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Friday 28 November 2014

पदोन्नति नहीं लेने पर क्रमोन्नति के लाभ वापिस नहीं लिए जा सकते

** शिक्षिका की पेंशन से प्राचार्य द्वारा जो कटौती की जा रही है, उसे भी बंद कर कटौती का पैसा वापस किया जाए   
** हाईकोर्ट का आदेश| दृष्टिहीन शिक्षिका की याचिका पर सुनाया फैसला 
इंदौर : हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने एक दृष्टिहीन शिक्षिका द्वारा दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए शासन को आदेश दिए हैं कि शिक्षिका यदि पदोन्नति नहीं लेना चाहती है तो उसे पहले दी गई क्रमोन्नति अन्य सुविधाएं वापस नहीं ली जा सकतीं। यह सेवा शर्तों के खिलाफ है। कोर्ट ने यह भी कहा कि शिक्षिका की पेंशन से प्राचार्य द्वारा जो कटौती की जा रही है, उसे भी बंद कर कटौती का पैसा वापस किया जाए। हाईकोर्ट ने यह आदेश आदिम जाति कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव और सहायक कमिश्नर आदिवासी विकास स्कूल के प्राचार्य को दिए हैं। 
मामले के मुताबिक जिस स्कूल में शिक्षिका पढ़ाती थी, वहां के प्राचार्य इस आदेश को मानने को तैयार नहीं थे। उन्होंने यह कहते हुए क्रमोन्नति के तहत दिए गए एरियर में कटौती करना शुरू कर दी कि हाईकोर्ट ने आदेश पीएस को दिए हैं, मुझे नहीं, इसलिए कटौती की जा रही है। याचिकाकर्ता प्रतिभा नागर मंडलेश्वर स्थित कन्या प्राथमिक स्कूल में सहायक शिक्षक के पद पर पदस्थ थीं। उन्हें 2010 में क्रमोन्नति मिली थी। इसके तहत उनका पद समान था, लेकिन वेतन में इजाफा हो गया था। इसके बाद 11 अप्रैल, 2012 में उन्हें अपर डिवीजन टीचर (यूडीटी) के पद पर पदोन्नति मिली, लेकिन उन्होंने प्रमोशन लेने से इनकार कर दिया। 8 अक्टूबर, 2012 को प्रमोशन का आदेश निरस्त हो गया, लेकिन इसके साथ क्रमोन्नति भी वापस लेने के आदेश जारी कर दिए गए। नागर के 2010 से 2012 के बीच क्रमोन्नति के तहत मिले बढ़े हुए वेतन में से कटौती करना शुरू कर दी। इस पर प्रतिभा ने एडवोकेट आनंद अग्रवाल के जरिए हाई कोर्ट में क्रमोन्नति वापस लेने के आदेश को चुनौती दी। जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव ने शासन के आदेश को निरस्त करते हुए प्रतिभा को क्रमोन्नति का लाभ देने के आदेश जारी किए थे। आदेश नहीं मानने पर अवमानना दायर की थी।                                                                    db

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