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Friday, 17 August 2018

सरकार का सुप्रीम कोर्ट जाने का निर्णय कर्मियों को नामंजूर

** हाईकोर्ट के फैसले से प्रभावित 4645 कर्मचारियों के मुद्दे पर एडवाेकेट जनरल से कांग्रेस-इनेलो प्रतिनिधियों की मीटिंग 
राजधानी हरियाणा : हाईकोर्ट के फैसले से प्रभावित 4645 कर्मचारियों के मामले में सरकार ने विधानसभा सत्र में बिल लाने का फैसला बदल लिया है। सरकार अब सुप्रीम कोर्ट जाएगी। सर्व कर्मचारी संघ के महासचिव सुभाष लांबा ने कहा कि सरकार बिल लाए और सभी कर्मचारियों को पक्का करे। वहीं, सरकार की ओर से जारी बयान पर दूसरे दलों के प्रतिनिधियों ने अपनी राय अलग दी है। सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला हमें मान्य नहीं है। सरकार को हमसे बात करनी चाहिए थी। शुक्रवार को रोहतक में मीटिंग होगी, जिसमें फैसले के खिलाफ रणनीति बनाई जाएगी। विधानसभा सत्र में बिल नहीं आएगा तो आंदोलन किया जाएगा। 

यहां फंसा पेच 
संगठन चाहते हैं कच्चे सभी सरकारी कर्मी पक्के हो 
सरकार की ओर से बिल का ड्राफ्ट बनाकर सर्व कर्मचारी संघ को भेजकर सुझाव मांगे थे। संघ ने अपने सुझाव कुछ दिन पहले ही सरकार को भेजे, लेकिन उसमें सभी प्रकार के कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने का सुझाव दिया गया। जिसमें एडहॉक, डेली वेजिज समेत सभी प्रकार के कर्मचारी शामिल किए थे। साथ ही चेताया था कि सुझाव समेत बिल लागू नहीं किया तो आंदोलन होगा। यदि सरकार इन सभी को नियमित करती है तो इनकी संख्या करीब 50 हजार बनती है। जबकि सरकार की प्राथमिकता 4645 कर्मचारी हैंं। 
सुप्रीम कोर्ट जाएंगे: महाजन 
कांग्रेस और इनेलो के प्रतिनिधियों के साथ मीटिंग हुई। जिसमें निर्णय लिया कि हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाए। फैसले को तीन महीने में चुनौती देने का वक्त होता है। अभी हमारे में 31 अगस्त तक का समय है। 
फैसला सरकार को लेना : कांग्रेस 
कांग्रेस की ओर से पहुंचे पूर्व एडवोकेट जनरल ने कहा कि वे मीटिंग में गए थे, लेकिन कुछ नहीं कह सकते। फैसला राज्य की भाजपा सरकार को लेना है। 
नौकरी बची रहनी चाहिए: इनेलो 
इनेलो के लीगल कंसलटेंट नरेश सिंह शेखावत ने कहा कि इनेलो कर्मचारियों के पक्ष में है। सभी प्रकार के कर्मचारी पक्के होने चाहिए। सरकार बिल लाए या सुप्रीम कोर्ट जाए, नौकरी बचनी चाहिए। 
इधर, शिक्षा विभाग में 45 क्लर्कों ने नहीं किया कार्यग्रहण, नियुक्ति रद्द 
राजधानी हरियाणा| शिक्षा विभाग में भेजे 45 क्लर्कों के नियुक्ति पत्र रद्द कर दिए हैं। सरकार ने कुछ क्लर्कों को शिक्षा विभाग में भेज दिया। नियुक्ति के लिए 17 मार्च और 19 मार्च को पत्र जारी किए। 20 से 21 मार्च तक काउंसिलिंग की थी, लेकिन ये 45 क्लर्क शामिल नहीं हुए और न निदेशालय पहुंचे। विभाग ने 11 मई को नियुक्ति पत्र रद्द करने की चेतावनी देते हुए 1 सप्ताह में निदेशालय पहुंचने का नोटिस दिया, लेकिन ये क्लर्क निदेशालय नहीं पहुंचे तो नियुक्ति रद्द कर दी। 

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