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Tuesday 16 July 2013

शिक्षा विभाग का नया फरमान विवादों में



भिवानी : एक ओर जहां प्रदेश सरकार शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने के दावे करती है, वहीं दूसरी ओर सरकारी स्कूलों में गिरते परीक्षा परिणामों से हुई किरकिरी से बचने के लिए प्रदेश शिक्षा विभाग द्वारा सभी सरकारी व गैर सरकारी मान्यता प्राप्त स्कूलों में वर्तमान शिक्षा सत्र में प्रथम सेमेस्टर की परीक्षाएं हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड से संचालित न करवा स्कूल स्तर पर करवाने क ा फैसला करके एक नयी को बहस को जन्म दे दिया गया है।
शिक्षा विभाग इस फैसले के पीछे यह तर्क दे रहा है कि  स्कूलों मेें कार्यदिवस कम होने के कारण न तो अध्यापक पूरा सिलेबस पढ़ा  पाते थे और न ही छात्र तैयारी कर पाते थे। इसी बात को ध्यान में रखते हुए शिक्षा विभाग व हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने नयी प्रणाली अपनाने का निर्णय लिया है। यह प्रणाली दसवीं तक सीबीएसई द्वारा पहले से अपनाई जा रही है लेकिन हरियाणा के ठीक विपरीत सीबीएसई द्वारा दस जमा दो परीक्षाओं में सेमेस्टर की बजाए वार्षिक परीक्षाएं आयोजित की जाती हंै और वे भी केवल बोर्ड स्तर पर।
शिक्षा विभाग अपने नए फैसले को लेकर चाहे कोई भी तर्क दे लेकिन शिक्षाविद्ध, अध्यापक यूनियनों तथा आम जन के गले यह फैसला नहीं उतर रहा। इनका कहना है कि दसवीं तथा बारहवीं परीक्षाओं के बोर्ड द्वारा घोषित निम्र स्तर के परीक्षा परिणामों से चौतरफा हो रही आलोचना से बचने  के लिए शिक्षा विभाग ने नया फैसला लिया है।
गौरतलब होगा कि जून 2013 में हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड द्वारा घोषित परीक्षा परिणामों ने प्रदेश में शिक्षा के स्तर की चूलें हिला दी हैं। हरियाणा शिक्षा बोर्ड के तहत प्रत्येक वर्ष 10 वीं में 4 लाख तथा 12 वीं में 3 लाख छात्र-छात्राएं परीक्षा के लिए बैठते हैं। इस वर्ष 10 जमा 2 परीक्षा परिणाम जहां 59 प्रतिशत रहा, वहीें दसवीं का परीक्षा परिणाम महज 50 फीसदी पर सिमट कर रह गया। यह भी तब जब बोर्ड द्वारा अतिरिक्त ग्रेस नंबर भी दिए गए जबकि सीबीएसई के तहत परीक्षा परिणाम  नब्बे फीसदी से अधिक रहे। हरियाणा में तो दसवीं के 15 स्कूलों का परीक्षा परिणाम जहां शून्य रहा वहीं तीन दर्जन स्कूल केवल 5 फीसदी से नीचे रह गये।
खराब परीक्षा परिणामों के बाद आरोपों-प्रत्यारोपों का सिलसिला आरंभ हो गया। शिक्षा मंत्री ने खराब परीक्षा परिणाम को लेकर अध्यापकों को कड़ी चेतावनी दी जबकि शिक्षक संघों ने सेमेस्टर प्रणाली को ही दोषपूर्ण बता दिया।
चार दिन पूर्व चंडीगढ़ में संपन्न हुई प्रदेश के शिक्षा विभाग व हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के उच्च अधिकारियों की बैठक मेें प्रदेश के सभी सरकारी व गैर सरकारी मान्यता प्राप्त स्कूलों मेें वर्तमान शिक्षा सत्र से प्रथम सेमेस्टर की परीक्षाएं बोर्ड की बजाए स्कूल स्तर पर करवाने का फैसला ले लिया गया। इस बारे में विस्तृत रूपरेखा तय करने के लिए 22 व 23 जुलाई को पुन: अधिकारियों की बैठक  बुलाई गई है। बोर्ड अधिकारियों के अनुसार यह तो तय है कि प्रथम सेमेस्टर की परीक्षाएं स्कूल ही लेंगे लेकिन प्रश्न पत्र बोर्ड भेजेगा औरउनका मूल्यांकन स्कूल ही अपने स्तर पर करेंगे। शेष नियम व कायदे 22-23 जुलाई की बैठक में तय होंगे।
शिक्षा विभाग के इस फैसले से उन स्कूलों के अध्यापकों ने राहत की सांस ली है जिनके परीक्षा परिणाम शून्य अथवा काफी नीचे रहे थे। चर्चा है कि एक सेमेस्टर के अंक जब स्कूल के अध्यापकों द्वारा मूल्याकंन करके दिए जाएंगे तो बच्चों के फेल होने की संभावना भी कम हो जाएगी क्योंकि कोई भी अध्यापक यह नहीं चाहेगा कि उसका परीक्षा परिणाम घटिया हो। हरियाणा मेें विभाग ने एक कदमआगे बढ़ते हुए दस जमा दो कक्षाओं के लिए भी नया फार्मूला इजाद कर लिया है।  ..dt

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