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Monday 23 September 2013

बच्चे पढ़े नहीं, परीक्षा क्या देंगे

**स्कूलों में खुद मुखिया मान रहे- नहीं हुई पढ़ाई, बोर्ड परीक्षाओं को लेकर जताई चिंता 
**सेमेस्टर की बजाय वार्षिक परीक्षा लेने की मांग, स्कूलों में खाली पद को लेकर कोसा 
जींद. स्कूल मुखिया बैठक करते हुए।
जींद : सरकारी स्कूलों में बच्चों से ज्यादा स्कूल मुखियाओं को बोर्ड परीक्षाओं की चिंता है। खुद स्कूल प्रिंसिपल खुलकर बोल रहे हैं कि जब बच्चे पढ़े ही नहीं तो परीक्षा में लिखेंगे क्या। कुछ लिखेंगे नहीं तो परिणाम क्या आएंगे। बोर्ड को चाहिए कि इस बार सेमेस्टर की बजाय वार्षिक परीक्षा ले ली जाए। 
राजकीय स्कूल प्रिंसिपल इसको लेकर जल्द बोर्ड सचिव से भी मिलेंगे। राजकीय स्कूलों में दसवीं और 12वीं में 14 हजार से अधिक बच्चे हैं। नौंवी से 12वीं तक ही देखें तो 200 के करीब शिक्षकों के पद खाली हैं। 
हालात पर चिंतित हैं प्राचार्य 
राजकीय स्कूलों में शिक्षा और सुविधाओं को लेकर परेशान प्राचार्य अब हालात को कोस रहे हैं। रविवार को शहर के राजकीय कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल में हरियाणा गवर्नमेंट स्कूल प्रिंसिपल एसोसिएशन के नेतृत्व में स्कूल प्रिंसिपल इकट्ठा हुए। अध्यक्षता एसोसिएशन अध्यक्ष हरिप्रकाश ने की। सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कर मांग उठाई गई कि बोर्ड इस बार दसवीं और बारहवीं की सेमेस्टर परीक्षा लेने की बजाय वार्षिक परीक्षा ही ले। 
एसोसिएशन महासचिव रामफल मलिक ने कहा कि स्कूलों में शिक्षकों का टोटा बना हुआ है। पिछले दिनों मिडिल हेड पर पदोन्नति होने के बाद तो शिक्षक और कम हो गए हैं। सरकारी स्कूलों में 22 मई तक तो कक्षा तत्परता कार्यक्रम चला और कक्षाएं बेहतर नहीं लग पाईं। इससे स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई न के बराबर हुई है। अब सेमेस्टर परीक्षा होगी तो रिजल्ट बेहतर आना संभव नहीं है। रिजल्ट खराब आने से विद्यार्थियों का भविष्य और शिक्षकों का रिकार्ड खराब होगा। इस दौरान विजय गुप्ता, नरेश वर्मा, रघुभूषण गुप्ता, जगमिंद्र रेढू, राजेश शर्मा, रामकुमार गर्ग, सतबीर नेहरा, विनय जिंदल, दयाचंद, महावीर श्योराण, रामनिवास शर्मा, रमेश मलिक व राजेंद्र कुंडू ने विचार-विमर्श किया। 
"सरप्लस शिक्षकों को खाली पदों पर भेजकर काम चलाया जा रहा है। स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित न हो इसके लिए स्कूल मुखियाओं और शिक्षकों को भी अपने स्तर पर प्रयास करने चाहिए। खाली पद सरकार को भरने हैं। कई बार सरप्लस शिक्षकों को ही बदलते हैं तो ग्रामीण शिक्षक के पक्ष में उठ खड़े होते हैं।"- संतोष ग्रोवर, डीईओ, जींद 
स्कूलों पर लग रहे ताले 
स्कूलों में शिक्षकों की कमी के कारण सितंबर में भी कई जगह स्कूलों पर तालाबंदी हुई। 9 सितंबर को शिक्षकों के खाली पदों को लेकर भिड़ताना स्कूल पर ग्रामीणों ने ताला लगाया। 13 सितंबर को हाट गांव के स्कूल में विद्यार्थियों ने शिक्षकों के खाली पदों पर रोष प्रकट किया। 17 सितंबर को बेलरखां राजकीय मॉडल संस्कृति स्कूल के बच्चों ने जाम लगाया और स्कूल पर ताला लगाकर शिक्षक देने की मांग की। 
कैसे पास होंगे बच्चे 
"सेमेस्टर सिस्टम के अनुसार प्रथम सेमेस्टर के 40 प्रतिशत और द्वितीय सेमेस्टर परिणाम से 60 प्रतिशत वैटेज मिलती है। स्कूलों में शिक्षकों की कमी और कक्षा तत्परता कार्यक्रमों के कारण पढ़ाई बेहतर नहीं हो पाई। परिणाम पहले सेमेस्टर में सही नहीं आएगा तो दूसरे सेमेस्टर के बेहतर परिणाम का फायदा ही नहीं है। ऐसे में इस बार वार्षिक परीक्षा की जरूरत है।" - हरिप्रकाश, प्रधान, प्रिंसिपल एसो. 
बोर्ड ने थोप दी चेकिंग 
"खराब रिजल्ट की आशंका के चलते बोर्ड ने दसवीं कक्षा की उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन का दायित्व स्कूल स्तर पर ही दिया है। अब संकट में स्कूल मुखिया और शिक्षक हैं। बच्चों की पढ़ाई अच्छी नहीं हुई और रिजल्ट बेहतर नहीं आना है। रिजल्ट खराब आया तो अभिभावक उन्हें कोसेंगे।" - रघुभूषण गुप्ता, पूर्व महासचिव, प्रिंसिपल एसोसिएशन जींद

बोर्ड परीक्षाओं की तारीख तय 
बोर्ड परीक्षाओं की तारीख तय हो चुकी है। 27 सितंबर से दसवीं और 4 अक्टूबर से बारहवीं कक्षा की परीक्षाएं शुरू होंगी। स्कूल मुखिया इस बार बोर्ड से सेमेस्टर परीक्षाएं ही न लेकर सीधे वार्षिक परीक्षा लेने की गुहार लगा रहे हैं। खुद सरकारी स्कूल मुखया मान रहे हैं कि स्कूलों में पढ़ाई हुई ही नहीं। इसका कारण शिक्षकों की कमी बताई गई है। दूसरी तरफ आठवीं कक्षा तक बोर्ड को ही पुस्तकें उपलब्ध करवानी थीं जोकि अभी तक सभी स्कूलों में नहीं पहुंची हैं। इस बार शिक्षा के नाम पर विद्यार्थी स्कूल जरूर पहुंचे, लेकिन बेहतर शिक्षा नहीं ले पाए। 
ये हैं प्राचार्यों की मांगें 
  • बोर्ड की दसवीं व बारहवीं की परीक्षा इस बार सेमेस्टर की बजाय वार्षिक हो। 
  • बच्चों की बेहतर पढ़ाई के लिए शिक्षकों की कमी को पूरा किया जाए। 
  • बोर्ड ने सभी फार्म इस बार ऑनलाइन भरवाए, जबकि स्कूलों में सुविधा ही नहीं है। इसे दुरुस्त किया जाए। 
  • बोर्ड परीक्षा के दौरान प्रमुख केंद्र अधीक्षक का मानदेय 60 रुपए से बढ़ाकर 500 रुपए प्रतिदिन हो। 
  • आरएमएस के तहत करवाए जा चुके निर्माण कार्यों की तीसरी किस्त तुरंत जारी हो। 
  •  वेतन के लिए बजट नियमित रूप से जारी हो।   ...db

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