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Tuesday 8 April 2014

डेढ़ साल से बिना वेतन साक्षर बनाने में जुटे प्रेरक शिक्षक

** मिशन में करोड़ों के बजट की व्यवस्था किंतु अध्यापकों को देने के लिए पैसे नहीं
नांगल चौधरी : महंगाई के दौर में आमजन रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं। सरकारी नौकरी नहीं मिलने के कारण अधिकांश युवा निजी कंपनियों में काम-धंधा करने को मजबूर हैं। जिन्हें निर्धारित दैनिक वेतन के मुताबिक पगार मुहैया करवाने के निर्देश हैं। लेकिन विभागीय निर्देश साक्षर भारत मिशन पर लागू नहीं हैं। जिसके तहत सैकड़ों शिक्षक बिना वेतन अक्षर ज्ञान देने में जुटे हैं। 
6 से 14 साल तक के बच्चों को पढ़ाने की योजना 
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार द्वारा 2007 में आरटीई विधेयक पारित किया गया था। जिसमें 6-14 वर्ष के बच्चों को सर्व शिक्षा अभियान व इससे अधिक उम्र के लोगों को साक्षर भारत मिशन के तहत पढ़ाने की व्यवस्था की गई है। योजना को अमलीजामा पहनाते हुए सरकार द्वारा जिला स्तर पर कार्यालय खोलकर विभिन्न गांवों के अनपढ़ लोगों को पढ़ाने की मुहिम चलाई गई है। विभाग ने प्रेरक, वालियंटर शिक्षक,ब्लॉक कॉर्डिनेटर व अन्य पोस्ट सैंक्शन कर रखी हैं। विभागीय निर्देशानुसार अक्टूबर 2012 में पंचायत स्तर पर दो प्रेरक भर्ती किए गए हैं। इनमें एक महिला को अनिवार्य रूप से शामिल किया गया है। खंड की 64 पंचायतों में 128 प्रेरकों ने कार्यभार संभाल लिया है। इसके अलावा प्रत्येक पंचायत में दो वालियंटर अध्यापक (वीटी) नियुक्त किए गए हैं। जोकि पिछले करीब डेड साल से बिना वेतन लिए भारत को साक्षर बनाने में लगे हुए हैं। 
वेतन की व्यवस्था नहीं, सम्मानित करेंगे : 
भारत साक्षर मिशन के जिला संयोजक सुरेश चौधरी ने कहा कि अधिकांश पंचायतों में शिक्षक नियुक्त किए गए हैं। जिनके लिए मिशन में वेतन की व्यवस्था नहीं है। उनका हौंसला बढ़ाने के लिए 15 अगस्त तथा 26 जनवरी के अवसर पर सम्मानित किया जाता है। प्रेरकों को प्रतिमाह दो हजार रुपए मानदेय और शिक्षार्थियों को पाठ्य                                                  dbrwd

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