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Sunday 1 February 2015

शिक्षा विभाग पहली कक्षा के बच्चों को समझने लगा है अंग्रेजी लिखने पढ़ने लायक

** विभाग ने बच्चों के लिए बनाए गणित अंग्रेजी के पेपर 
गुहला चीका : हरियाणा में भाजपा सरकार द्वारा शिक्षा व्यवस्था में किए जा रहे अमूल-चूल परिवर्तन के दौरान सरकारी स्कूलों में पहली कक्षा में पढ़ रहे बच्चे क्या इतने जीनियस हो गए हैं कि शिक्षा विभाग उन्हें दस अंकों के अंग्रेजी के पेपर में फर्राटे दार अंग्रेजी पढ़ने लिखने के काबिल समझने लगा है। सरकारी स्कूलों में पहली कक्षा के बच्चों के जनवरी माह के लिए गए शैक्षिक स्तर आंकलन करने के लिखित पेपर को देखकर तो कम से कम ऐसा ही लगता है कि शिक्षा विभाग पहली कक्षा के ही बच्चों को फर्राटेदार अंग्रेजी सिखाने को आतुर है। 
काला अक्षर भैंस बराबर के समान हैं बच्चों के लिए पेपर : 
स्कूलों में पहली कक्षा के बच्चों से लिए जा रहे उक्त पेपरों को लेकर बच्चे दुविधा में हैं क्योंकि अंग्रेजी की बात तो दूर, उनके लिए फर्राटे दार हिन्दी पढ़ना भी असंभव है जिसके चलते उक्त पेपर बच्चों के लिए काला अक्षर भैंस बराबर के समान दिखाई दे रहे हैं। इसके चलते परीक्षा के मायने से ही बेखबर बच्चे पेपर हाथ में आते ही एक-दूसरे के मुंह की तरफ ताकने लगे और पेपर हाथ में लेकर चुपचाप बैठे रहे। 
टिप्पणी करना उचित नहीं है : 
इस संबंध में जब खंड मौलिक शिक्षा अधिकारी गुहला प्रेम सिंह पूनिया से बात की गई तो उन्होंने बताया कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए जो पेपर भेजे गए हैं, वे निदेशालय प्राथमिक शिक्षा विभाग हरियाणा द्वारा भेजे गए हैं जो कि एक हाई लेवल का मामला है और पेपर शिक्षा विभाग के विशेषज्ञों द्वारा बनाए गए हैं। उन्होंने पेपर बनाते समय बच्चों का किस प्रकार से मूल्यांकन करके पेपर बनाए हैं, इस बारे में विशेषज्ञ ही कुछ बता सकते हैं और पेपरों को लेकर उन द्वारा कोई भी टिप्पणी करना उचित नहीं है। 
यह कहा िशक्षकों ने 
अपना नाम छापने की शर्त पर कुछ स्कूलों के मुख्य शिक्षकों ने बताया कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए जो पेपर बनाकर भेजे गए हैं, वे इस बार शिक्षा विभाग द्वारा भेजे गए हैं। उन्होंने बताया कि इससे पहले वे स्कूल स्तर पर ही पेपर लेकर बच्चों का मूल्यांकन करते थे। शिक्षकों का यह भी कहना था कि पहली कक्षा के लिए जो पेपर बनाकर भेजे गए हैं, वह पेपर काफी कठिन थे, नतीजतन अंग्रेजी के पेपर की बात तो दूर, अलबत्ता बच्चे हिंदी गणित का पेपर पढ़ भी नहीं पाए। उन्होंने बताया कि पेपरों को हल कराने के लिए शिक्षकों को मजबूरन बच्चों की सहायता करके पेपर लेने की खानापूर्ति करनी पड़ी।                                                        db

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