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Saturday 4 June 2016

अब फिर से रेगुलर हो सकेंगे कांट्रेक्ट और एडहॉक कर्मचारी

** हुड्‌डा सरकार की रेगुलराइज पॉलिसी पर लगी रोक हटाई 
चंडीगढ़ : विभिन्न विभागों और स्वायत्तशासी संस्थाओं में लंबे समय से एडहॉक और कांट्रेक्ट बेसिस पर काम कर रहे करीब 50 हजार कर्मचारी अब उन्हीं पदों पर रेगुलर हो सकेंगे। इन्हें रेगुलराइज करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार में बनाई गईं रेगुलराइजेशन पॉलिसीज को अब मौजूदा खट्टर सरकार ने हरी झंडी दे दी है। ये पॉलिसीज पिछली सरकार ने दो तरह के कर्मचारियों के लिए बनाई थीं। इनमें एक वे जिन्हें रेगुलर पोस्ट के अगेंस्ट काम करते हुए 3 साल पूरे हो गए हैं और दूसरे वे जिन्हें अपने पद पर काम करते हुए 10 साल पूरे हो गए हैं। इन पॉलिसीज में ग्रुप बी,सी, और डी के कर्मचारी कवर होंगे। 
प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद मौजूदा भाजपा सरकार ने हुड्डा सरकार की रेगुलराइजेशन पॉलिसीज का क्रियान्वयन यह कहते हुए रोक दिया था कि वह कांग्रेस सरकार में विधानसभा चुनाव के 6 महीने पहले लिए गए सभी फैसलों की समीक्षा की जाएगी। भाजपा सरकार का मानना था कि तत्कालीन चीफ मिनिस्टर हुड्डा ने चुनावी फायदा उठाने के लिहाज से ये पॉलिसीज बनाई थीं। अब पॉलिसीज का क्रियान्वयन रोकने वाला आदेश ही सरकार ने विड्रॉ कर लिया है। 
"हमने अपने कार्यकाल में कर्मचारियों समेत विभिन्न वर्गों के हित में महत्वपूर्ण फैसले किए थे। लेकिन इस जन विरोधी और कर्मचारी विरोधी सरकार ने उन फैसलों को रोक दिया था। खैर, अब अगर सरकार ने रेगुलराइजेशन पॉलिसीज को फिर से लागू करने का फैसला किया है तो इससे कर्मचारियों को फायदा होगा"--  भूपेंद्रसिंह हुड्डा, पूर्व सीएम 
54 हजार को फायदा
17,000 गेस्ट, कंप्यूटर और लैब सहायक। 
12,000 बिजली वितरण कंपनियों में। 
8,000 जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग में। 
5,200 शहरी स्थानीय निकाय विभाग। 
5,000 सिंचाई, राजस्व, तकनीकी शिक्षा विभागों में। 
4,200 स्वास्थ्य कर्मी। 
2,500 विश्वविद्यालयों में। 
कर्मचारी कर रहे थे लंबे समय से मांग: 
प्रदेश के विभिन्न कर्मचारी संगठन करीब डेढ़ साल से लगातार अन्य मुद्दों के साथ-साथ एडहॉक या कांट्रेक्ट पर काम कर रहे कर्मचारियों को रेगुलर करने, समान काम, समान वेतन के सिद्धांत के तहत कच्चे कर्मचारियों को रेगुलर वेतनमान देने, पंजाब के बराबर वेतनमान दिए जाने समेत कई मुद्दों को लेकर आंदोलन कर रहे थे। 
कर्मचारियों की कमी, लेना पड़ा फैसला
सरकार इस समय विभिन्न विभागों में स्टाफ की भारी कमी से जूझ रही है। कर्मचारी चयन आयोग के माध्यम से हालांकि करीब 35,000 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन इसमें कुछ वक्त लगने की संभावना है। इधर, विभागों में काम कर रहे अफसरों और कर्मचारी काम का काफी दबाव महसूस कर रहे हैं। इसकी वजह यह है कि पिछली सरकार में चुनाव के ऐनवक्त पर किए गए सेवानिवृत्ति आयु 58 से 60 साल करने के फैसले को भी पलट दिया था। इससे करीब 5,000 से ज्यादा कर्मचारी तो उसी समय रिटायर हो गए थे।                                                        db

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