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Thursday 6 July 2017

स्कूलों में नंबर लाने की रेस छोड़ सीखने की ललक पैदा करें टीचर

** दो दिवसीय शाला सिद्धि हरियाणा सुधार हेतु मूल्यांकन स्कूल मानक एवं मूल्यांकन रूपरेखा मंडलस्तरीय कार्यक्रम
** टीचर बोर्ड पर लिखवा देते हैं, मगर प्रेक्टिकल कभी नहीं करवाते
** टीचर 19वीं सदी के, विद्यालय 20वीं सदी के और विद्यार्थी 21वीं सदी के 
अम्बाला सिटी :  सरकारी स्कूलों में टीचर नंबर लाने की रेस छोड़कर विद्यार्थियों में सीखने की ललक पैदा करें। विद्यार्थियाें में दिमाग है, क्षमता भी है। लेकिन ईमानदारी से टीचरों को प्रयास करने की जरूरत है। विद्यार्थी ज्यादातर प्रेक्टिकल नॉलेज से सीखता है, मगर टीचर स्कूलों में बोर्ड पर लिखवा देते हैं। कभी प्रेक्टिकल नहीं करवाते। 
जिससे बच्चों को टीचर नंबरों के बोझ से उलझा रहे हैं। बुधवार को पीकेआर जैन गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल सिटी में दो दिवसीय शाला सिद्धि हरियाणा सुधार हेतु मूल्यांकन स्कूल मानक एवं मूल्यांकन रूपरेखा मंडलस्तरीय कार्यक्रम हुआ। राज्य नोडल अधिकारी डाॅ. अजय बलहारा ने मुख्य प्रशिक्षक के तौर पर पांच जिलों के 360 प्रिंसिपल को सुधार हेतु मूल्यांकन के लिए संबोधित किया। उन्होंने प्रिंसिपल को सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं की कमी होते हुए भी स्कूलों का स्टैंडर्ड बनाने के लिए प्रेरित किया। 
कार्यक्रम का शुभारंभ एडीसी आरके सिंह, जिला शिक्षा अधिकारी उमा शर्मा, डीपीसी रविंद्र अहलावादी ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इसके उपरांत राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय पुलिस लाइन की छात्राओं ने सरस्वती वंदना और पीकेआर जैन गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल की छात्राओं ने स्वागत गीत प्रस्तुत किए। 
डीईओ और डीपीसी ने मुख्यातिथि एडीसी आरके सिंह को एक पुस्तक पौधा भेंट करते हुए कार्यशाला में उपस्थित सभी जनों का कुशल मार्गदर्शन करने के लिए धन्यवाद किया। स्कूल प्रिंसिपल अमिता नागपाल का कार्यक्रम में अहम योगदान रहा। 
टीचर 19वीं सदी के लिए विद्यार्थी 21वीं सदी के: 
सरकारी स्कूलों के पिछड़े का कारण टीचरों के 19वीं सदी का होना भी है, क्योंकि विद्यार्थी 21वीं सदी के हैं और विद्यालय 20वीं सदी के। पुराने ढर्रे पर स्कूल चल रहे हैं। स्कूलों में कोई चेंज नहीं है। अगर किसी पुस्तक में कुछ बदलाव होता है तो ज्यादातर स्कूलों में बदलाव होने के बाद भी पुरानी सिलेब्स वाली पुस्तकें ही पढ़ाई जा रही है। विद्यार्थी 21वीं सदी हैं, उन्हें ई-बुक्स चाहिए। 
लेकिन स्कूलों में पर्याप्त संसाधन से उपलब्ध नहीं हो पाते। शिक्षक होने के बाद नाते लाइब्रेरी में अपडेट कर कैटेगरी वाइस पत्र-पत्रिकाओं को लगाकर बेहतर बनाएं। 
देर से शुरू हुआ कार्यक्रम 
दो दिवसीय कार्यक्रम के पहले दिन अम्बाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, कैथल, पंचकूला के प्रिंसिपल ने भाग लिया। कार्यक्रम का समय 10.30 बजे रखा गया था। मगर मुख्यातिथि एडीसी आरके सिंह 11.15 बजे के बाद पहुंचे। इसके उपरांत 12.30 बजे के बाद टी ब्रेक के बाद कार्यक्रम शुरू हुआ। आज कार्यक्रम का दूसरा दिन होगा। 
मूल्यांकन तभी करें जब सुधार के लिए कुछ करना हो 
केंद्र सरकार द्वारा करवाए गए सेमिनार में प्रिंसिपल को सुधार हेतु मूल्यांकन के लिए वर्कशॉप में समझाया जा रहा है। मूल्यांकन में सभी प्रिंसिपल को स्कूल के इंफ्रास्ट्रक्चर, टीचरों की संख्या, शौचालय, मैदान, पुस्तकालय सहित अन्य महत्वपूर्ण जानकारी विभाग को देनी है। मूल्यांकन करने के लिए तीन स्तर रखे गए हैं। स्कूल में विभिन्न सुविधाओं को स्तर में बांटकर सुधार के लिए मूल्यांकन किया जाना हैं। प्रिंसिपल को स्पष्ट कहा गया है कि जो स्कूल में सुविधा नहीं है, उसकी जानकारी को गलत भरें, अगर नहीं है ताे नहीं ही भरें, क्योंकि ज्यादातर स्कूलों में देखने में आया है कि स्कूल में पुस्तकालय तो हैं। लेकिन उसका इस्तेमाल कभी नहीं हुआ। टीचर उसकी भी जानकारी हां में भर देते हैं।

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