चंडीगढ़ : प्रदेश सरकार ने मंत्रियों को तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों के तबादलों का अधिकार देकर मुसीबत ही मोल ली है। मात्र पांच दिन में सरकार के पास बीस हजार से अधिक अर्जियां कर्मचारियों ने तबादले के लिए लगाई हैं। मंत्रियों के लिए अब सबसे बड़ी चुनौती ये है कि इतने बड़े पैमाने पर एक साथ ट्रांसफर को अंजाम किस तरह से दे। तबादला आवेदन तो सरकार ने ले लिए हैं, लेकिन अभी तक कर्मचारियों की अदला-बदली को लेकर अंतिम निर्णय नहीं हो पाया है। सरकार के सामने बड़ी दिक्कत ये भी है कि एक ही जगह के लिए कई-कई कर्मचारियों ने आवेदन कर दिया है।
मंत्रियों को अब इसमें जोखिम नजर आ रहा है, चूंकि कर्मचारी को उसकी मनपसंद जगह पर भेजने से बाकी नाराज हो जाएंगे। इसलिए तबादलों को लेकर गफलत ही स्थिति है। चुनाव में भाजपा के लिए काम करने वाले कर्मचारी लंबे समय से अपने-अपने विधायक के जरिए सरकार पर तबादलों का अधिकार मंत्रियों को देने का दबाव बनाए हुए थे। मुख्यमंत्री ने तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों का अधिकार तो मंत्रियों को दे दिया पर अब परेशानी ये है कि इतनी बड़ी संख्या में अपने चहेतों को उनके मनपसंद स्थान पर एडजस्ट कैसे किया जाए।
बीते वर्ष भी मुख्यमंत्री ने तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मियों के तबादले का अधिकार मंत्रियों को दिया था। उस समय तबादलों के लिए तीस हजार के करीब आवेदन आए थे। लेकिन हरियाणा सर्व कर्मचारी संघ ने तबादलों में राजनीतिक उत्पीड़न का मुद्दा उछाल कर सरकार के लिए स्थिति असहज कर दी थी। इसके चलते उस समय मात्र तीन से चार हजार कर्मियों का ही ट्रांसफर अपनी पसंद की जगह पर हो पाया था। अब सरकार ने दोबारा अर्जियां तो ले ली हैं, लेकिन तबादलों को लेकर किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है। dj
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