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Wednesday 17 July 2013

फेल छात्रा ने आरटीआई से पास किया एचटेट


बवानी खेड़ा (भिवानी). एच टेट 2011 के लिए शिक्षा बोर्ड लगातार चर्चा में बना रहता है। नया मामला उस दौरान एक परीक्षार्थी की उत्तर पुस्तिका को दूसरे कोड की उत्तर कुंजिका द्वारा चेक किया जाना है। 19 महीने के प्रयास और मामला सूचना आयोग तक ले जाने के बाद बोर्ड द्वारा जो रिजल्ट जारी किया गया, उसमें परीक्षार्थी उत्तीर्ण है।
बोर्ड द्वारा पांच और छह नवंबर 2011 को अध्यापक पात्रता परीक्षा ली गई थी। इस दौरान लगभग साढ़े चार लाख ने यह परीक्षा दी। तीन एंजेसियों और आईएएस अधिकारियों की देखरेख में इसका परिणाम तैयार करने में 25 दिन का समय लगा। परिणाम दो दिसंबर 2011 को घोषित किया गया। परीक्षा के समय बोर्ड ने किसी को भी परीक्षा केंद्र से प्रश्नपत्र बाहर नहीं ले जाने दिया। 15 महीने तक कोई उतर कुंजी भी जारी नहीं की। प्रश्न पत्र, ओएमआर और उत्तरपुस्तिका हासिल करने में पूरे प्रदेश से बोर्ड में  5000 से अधिक आरटीआई लगी। इनमें 800 से अधिक आरटीआई राज्य सूचना आयोग के पास पहुंची।
दिल्ली निवासी तेजसिंह हुड्डा ने बताया सात मई 2013 को बोर्ड अधिकारियों ने उसकी बेटी अनुराधा की ओमएमआर सीट, प्रश्न पत्र की प्रति दी जिस पर ई कोड लिखा हुआ था। मगर उन्हें उत्तरपुस्तिका ए कोड की दी। ए कोड के अनुसार उसकी बेटी को 45 अंक तथा बोर्ड द्वारा डाली गई ई कोड से 121 अंक बन रहे थे। यह देख उन्होंने इसकी शिकायत बोर्ड सचिव से की। मगर बोर्ड ने उसकी शिकायत को नजरअंदाज कर दिया। इसके बाद उन्होंने राज्य सूचना आयोग को झूठी सूचना देने की शिकायत की। जिसकी सुनवाई एक जुलाई 2013 निर्धारित की गई। एक जुलाई को बोर्ड अधिकारियों को आयोग ने इस मामले में फटकार लगाई। बोर्ड अधिकारियों जवाब था कि उन्होंने 28 जून 2013 को रिजल्ट रिवाइज किया है।   
"प्रिंटिंग एरर के कारण ऐसा हुआ है। अनुराधा ने ई कोड का पेपर दिया था। मगर प्रश्नपत्र छापने और उसे चेक करने वाले ने गलती से बार कोड में ए कोड कर दिया। इस मामले में हमने प्रिंटिंग वाले पर पांच हजार रुपये पैनल्टी भी लगाई है।"--एमएल पुरुथी, एचटेट ब्रांच प्रभारी, शिक्षा बोर्ड, भिवानी।
तीन बार ली सूचना आयोग की शरण :
तेजसिंह हुड्डा ने बताया मैंने बेटी के प्रश्नपत्र के अलावा उत्तरपुस्तिका की ओएमआर सीट लेने का प्रयास किया। इसके लिए बोर्ड में पहली आरटीआई दिसंबर 2011 को लगाई। वहीं राज्य सूचना आयोग ने बोर्ड को सितंबर 2012 को ओएमआर सीट निरीक्षण कराने के आदेश किए। 25 सितंबर 2012 से बोर्ड ने सभी को ओएमआर, प्रश्न पत्र व उत्तरपुस्तिका सीट का निरीक्षण दिखाया। मगर उन्हें थर्ड पार्टी मान इसके लिए मना कर दिया।
इस पर उन्होंने दोबारा आरटीआई लगाई। इस पर बोर्ड ने सात जनवरी 2012 को बोर्ड के अंदर पेपर का निरीक्षण तो कराया पर उसमें पेपर कोड नहीं था। इससे संतुष्ट न होकर दोबारा असली प्रश्नपत्र, उत्तरपुस्तिका तथा ओएमआर सीट के लिए राज्य सूचना आयोग का दरवाजा खटखटया। उसी के आधार पर 7 मई 2013 जो प्रश्न पत्र, ओएमआर उपलब्ध करवाए वो सब ई कोड के थे। मगर इस दौरान उन्हें जो उत्तरपुस्तिका जारी की वह ए कोड की थी। इसके बाद उन्होंने बोर्ड द्वारा डाली गई ई कोड से मिलान किया तो उसकी बेटी के 121 अंक बन रहे थे।
इसके बाद उन्होंने इसकी शिकायत राज्य सूचना आयोग को की। इस पर अनुराधा को अब जाकर न्याय मिला है।  ...db

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