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Thursday, 23 July 2015

रमसा (RMSA) में जोड़े गए शिक्षकों को मिली अधूरी खुशी

** चार महीने के इंतजार के बाद मिला वेतन, लेकिन वो भी पूरा नहीं 
सोनीपत : आकाश से गिरे और खजूर पर अटके वाली कहावत इन दिनों राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा परियोजना (रमसा) में जोड़े गए अध्यापकों पर लागू हो रही है। पहले मुश्किलों से नौकरी मिली और सरकार की ही शाखा रमसा में शामिल किया गया, लेकिन शाखा को विभाग ने खुद से अलग क्या किया शिक्षकों की हालत ही खराब हो गई। 
चार माह तक वेतन का इंतजार कर रहे शिक्षकों के अकाउंट में पैसा तो आया, लेकिन 20 दिन का। शिक्षक परेशान इस 20 दिन के वेतन को खुद के लिए क्या समझें। इस मसले पर विभागीय उच्च अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहे हैं। 
अभी तक की स्थिति : 
राजकीय स्कूलों में जो अध्यापक तैनात किए गए हैं, उन्हें दो योजनाओं प्लान और नान प्लान के तहत वेतन दिया जाता है। प्लान के अंतर्गत काम करने वाले ये सभी शिक्षक प्रदेश की पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में चुनावों से पहले भर्ती किए गए थे। इस भर्ती में खास बात यह थी कि उनकी नियुक्ति भी बिना कोई लिखित परीक्षा के ही कर दी गई थी।कांग्रेस सरकार में रखे गए गेस्ट अध्यापकों की नौकरी पहले ही खतरे में है अब मौजूदा हालात देखे जाएं तो वह भी इन शिक्षकों के उलट जा रहे हैं। क्योंकि 2 मई को शिक्षा निदेशालय की ओर से एक पत्र जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में प्लान योजना के अंतर्गत काम करने वाले अध्यापकों को प्लान फंड से वेतन दिया जाए। इन्हें अब कैसे वेतन दिया जाएगा इस बारे पत्र में कोई हिदायत नहीं दी गई है। यह पत्र चार मई को प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को जारी किया गया था। खबर है कि चार मई को डीईओ कार्यालय को वेतन रोकने का यह पत्र मिला था, लेकिन राजकीय स्कूलों के खातों में प्लान और नान प्लान का वेतन डाला जा चुका था, लेकिन जैसे ही यह पत्र डीईओ कार्यालय में पहुंचा उसके तुरंत बाद प्लान का फंड भी वापस डीईओ कार्यालय के खाते में जमा कराने के आदेश दे दिए गए। 
शिक्षकों की मांग को मंजूर तो किया लेकिन...! 
हाल ही में विभागीय अधिकारियों की एक बैठक हुई जिसमें इन अध्यापकों को राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा परियोजना (रमसा) के तहत वेतन दिए जाने का फरमान जारी किया गया। बता दें कि रमसा शिक्षा विभाग का एक प्रोजेक्ट है जो विभाग कभी भी बंद कर सकता है। अब इन अध्यापकों का वेतन मिले करीब चार महीने हो गए थे। ऐसे में जुलाई में इन अध्यापकों का वेतन देने के लिए निदेशालय ने डीईओ और डीईओ कार्यालय ने जिले के स्कूलों के खातों में इन अध्यापकों का वेतन डाल दिया, लेकिन वेतन पूरा ही नहीं आया।                                                                  db

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