नई दिल्ली : शिक्षा नियमावली के नियम 134-ए के तहत प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका वापस ले ली है। इस नियम के तहत गरीब बच्चों को मुफ्त अनिवार्य शिक्षा देने के पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सरकार ने शीर्ष कोर्ट में एसएलपी दायर की थी। जिसमें तर्क दिया था कि यह आदेश लागू करने पर प्रदेश सरकार को फीस छूट के बदले प्राइवेट स्कूलों को पांच हजार करोड़ रुपए देना होगा। इतना भार वहन करना मुश्किल है। हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से नियम 134 के तहत बच्चों को मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था का आदेश दिया था। इसके अंतर्गत कक्षा 1 से 8 तक गरीब बच्चों की शिक्षा का खर्च सरकार को उठाना था।
खर्च के रूप में राज्य सरकार को उन प्राइवेट स्कूलों को भुगतान करना पड़ता, जहां इन बच्चों को दाखिला होता। यह नियम लागू कराने के लिए 2 जमा 5 जन आंदोलन के सतबीर हुड्डा लंबे समय से लड़ाई लड़ रहे हैं। अब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह हाईकोर्ट में इस मामले की पुर्नविचार याचिका दायर करना चाहती है। इस वजह से फिलहाल याचिका को वापस लेने की अनुमति चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की इस याचिका को स्वीकार कर मौजूदा याचिका को खारिज कर दिया।
17 जुलाई को हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकार ने कहा था कि वह इस मामले में सुप्रीम कोर्ट गई है। जिसके बाद हाईकोर्ट ने तारीख आगे बढ़ा दी थी। साथ ही यह भी कहा था कि यदि कोई प्राइवेट स्कूल दाखिला दे तो डायरेक्टर एलिमेंट्री एजुकेशन से शिकायत की जा सकती है। db
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