चंडीगढ़ : हरियाणा में कर्मचारियों के तबादलों को लेकर मच रही मारामारी सरकार के जी का जंजाल बन गई है। मनोहर सरकार के आठ माह के कार्यकाल में करीब 50 हजार कर्मचारी तबादलों की लाइन में लगे हैं। पहली बार 30 हजार अर्जियां आई तो इस बार 20 हजार कर्मचारियों ने अपनी मनपसंद जगह चाहने के लिए मंत्रियों का जीना मुहाल कर दिया है। 1तबादलों के लिए हर साल मचने वाली इस मारामारी को खत्म करने के लिए सरकार अब स्थायी तबादला नीति बनाने पर गंभीरता से विचार कर रही है। सरकार पर इसके लिए न केवल सर्व कर्मचारी संघ का दबाव है, बल्कि कुछ मंत्रियों और विधायकों ने भी मुख्यमंत्री को स्थायी तबादला नीति बनाने का सुझाव दिया है। प्रदेश में 3 लाख 19 हजार सरकारी कर्मचारी हैं। इनमें 2.25 लाख तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हैं। राज्य में किसी भी दल की सरकार को, हर साल मंत्रियों को तबादलों के अधिकार दिए जाते हैं। मनोहर सरकार में मंत्रियों को यह सुविधा दो बार मिली। दोनों बार सैकड़ों तबादला नोट ऐसे भी आए, जिनमें खुद की बजाय प्रतिद्वंद्वी या विरोधी कर्मचारी के तबादले की रिक्वेस्ट की गई है। प्रदेश सरकार को तबादलों में भ्रष्टाचार की शिकायतें भी मिल रही हैं। महासंपर्क अभियान में जुटे कई विधायक सिर्फ तबादला नोट मंत्रियों तक पहुंचाने में ही उलझ कर रह गए। मंत्रियों के स्टाफ की मनमानी की शिकायतें भी सीएम सचिवालय तक पहुंची हैं। वहीं, राज्य सरकार द्वारा तबादला नीति बनाने की दिशा में बढ़ने से अब उन सभी 20 हजार अर्जियों पर विचार होने की संभावना नहीं है, जो हाल-फिलहाल विधायकों के जरिए मंत्रियों के पास पहुंची हैं। इनमें से सिर्फ जरूरी (खास और सिफारिशी) अर्जियों पर ही गौर हो सकेगा। विधायकों और मंत्रियों की अधिक रुचि वाले तबादलों के लिए तबादला नीति में तकनीकी प्रावधान संभव है।
नीति के संभावित खास पहलू
- जिस जिले में अधिक पद खाली होंगे, वहां कर्मचारी भेजे जाएंगे।
- पांच साल से अधिक किसी स्टेशन (सीट) पर नहीं टिका जा सकेगा।
- महिला कर्मियों, विकलांग व परिवार के सदस्य कर्मचारियों को छूट संभव है।
- मुख्यमंत्री को विशेष परिस्थितियों में तबादले का अधिकार होगा।
- कर्मचारियों की बदली रोटेशन के आधार पर की जाएगी।
- कर्मचारियों के तबादलों में रेशनेलाइजेशन अहम पहलू रहेगा।
- किसी कर्मचारी पर आरोप है और जांच में वह दोषी पाया जाता है तो उसे आरोप सिद्ध होने पर ही तबदील किया जाएगा।
"सरकार तबादला नीति लाती है तो उसका स्वागत होगा, लेकिन सिर्फ शिकायतों के आधार पर किसी कर्मचारी का तबादला नहीं किया जाना चाहिए। राज्य सरकार को एक ही जगह पर कई-कई सालों से जमे लोगों की पहचान कर उन्हें तबदील करना चाहिए। पांच से सात साल तक ही किसी कर्मचारी को एक सीट पर टिका रहने दिया जा सकता है। इससे अधिक नहीं।"-- सुभाष लांबा, महासचिव, सर्व कर्मचारी संघ। dj
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