** अगले एक-दो महीने में राज्यों में कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू होने वाली है
नई दिल्ली : वर्ष 2009 से पहले के पुराने पीएचडी धारक 27 जुलाई (सोमवार) को इस मुद्दे पर अब तक केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) की ओर से कोई ठोस जवाब न मिलने की वजह से संसद का घेराव करने की योजना बना रहे हैं। उनका कहना है कि इसी दिन वो राजधानी में विरोध-प्रदर्शन का भी आगाज करेंगे। इस प्रदर्शन में देशभर से करीब दो हजार शिक्षकों के दिल्ली पहुंचने की उम्मीद है, जिसमें, छत्तीसगढ़, मध्य-प्रदेश, दिल्ली, उत्तर-प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर के शिक्षक शामिल हैं। अपनी बात पहुंचाने के लिए शिक्षकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को कें द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी से मुलाकात की थी। उनका कहना है कि ईरानी का इस मुद्दे पर सकारात्मक रुख है। उधर मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि उन्होंने इस मामले पर कोई कार्रवाई करने करने से पहले इसे अपने लीगल विभाग के पास विचार-विर्मश के लिए भेजा है।
अभी विभाग की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। जैसे ही प्रतिक्रिया आएगी मंत्रालय आगे की कार्रवाई की रणनीति बनाएगा। कोर्ट के इस फैसले से देश में कुल 10 लाख शिक्षक सीधे तौर पर प्रभावित हो रहे हैं। इसमें दिल्ली में दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़े हुए 1500 शिक्षक भी शामिल हैं। अगले एक-दो महीने में राज्यों में कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू होने वाली है। लेकिन अब तक सरकार ने इस मुद्दे पर कोई निर्णय नहीं लिया है। ऐसे में हमारे पास विरोध के अलावा और कोई चारा नहीं बचता। दरअसल शीर्ष न्यायालय ने इस मामले में बीते मार्च महीने में विवि अनुदान आयोग (यूजीसी) के 2009 के उस रेगूलेशन पर रोक लगाते हुए इससे पहले के पीएचडी धारकों के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पढ़ाने पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि किसी भी कॉलेज या विश्वविद्यालय में पढ़ाने के लिए नेशनल एलिजीबिलिटी टेस्ट (नेट) या स्टेट लेवल एलीजिबिलिटी टेस्ट (एसएलईटी) की परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य होगा। बिना इन दो परीक्षाओं को पास किए हुए किसी को भी कॉलेज या विश्वविद्यालय में पढ़ाने की अनुमति न दी जाए।
उधर यूजीसी और मंत्रालय के सदस्यों की इसे लेकर हुई एक हालिया बैठक में कोर्ट के फैसले की पुन: समीक्षा करने से इनकार किया जा चुका है। यूजीसी ने अपने 2009 के रेगूलेशन में कहा था कि जिन लोगों ने बिना नेट और एसएलईटी की परीक्षा उत्तीर्ण किए हुए पीएचडी की डिग्री हासिल की है वो भी शिक्षक के तौर पर कॉलेज या विश्वविद्यालयों में पढ़ा सकते हैं। मंगलवार को शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल ने एचआरडी की संसदीय स्थायी समिति के सदस्य और सांसद हरिओम पांडे से भी मुलाकात की है। सांसद ने इन लोगों की मांग का सर्मथन करते हुए कहा है कि कोर्ट के निर्णय की वजह से आप लोगों पर जो प्रभाव पड़ रहा है वो गलत है। hb220715
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