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Sunday 2 February 2014

अंतर जिला विज्ञान प्रदर्शनी में मॉडलों के निरीक्षण पर उठाए सवाल

** प्रतिभागियों को अवलोकन में कम समय देने का मलाल 
नारनौल : राजकीय पीजी कॉलेज में शुक्रवार को संपन्न हुई अंतर जिला विज्ञान प्रदर्शनी के प्रतिभागियों ने मॉडलों का सही ढंग से निरीक्षण नहीं करने का आरोप लगाया है। उनको प्रदर्शनी के परिणाम से कोई शिकायत नहीं है बल्कि अवलोकन में कम समय देने की वजह से उनकी बात सही ढंग से नहीं सुनी जाने होने का मलाल है। 
भविष्य में कार्रवाई के डर से नाम नहीं छापने की शर्त पर कुछ प्रतिभागियों ने बताया कि प्रदर्शनी में 19 कॉलेजों के विद्यार्थियों ने 62 मॉडल प्रस्तुत किए जबकि निर्णायक मंडल ने 3 घंटे से भी कम समय में इनके निरीक्षण का काम पूरा कर लिया। एक मॉडल पर 3 मिनट से भी कम समय दिया गया। इतने कम समय में मॉडल की वर्किंग, उद्देश्य, प्रतिभागी की सोच आदि का पता लगाना मुश्किल होता है। 
उनका आरोप है कि प्रतिभागी अपनी बात खत्म नहीं कर पा रहा था कि टीम आगे बढ़ जाती। इससे प्रतिभागियों में निराशा है कि वे इतने दिन से तैयारियों में जुटे थे और समय आया तो उनकी बात को ना तो ढंग से सुना गया और ना ही ढंग से उनकी सोच यानि मॉडल्स को देखा गया। उनको लगता है कि मॉडल के माध्यम से वे जो बताना चाहते थे उसको अनदेखा कर दिया गया। 
उनकी मांग है कि भविष्य में मॉडलों के निरीक्षण की समयावधि बढ़ाई जाए ताकि प्रतिभागी की सोच व भावनाओं का सही अवलोकन हो सके। 
प्रतिभागियों का आरोप है कि निर्णायक मंडल में तीन ही विषयों बोटनी, फिजिक्स व ज्योग्रॉफी के विशेषज्ञ शामिल थे। जबकि मॉडल सात विषयों फिजिक्स, केमेस्ट्री, ज्योग्रॉफी, बोटनी, ज्यूलॉजी, कंप्यूटर साइंस व साइकॉलोजी से संबंधित प्रदर्शित किए गए थे। 
 उनकी मांग है कि सभी संबंधित विषयों के विशेषज्ञ निर्णायक मंडल में शामिल किए जाएं तथा जिस उद्देश्य से प्रदर्शनी आयोजित की जाए उसके अनुसार बच्चों को हतोत्साहित करने की बजाए उसको प्रोत्साहित किया जाए ताकि वह और बेहतर ढंग से काम कर सके। 
आरोपों के संदर्भ में जब प्रदर्शनी संयोजक डॉ जगमेश जाखड़ से संपर्क किया गया तो उनका कहना था कि आरोप बेबुनियाद हैं। आरोप वे ही लगाते हैं जो असफल रहते हैं। अगर किसी को कोई आपत्ति थी तो वे शुक्रवार को ही सवाल उठाते। फिर भी अगर किसी को कोई आपत्ति है तो वह उनसे मिले। उसकी हर शिकायत दूर की जाएगी। 
मॉडल को देखने मात्र से हो जाता है अभास : प्राचार्य 
कॉलेज प्राचार्य भूपसिंह का कहना है कि मॉडल को देखने मात्र से उसकी थीम व वर्किंग का पता लग जाता है। विषय विशेषज्ञ को मॉडल के अवलोकन के लिए तीन चार मिनट काफी होती हैं। निर्णायक मंडल में सेवा निवृत्त विषय विशेषज्ञों को शामिल किया गया था तथा सभी मॉडल को कोड नंबर दिए गए थे। इसलिए किसी के साथ भेदभाव का प्रश्न ही नहीं उठता। प्रदर्शनी का मतलब ही बच्चे की वैज्ञानिक सोच उभारने व आगे बढ़ाने के लिए मंच उपलब्ध कराना है तो फिर इसमें गलत कैसे हो सकता है। सभी प्रतिभागियों को पॉजिशन देना संभव नहीं है। प्रदर्शनी में सभी मॉडल अच्छे थे। बाद में सवाल उठाना गलत है। मौके पर कोई बात होती तो समाधान भी किया जाता।                                                     db

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