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Monday 1 August 2016

बावर्दी शिक्षा, बेवर्दी नौनिहाल और .. बेदर्द सरकार

फतेहाबाद : तबादला नीति में उलझी सरकार नौनिहालों की घोषित सुविधाएं भी नीतिगत उदासीनता की टोकरी में फेंक चुकी है। इसीलिए अभी तक पहली से आठवीं कक्षा के स्कूलों में नए शैक्षणिक सत्र के चार माह बीतने के बावजूद यूनिफार्म को लेकर सरकार की नीति नहीं बन पाई है। नतीजा यह कि न केवल प्रदेश के लाखों नौनिहाल नई वर्दी व बस्ते की बाट जोह रहे हैं बल्कि स्कूलों के मुखिया, स्कूल प्रबंधन समिति, जिला स्तर के अधिकारी व वर्दी आपूर्ति करने वाले भी असमंजस में पड़े हैं। उल्लेखनीय है कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं तक कुल 16,09,999 बच्चे पढ़ते हैं। इनमें पहली से पांचवीं तक 9,48,619 बच्चे और छठी से आठवीं तक 6,61,380 बच्चे पढ़ते हैं।
सत्र की शुरुआत में ही स्कूली विद्यार्थियों की वर्दी खरीद पर सरकार ने यह कहकर रोक लगा दी थी कि जब तक नई नीति नहीं आती वर्दी नहीं खरीदी जाएगी। बीच-बीच में यह भी निर्देश आया कि वर्दी के लिए टेंडर आमंत्रित किए जाएंगे। कभी स्कूल मैनेजमेंट कमेटी द्वारा खरीदने का शिगूफा छोड़ा गया तो कभी स्कूलों के मुखिया अथवा सर्वशिक्षा अभियान के जिला परियोजना समन्वयक डीपीसी की जिम्मेदारी चर्चा में आई। मगर बच्चों को न तो वर्दी मिली और न ही बस्ता दिया गया। लाजिमी है कि वर्दी की अनिवार्यता संग स्कूली शिक्षा पा रहे प्रदेश के बच्चों की पढ़ाई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। 
डबल का फेर
दरअसल, केंद्र सरकार के सर्वशिक्षा अभियान के तहत पहली से आठवीं के विद्यार्थियों के लिए वर्दी के मद में 400 रुपये की व्यवस्था है। कुछ माह पहले मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने वर्दी के लिए 800 रुपये देने की घोषणा की थी। इसमें 400 रुपये केंद्र के सर्वशिक्षा अभियान से तो शेष 400 रुपये शिक्षा निदेशालय के माध्यम से जारी होने थे। अब अलग से बजट तो मिला नहीं। सो, इसी डबल राशि को साधना सरकारी तंत्र के समक्ष मुश्किल साबित हो रहा है। 
नीति के अभाव में दम तोड़ रही शिक्षा : 
राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के संगठन सचिव देवेंद्र सिंह दहिया कहते हैं कि वर्दी तो बच्चों की प्राथमिक जरूरत है। सरकार की नीतिगत खामियों के कारण शिक्षा वैसे ही दम तोड़ रही है।
"इस बार से सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता ही यूनिफार्म खरीदेंगे। विभाग की ओर से इसके पैसे बच्चों के बैंक खाते में जमा किए जाएंगे। पिछली बार भी अगस्त तक समय लग गया था। अब वर्दी में विलंब नहीं होगा।"-- पीके दास, वित्तायुक्त एवं प्रधान सचिव, स्कूली शिक्षा।                                                dj

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