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Thursday 2 January 2014

शिक्षकों की कमी से बेहतर परिणाम की उम्मीद बेमानी


करनाल : अतिथि शिक्षकों की संख्या को एक ओर रख दिया जाए तो जिले में एक हजार 616 नियमित शिक्षकों के पद रिक्त हैं। जबकि अतिथि शिक्षकों को शामिल कर लिया जाए तो भी सरकारी स्कूल में 649 शिक्षकों की कमी है। ऐसे में बच्चों के बेहतर परीक्षा परिणाम की उम्मीद करना बेमानी है। यह नहीं, कार्यरत शिक्षक भी अतिरिक्त शिक्षण कार्य का दबाव ङोल रहे हैं। अध्यापकों की ड्यूटी गैर शैक्षणिक कार्य में लग जाने पर समस्या और अधिक गहरा जाती है। 
जिले में 490 राजकीय प्राथमिक पाठशाला, 90 राजकीय माध्यमिक विद्यालय, 74 राजकीय उच्च विद्यालय व 76 राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय हैं। प्राथमिक विद्यालयों में दो हजार 420 जेबीटी शिक्षक के पद स्वीकृत हैं। एक हजार 793 नियमित हैं तो 450 अतिथि शिक्षक। सीएंडवी के एक हजार 204 पद मंजूर हैं, जबकि 995 पर नियमित और 85 पर अतिथि शिक्षक इन पदों पर कार्यरत हैं। मास्टर के एक हजार नौ पद पर नियमित शिक्षक और 291 पर अतिथि शिक्षक कार्यरत है। लेक्चरर के 643 पद स्वीकृत हैं जबकि 434 पर नियमित शिक्षक व 141 पर अतिथि शिक्षक कार्य कर रहे हैं।शिक्षाविद कृष्ण कुमार निर्माण ने कहा कि सरकार यदि सच्ची नीयत से शिक्षा गुणवत्ता बढ़ाना चाहती है, तो शिक्षा अधिकार अधिनियम में अनुपात के अनुसार शिक्षक के पदों को स्वीकृत करे। प्राइमरी, माध्यमिक, उच्च व वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में तत्काल करीब 50 हजार नए पद स्वीकृत होते हैं, ऐसे में इन पदों पर भर्ती की जाए। कच्चे कर्मचारियों को पक्का किया जाए।अतिथि अध्यापक एसोसिएशन के असंध खंड के प्रधान धर्मबीर कौशिक का कहना है कि अतिथि शिक्षक सरकार की नीति का परिणाम है। अतिथि अध्यापक आठ साल के अपने कार्यकाल में उम्मीदों पर खरा उतरे हैं। सरकार को अब तक अतिथि अध्यापकों को नियमित कर देना चाहिए था।
स्थायी पदों पर की जाए भर्ती
शिक्षाविद कृष्ण कुमार निर्माण ने कहा कि सरकार यदि सच्ची नीयत से शिक्षा गुणवत्ता बढ़ाना चाहती है, तो शिक्षा अधिकार अधिनियम में अनुपात के अनुसार शिक्षक के पदों को स्वीकृत करे। प्राइमरी, माध्यमिक, उच्च व वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में तत्काल करीब 50 हजार नए पद स्वीकृत होते हैं, ऐसे में इन पदों पर भर्ती की जाए। कच्चे कर्मचारियों को पक्का किया जाए।शिक्षाविद कृष्ण कुमार निर्माण ने कहा कि सरकार यदि सच्ची नीयत से शिक्षा गुणवत्ता बढ़ाना चाहती है, तो शिक्षा अधिकार अधिनियम में अनुपात के अनुसार शिक्षक के पदों को स्वीकृत करे। प्राइमरी, माध्यमिक, उच्च व वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में तत्काल करीब 50 हजार नए पद स्वीकृत होते हैं, ऐसे में इन पदों पर भर्ती की जाए। कच्चे कर्मचारियों को पक्का किया जाए।
‘उम्मीदों पर उतरे खरे’ 
अतिथि अध्यापक एसोसिएशन के असंध खंड के प्रधान धर्मबीर कौशिक का कहना है कि अतिथि शिक्षक सरकार की नीति का परिणाम है। अतिथि अध्यापक आठ साल के अपने कार्यकाल में उम्मीदों पर खरा उतरे हैं। सरकार को अब तक अतिथि अध्यापकों को नियमित कर देना चाहिए था।अतिथि अध्यापक एसोसिएशन के असंध खंड के प्रधान धर्मबीर कौशिक का कहना है कि अतिथि शिक्षक सरकार की नीति का परिणाम है। अतिथि अध्यापक आठ साल के अपने कार्यकाल में उम्मीदों पर खरा उतरे हैं। सरकार को अब तक अतिथि अध्यापकों को नियमित कर देना चाहिए था।                                    dj

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