पानीपत : मौलिक शिक्षा विभाग ने नियम में फेरबदल कर दिए। सरकारी स्कूलों में पीटीआई व डीपीई के पद पर कार्यरत सैकड़ों शिक्षक पदोन्नति को मोहताज हो गए। शिक्षकों की गुहार अब कोई सुनने को तैयार नहीं है। निदेशालय के अधिकारी पल्ला झाड़ने में लगे हैं।
सरकारी स्कूलों में डेढ़ दो दशक से लगे पीटीआई व डीपीई को जिस विषय में एमए की डिग्री होती उसमें आसानी से पदोन्नति मिल जाती थी। मौलिक शिक्षा निदेशालय ने 2012 में नियम बदल दिया। नए नियम के मुताबिक अध्यापक जिस विषय का है पदोन्नति उसी विषय में कर दिया गया। लेकिन पुराने पीटीआइ व डीपीई शिक्षक के लिए कोई मानक तय नहीं किया गया। पीटीआई के पद पर कार्यरत अध्यापकों के एमए की डिग्री भी पदोन्नति में काम नहीं आई। दर्जनों ऐसे अध्यापक हैं जो दो-दो विषय में एमए कर रखा है। बीएड की डिग्री भी उनके पास है। नए नियम का लाभ उन्हें नसीब नहीं हो रहा। वेतन में बेशक कोई नफा नुकसान न हो लेकिन वर्षो से पद पाने को ललायित हैं।
वरिष्ठता सूची था आधार
पुराने नियमों के अनुसार 50 फीसद अंकों से पास अध्यापक की वरिष्ठता सूची तैयार की जाती थी। सूची के आधार पर उन्हें पदोन्नत किया जाता था। पदोन्नति में सम विषय की शर्त इन अध्यापकों पर भारी पड़ने लगी। अधिकारों की अनदेखी
आसनकलां गांव स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में कौशल्या पीटीआई के पद पर कार्यरत हैं। 15 वर्षो से पदोन्नति की बाट जोह रही हैं। पदोन्नति की आस में लोक प्रशासन व हिंदी से एमए की पढ़ाई की। 2012 की पदोन्नति नीति ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया। पदोन्नति उन्हें तभी मिलेगी जब फिजिकल एजुकेशन में एमए की डिग्री हासिल करें। डिग्री लेने के दौरान उन्हें सेवाकाल में विद आउट पे होना पड़ेगा। कौशल्या ने बताया कि पहले तो विभाग ने प्रमोशन नहीं दिया। जब बारी आइ तो नए नियम बना दिए। डबल एमए करने का लाभ नहीं मिला। dj7:06
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