने के निर्देश मिले हैं। किंतु स्टॉफ उपलब्ध नहीं होने के कारण प्रवेश प्रक्रिया अटकी हुई है। चालू शैक्षणिक सत्र में एक भी दाखिला नहीं हुआ है। स्कूल का निर्माण पूरा होने तक छात्राओं को सीनियर सेकेंडरी स्कूल के अध्यापकों द्वारा उसी संस्था में पढ़ाया जाएगा। 
पिछले साल केवल एक छात्रा पहुंची स्कूल 
विभागीय निर्देशानुसार पिछले साल दो अध्यापिकाओं को डेपुटेशन पर कस्तूरबा गांधी स्कूल भेजा गया था। जिनमें एक अध्यापिका ने ज्वाइनिंग से पहले ही डेपुटेशन रद्द करवा लिया। दूसरी अध्यापिका ने एक दाखिला किया था। इसके बाद डेपुटेशन कैंसिल होने के कारण छात्रा को सीनियर सेकेंडरी में पढऩा पड़ा है। अब निजी एवं विभागीय स्कूलों ने दाखिला अभियान चला रखा है। इधर कस्तूरबा गांधी बालिका स्कूल स्टॉफ के अभाव में पिछड़ रही है।                                                       dbnrnl


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