** राज्य सरकारों से बात कर मंत्रालय आगे बढ़ा सकता है प्रस्ताव
** प्रधानाचार्यों का अलग काडर बनाने की भी तैयारी
नई दिल्ली : केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय आने वाले दिनों में शिक्षकों के लिए गांव के स्कूलों में पढ़ाना अनिवार्य कर सकता है। अगर सही दिशा में योजना आगे बढ़ी तो जल्द ही अब हर अध्यापक को अपने सेवाकाल का एक न्यूनतम समय गांवों के स्कूलों में बिताना होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार के सर्व शिक्षा अभियान की समीक्षा के दौरान यह सलाह मंत्रालय को दी है।
मंत्रालय इस दिशा में राज्य सरकारों से बात कर प्रस्ताव आगे बढ़ा सकता है। इसके साथ ही सरकार अब प्रशासनिक अधिकारियों की तर्ज पर स्कूलों के प्रधानाचार्यों का अलग से एक काडर बनाने की दिशा में भी काम कर रही है। स्कूलों में अध्यापकों के कामकाज की निगरानी के लिए हर अध्यापक का आधार नंबर, ई-मेल आईडी और मोबाइल नंबर लेने के लिए भी मंत्रालय को कहा गया है।
प्रधानमंत्री ने सर्व शिक्षा अभियान की समीक्षा के दौरान अध्यापन क्षेत्र में कई तरह के बदलाव करने की सलाह दी है। प्रधानमंत्री ने मंत्रालय को कहा है कि वह राज्य सरकार से बात कर ऐसी योजना बनाए जिसमें युवा पेशेवरों को ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में पढ़ाने की व्यवस्था बनाई जाए। इस बैठक में प्रधानमंत्री का पूरा जोर इस बात पर था कि देश के हर अध्यापक के लिए अपने कार्यकाल का एक न्यूनतम समय गांवों में बिताने की व्यवस्था बनाई जाए। ताकि गांवों में स्कूलों के बच्चों को बेहतर पढ़ाई मिले। इसी तरह मानव संसाधन मंत्रालय को कहा गया है कि पढ़ाई के साथ स्कूल प्रबंधन को दुरुस्त बनाने की बेहद जरूरत है। स्कूल के प्रबंधन को मजबूत करने के लिए प्रशिक्षित कार्यशक्ति और काडर तैयार करने की जरूरत है। मंत्रालय को कहा गया है कि बेहतर स्कूल प्रबंधन के लिए प्रधानाचार्यों का अलग से काडर बनाया जाए। इस व्यवस्था में उनकी ट्रेनिंग का इंतजाम भी किया जाए। साथ ही स्कूलों में अध्यापकों के कामकाज की निगरानी की व्यवस्था के लिए कहा गया है। इसके लिए एक विस्तृत डाटाबेस बनाने की बात कही गई है। au
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