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Thursday 7 March 2013

प्रदेश के 15 हजार शिक्षक पदोन्नति से रहेंगे वंचित


प्रदेश सरकार के हाल ही में हजारों मास्टरों को लेक्चरर के पदों पर पदोन्नति करने के फैसले में स्वयं सरकार के ही सेवा नियम आड़े आ रहे हैं। अगर नए सेवा नियमों के तहत मास्टर कैडर की पदोन्नति की जाती है तो प्रदेश के करीब 15 हजार शिक्षक पदोन्नति से वंचित रह जाएंगे। वहीं, शिक्षकों की तरक्की में रोड़ा बने इन नए सेवा नियमों के विरोध में अध्यापक संघ कल प्रदेश भर के जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करेंगे।
विदित है कि शिक्षा विभाग द्वारा प्रदेश से 18 विषयों में मास्टर कैडर वर्ग के पदोन्नति के केस मांगे जा रहे हैं। गत वर्ष 11 अप्रैल को लागू हुए नए सेवा नियमों के अंतर्गत लेक्चरर पदों की पदोन्नति के लिए समान विषय में दो वर्ष का अनुभव और बीएड होना अनिवार्य है। इन्हीं नियमों के अनुरूप ही उम्मीदवारों के पदोन्नति केस स्वीकार किए जाएंगे, अन्यथा शिक्षक पदोन्नति पाने का अधिकार खो देंगे। 
प्रयोगशाला बना शिक्षा विभाग : राठी 
हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के प्रचार सचिव राजेंद्र राठी का कहना है कि प्रदेश सरकार ने शिक्षा विभाग को एक प्रयोगशाला बना दिया हं, जो कि गलत है। विभाग द्वारा लागू किए गए यह नियम किसी भी प्रकार से व्यवहारिक नहीं है। मार्च 2012 से पहले अधिकांश अवसरों पर वरिष्ठता के आधार पर ही पदोन्नति होती रही है। उन्होंने बताया कि इन सेवा नियमों को नव नियुक्तियों के लिए तो लागू किया जा सकता है, लेकिन पिछले 20 से 33 वर्षों लगातार सेवाएं दे रहे शिक्षकों पर यह नियम उपयुक्त नहीं है। संघ की मांग है कि उसी विषय के अनुभव और बीएड की शर्त वापस ली जाएं, ताकि उन शिक्षकों को जरूर लाभ मिले जो नए सेवा नियम लागू होने से पहले ही कार्यरत है। 
विज्ञान शिक्षक होंगे ज्यादा प्रभावित :
शिक्षा नियमों की इस पटरी पर सर्वाधिक नुकसान विज्ञान विषय के शिक्षकों को होगा। हरियाणा मास्टर वर्ग एसोसिएशन के जिला प्रधान राकेश नरवाल ने बताया कि विज्ञान विषयों के शिक्षकों को दूसरे विषयों में पदोन्नति लेने के लिए स्नातकोत्तर की डिग्री होना अनिवार्य है। इसी तरह (सीएंडवी) पीटीआई, ड्राइंग व संस्कृत विषय का मास्टर वर्ग अगर दूसरे विषयों में पदोन्नति लेना चाहता है तो उसे उसी विषय में दो साल का अनुभव होना जरूरी है। नरवाल ने बताया कि शिक्ष मंत्री को भी इस मामले से अवगत कराया गया है, लेकिन उन्होंने विभाग की पॉलिसी बता मामले को टाल दिया। अब प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में नए सेवा नियमों के विरुद्ध मजबूत रणनीति बनाई जाएगी ताकि शिक्षकों को उनका हक मिलें।
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