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Tuesday 22 December 2015

48 अरब के 81 हजार गुरूजी, 19 अरब सुविधाओं पर खर्च, फिर भी रिजल्ट ख़राब

** प्रदेश सरकार ने पूर्व की हुड्‌डा सरकार पर फोड़ा असफलता का ठीकरा 
रेवाड़ी : स्कूलों में गीता पाठ्यक्रम लागू करने की तैयारियों के बीच आए हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के 10वीं और 12वीं के प्रथम सेमेस्टर के परीक्षा परिणाम ने एक बार फिर शिक्षकों के पढ़ने और पढ़ाने के तौर तरीकों के साथ-साथ सरकार की शिक्षा नीति को कटघरे में खड़ा कर दिया है। 
इस रिपोर्ट से जान जाएंगे शिक्षा की जमीनी हकीकत : 
वर्तमान में प्राइमरी से लेकर 12 वीं तक के कुल 14 हजार 554 स्कूलों में 21 लाख 05 हजार 973 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इसमें 5 लाख 79 हजार 102 कक्षा 10 वीं 12 वीं के छात्र हैं। इन सभी को पढ़ाने की जिम्मेदारी 81 हजार 259 शिक्षकों पर है। जिस पर वेतन के तौर पर हर साल 48 अरब, 75 करोड़ 29 लाख रुपए से ज्यादा खर्च किया जाता है। इसके अलावा शिक्षा के मुलभूत ढांचे मसलन स्कूल भवन, सुविधा पर इस बार 19 अरब 85 करोड़ 47 लाख रुपए का बजट है जिसमें आधी से ज्यादा राशि खर्च की जा चुकी है। 
खराब रिजल्ट पर भी राजनीति, भाजपा-कांग्रेस सरकार के शिक्षा मंत्री आमने सामने : 
हालांकि बोर्ड की इन दोनों कक्षाओं का वार्षिक परिणाम अप्रैल-मई 2016 में आएगा, लेकिन कांग्रेस- भाजपा ने एक दूसरे पर हमला शुरू कर दिया है। भाजपा इसके लिए 10 साल सत्ता में रही हुड्डा सरकार को जिम्मेदार मान रही है तो कांग्रेस का कहना है कि शिक्षा पर राजनीति कर उसका रहा सहा स्तर गिरा रही है। सरकार को एक साल हो गया, हम गलत थे तो हमारे ढर्रे पर क्यों चल रही है। 
गीता पाठ्यक्रम से ज्यादा शिक्षक जरूरी: भुक्कल 
उधर,2009-14 तक शिक्षा मंत्री रहीं गीता भुक्कल ने कहा कि शिक्षा को कम से कम राजनीति से नहीं जोड़ना चाहिए। भाजपा सरकार गीता पाठ्यक्रम पर जोर देने से ज्यादा शिक्षकों के खाली पदों को भरे। नैतिक शिक्षा सालों से स्कूलों में पढ़ाई जा रही है। बेहतर शिक्षा के नाम पर हर सरकार एक ही गलती को बार-बार दोहरा रही है। शिक्षा के मुलभूत ढांचे पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है जबकि शिक्षकों के खाली पड़े पदों को भरने पर कोई गंभीर नहीं है। रिजल्ट शिक्षकों से आते हैं बेहतर स्कूल भवन से नहीं। साथ ही शिक्षकों की पूरी जवाबदेही तय करनी चाहिए। तभी बात बनेगी। 
इस सत्र में सरकारी स्कूलों में कम हो गए 95793 विद्यार्थी 
सर्वशिक्षा अभियान (एसएसए) राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) की रिपोर्ट के अनुसार 2014-15 में सरकारी स्कूलों में कक्षा पहली से लेकर 12 वीं तक 22 लाख 1 हजार 766 विद्यार्थी थे। 2015-16 में यह संख्या बजाय बढ़ने की बजाय घटकर 21 लाख 5 हजार 973 हो गईं। 
हुड्डा सरकार ने बेड़ागर्क किया, सुधार में समय लगेगा : शर्मा 
राज्य के शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ने कहा कि हम खराब रिजल्ट आने पर शिक्षकों को आसानी से नहीं छोड़ेंगे। उनकी जवाबदेही तय होनी चाहिए। शिक्षा का पूरा खराबा तो हुड्डा सरकार ने कर दिया था। ठीक करने में समय लगेगा, गति बेशक कम है, लेकिन सुधार हो रहा है। 
जिला स्तर पर गोष्ठी कर सुधारेंगे गलती : 
हसला ने खराब परीक्षा परिणाम को देखते हुए अब हर जिले स्तर पर शिक्षा गोष्ठी करने का निर्णय लिया है। प्रदेश अध्यक्ष दयानंद दलाल ने बताया कि इस गोष्ठी में खराब परिणाम की समीक्षा की जाएगी। इसके लिए पूरी तरह शिक्षक दोषी हैं, यह सही बात नहीं है। गोष्ठी के आधार पर प्रदेश की रिपोर्ट बनाकर सीएम को दी जाएगी। 
200 स्कूल बंद हो गए, बजट 6 अरब बढ़ गया : 
यह चौकाने वाली बात है कि एक साल में प्रदेशभर से 200 से ज्यादा स्कूलों को छात्रों की संख्या कम होने पर बंद करना पड़ा जबकि शिक्षा का बजट तेजी से बढ़ता जा रहा है। मसलन 2014-15 में एसएसए आरएमएसए ने बेहतर शिक्षा के नाम पर शिक्षकों के वेतन के अलावा 13 अरब 28 करोड़ 10 लाख 4 हजार रुपए खर्च किए। 2015-16 में यह राशि बढ़कर 19 अरब 85 करोड़ 47 लाख 78 हजार हो गईं जिसमें आधी से ज्यादा राशि खर्च की जा चुकी है। 
शिक्षक संघ का दावा, इन 5 बातों को मान ले, सुधर जाएगा शिक्षा का स्तर 
हरियाणा स्कूल लेक्चर एसोसिएशन हरियाणा विद्यालय स्कूल संघ ने पांच प्रमुख सुझाव सरकार के सामने रखे हैं। इनका दावा है कि इन पर अमल होने के बाद ना केवल शिक्षा का स्तर सुधर जाएगा साथ ही बेहतर परिणाम भी सामने आएंगे। ये हैं 5 सुझाव... 
1. सरकार टू टीयर- थ्री टीयर सिस्टम को स्पष्ट करे, अभी तक शिक्षक प्राध्यापक यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि उन्हें कौनसी कक्षा पढ़ानी है।
2. शिक्षा अधिकार कानून में तुरंत संशोधन लाए। कमजोर और लगातार अनुपस्थित रहने वाले विद्यार्थी को फेल करे। 
3. पिछले 13-14 सालों से चलती रही नकल प्रवृति को खत्म करने के लिए कानून बने।
4. 8 वीं में खत्म किए बोर्ड को फिर से लागू होनी चाहिए 
5. शिक्षकों की जवाबदेही तय होनी चाहिए। खराब और बेहतर परिणाम के आधार पर प्रमोशन तय होना चाहिए।                                                              db 







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