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Tuesday 2 August 2016

प्रयोगशाला बना शिक्षा विभाग....... टीचर दो, स्टूडेंट एक भी नहीं

जींद : ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को बेहतर व आधुनिक शिक्षा देने के उद्देश्य से जिले के भंभेवा गांव में शुरू किया जाने वाला किसान मॉडल स्कूल आज तक शुरू ही नहीं हो सका। शिक्षा विभाग ने इसके लिए प्रवेश परीक्षा तक भी आयोजित नहीं की, लेकिन आसपास के गांवों के लोगों का रूझान बढ़ाने के लिए यहां पर दो अध्यापको को डेपुटेशन पर भेज दिया। ये दोनों गांव के ही लड़कों के स्कूल में पढ़ा रहे हैं।
पूर्व की कांग्रेस सरकार ने प्रदेश के पांच जिलों यमुनानगर, जींद, करनाल, झज्जर व रोहतक में किसान मॉडल स्कूल खोलने की घोषणा की थी। यही नहीं 2011-12 के सेशन के लिए विभाग ने उसी साल जींद को छोड़कर बाकी जिलों में प्रवेश परीक्षा भी आयोजित की। चार साल बीतने के बाद आज तक भी जींद में प्रवेश परीक्षा नहीं ली गई। अधिकारियों का मानना है कि बच्चों का रुझान नहीं होने के कारण प्रवेश परीक्षा आयोजित नहीं की जा सकी।
मिलनी थी आधुनिक सुविधाएं
किसान मॉडल स्कूल में आधुनिक सुविधाएं दी जानी थी। अंग्रेजी मीडियम स्कूल में नौवीं से 12वीं तक पढ़ाई होनी थी। इसमें विज्ञान, गणित, कॉमर्स की एजुकेशन के साथ-साथ म्यूजिक, पें¨टग व कंप्यूटर की शिक्षा देनी थी, लेकिन यहां शिक्षा के नाम पर कुछ नहीं दिया जा रहा।
बि¨ल्डग का भी पता नहीं
किसान मॉडल स्कूल की घोषणा तत्कालीन शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने की थी। उन्होंने इसके लिए 10 लाख रुपये का बजट भी अलॉट करने की बात कही थी, लेकिन बजट तो दूर बि¨ल्डग का भी आज तक पता नहीं चल सका है। विभाग भी इस तरफ उदासीन रवैया अपनाए हुए है।
बच्चों की रुचि नहीं
"सरकार ने भंभेवा में किसान माडल स्कूल खोलने का निर्णय लिया था। इसके बाद दो टीचरों की ड्यूटी भी लगा दी थी, लेकिन बच्चों का रुझान इस तरफ न होने के कारण योजना अभी आगे नहीं बढ़ सकी है।"-- वंदना गुप्ता, जिला शिक्षा अधिकारी, जींद।                                                    dj

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