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Friday 18 April 2014

सरकारी स्कूलों में बिना बजट के शुरू हुए तत्परता कार्यक्रम

** शहर में स्कूलों में 3500 बच्चे रहे अनुपस्थित, स्कूलों में बच्चों की घटने लगी संख्या 
** बच्चों ने कहा, किराया लगाकर तत्परता कार्यक्रम में नहीं हो सकते शामिल 
कैथल : सरकारी स्कूलों में गुरुवार से कक्षा तत्परता कार्यक्रम शुरू हो गया है। कक्षा तत्परता कार्यक्रम में अधिकतर बच्चे शामिल ही नहीं हुए। बिना बजट के 17 अप्रैल से 24 मई तक चलने वाले इस छह सप्ताह के कार्यक्रम में बच्चे रूचि नहीं दिखा रहे। ज्यादातर बच्चों ने स्कूल में आना ही छोड़ दिया। शहर के सरकारी स्कूलों में 3500 के करीब बच्चे गुरुवार को गैरहाजिर रहे। सरकारी स्कूलों में एक दिन पहले ही प्रिंसिपल और हैडमास्टर ने बच्चों को बता दिया था कि गुरुवार को कक्षा तत्परता कार्यक्रम के दौरान व्यायाम, योग व अन्य गतिविधियां कराई जाएंगी। 
हम नहीं दे सकते किराया : 
सरकारी स्कूल में पढऩे वाले बच्चों सुरेश, अमित, रमेश, हरित, सुमन, रीतू, प्रवीण, सुभाष, हरनीत व प्रमोद ने बताया कि शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों में अध्यापकों की कमी पूरी करने के स्थान पर ऐसी गतिविधियां थोप रही है जिनका पढ़ाई पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। उन्हें एक दिन पहले ही पता चल गया था कि स्कूल में पढ़ाई नहीं होगी, बल्कि कक्षा तत्परता कार्यक्रम के तहत विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लेना है। वे किराया लगाकर शहर के स्कूलों में पढऩे के लिए आते हैं। उन्हें ऐसे कार्यक्रमों के दौरान रिफ्रेशमेंट तक नहीं दिया जाता। 
तत्परता कार्यक्रम की अवधि में सुधार हो 
हरियाणा अध्यापक संघ के सचिव सतबीर गोयत का कहना है कि कक्षा तत्परता कार्यक्रम पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों के लिए ही किए जाने चाहिए। इन कक्षाओं को ऐसे कार्यक्रमों की जरूरत भी है, लेकिन बड़ी कक्षाओं के बच्चों के पास समय कम होता है। उन्हें वार्षिक परीक्षा के लिए सिलेबस ही पूरा करना मुश्किल होता है। इस कार्यक्रम का समय भी कम किया जाना चाहिए, ताकि अध्यापक सिलेबस पूरा कराकर बच्चों की वार्षिक परीक्षा के लिए तैयारी करवा सकें। लेकिन ऐसे कार्यक्रमों के कारण न बच्चों के पास पढऩे का समय होता है और न अध्यापकों के पास पढ़ाने का समय होता है।
शिक्षा विभाग के आदेशों को लागू कराया 
सर्व शिक्षा अभियान के संयोजक बलजीत सिंह ने बताया कि हर वर्ष सरकारी स्कूलों में कक्षा तत्परता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इसके लिए एसएसए के पास कोई बजट नहीं आया। उन्होंने डीईओ के माध्यम से सरकारी स्कूलों में तत्परता कार्यक्रमों का आयोजन करवाकर शिक्षा विभाग के आदेशों को लागू कराया है।                                    db

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