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Wednesday 23 July 2014

सरकार को पांच दिन का अल्टीमेटम

** कर्मचारी महासंघ की मुख्यमंत्री से हुई बातचीत में ठोस नतीजा नहीं 
पानीपत :  कर्मचारियोंकी 32 सूत्रीय मांगों को लेकर हरियाणा कर्मचारी महासंघ की मंगलवार को सरकार के साथ हुई बातचीत में ठोस नतीजा नहीं निकला है। महासंघ ने पांच दिन का अल्टीमेटम देते हुआ कहा कि सरकार ने लिखित में मांगें मानी तो 28 जुलाई से रोहतक में क्रमिक अनशन शुरू हो जाएगा। 15 अगस्त से महासंघ के पांच शीर्ष नेता आमरण अनशन पर बैठ जाएंगे। 
रविवार को रोहतक में महासंघ की ललकार रैली के दौरान ही सरकार की तरफ से बातचीत के लिए न्योता आया था। उसी न्योते पर महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष कंवर सिंह यादव, महासचिव वीरेंद्र सिंह धनखड़, रोडवेज से दलबीर सिंह नेहरा, वेद प्रकाश शर्मा, कुलभूषण शर्मा, विश्वनाथ शर्मा, दिलबाग अहलावत, विजेंद्र पहलवान, बलराज देसवाल और रमेश पाल चंडीगढ़ में सचिवालय पहुंचे। यहां शाम सवा छह बजे सरकार के चीफ सेक्रेटरी एससी चौधरी के साथ कर्मचारी नेताओं की बातचीत शुरू हुई। इस दौरान माहौल गरम ही रहा। कर्मचारी नेताओं का आरोप है कि चीफ सेक्रेटरी का रवैया नकारात्मक था और कोई बात मानने को तैयार नहीं थे। वे लगातार यही रट लगा रहे थे कि 22 फरवरी को मुख्यमंत्री कर्मचारियों की मांगें मान चुके हैं। बात का सिरा टूटा तो कर्मचारी बाहर निकलने लगे। इसी बीच उन्हें यह कहकर रोका गया कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा खुद बात करेंगे। 
10 मिनट हुड्डा से बात: 
उसके बाद कर्मचारी नेताओं की मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ करीब 10 मिनट बातचीत हुई। हुड्डा ने कहा कि सरकार को कुछ समय दो और अपनी मांगें लिखित में दे दो। इस बातचीत से कर्मचारी नेता संतुष्ट नहीं हुए और बाहर निकलते ही मीडिया को कहा कि जब तक सरकार लिखित में मांगें मानकर अधिसूचना जारी नहीं करती, आंदोलन जारी रहेगा।
इन मांगों को पूरा करवाने पर अड़ा महासंघ : 

  • सभी कच्चे कर्मचारियों को बगैर किसी शर्त के पक्का किया जाए। 
  • केंद्र के बराबर 3200-4200 ग्रेड पे दिया जाए। 
  • प्रदेश के लिए अलग वेतन आयोग गठित हो। 
  • कैश लैस मेडिकल पॉलिसी लागू हो। पंजाब के समान वेतनमान मिले। 
  • आईटीआई में टेक्नीकल स्केल को बहाल किया जाए। 
  • रिक्त पदों पर स्थाई भर्ती हो। 
  • बिजली निगम बनने के बाद से चल रहे घाटे की उच्चस्तरीय जांच हो।रोडवेज के 3519 प्राइवेट रूट परमिट का फैसला रद्द हो। 
  • सभी विभागों में निजीकरण ठेकाप्रथा रद्द हो।                                         db


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