** एक हजार छात्रों को पढ़ाते 50 शिक्षक पिछले वर्ष 12वीं का रिजल्ट 100 फीसद
कुरुक्षेत्र : गांव बाबैन के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की खासियत ही
कुछ ऐसी है कि कदम खुद ब खुद स्कूल की ओर उठ जाते हैं। यूं तो रविवार सभी
स्कूलों की छुट्टी होती है, मगर इस स्कूल की कहानी थोड़ी अलग है। यहां
सप्ताह के सातों दिन पढ़ाई के हैं।
स्कूल में कार्यरत 50 शिक्षक बिना थके
करीब एक हजार बच्चों को सातों दिन पढ़ाते हैं। ताकि पढ़ाई में कमजोर बच्चों
के रिजल्ट को बेहतर बनाया जाए। शिक्षकों की इस मेहनत का नतीजा सामने है।
पिछले साल इस स्कूल का 12वीं का रिजल्ट 100 फीसद रहा है। इन्हीं खूबियों के
कारण अब यह स्कूल दूसरों के लिए भी नजीर बन रहा है।
होमवर्क भी
स्कूल में ही :
विद्यालय के प्राचार्य रणबीर सिंह ने बताया कि कमजोर बच्चों
के लिए यह मुहिम शुरू की गई। प्राइवेट स्कूलों के रिजल्ट की बराबरी करने
के लिए यहां के शिक्षकों ने तय किया कि रविवार को भी बच्चों को पढ़ाया जाए।
धीरे-धीरे बच्चों का भी साथ मिला और अब हम एक बेहतर भविष्य की ओर बढ़ रहे
हैं।
उन्होंने बताया कि सरकार की ओर से सक्षम योजना के तहत एक एजेंसी
यहां बच्चों का लनिर्ंग लेवल भी जांचेगी। फिलहाल उसी की तैयारी चल रही है।
स्कूल में अधिकतर बच्चे आर्थिक रूप से पिछड़े व कम पढ़े लिखे परिवारों से
हैं। इनके घरों में कोई होमवर्क कराने वाला नहीं है। ऐसे में बच्चों को
स्कूल में ही होमवर्क कराया जाता है।
10वीं व 12 वीं के लिए शून्य पीरियड :
स्कूल में बोर्ड की परीक्षाओं की तैयारी के चलते अलग से कक्षाएं चलाई जाती
हैं। इसके लिए शून्य पीरियड लगाया जाता है। सुबह आठ बजे की बजाए इन
कक्षाओं के बच्चों को आधा घंटा पहले ही आना होता है। साथ ही प्रार्थना के
दौरान भी इनकी कक्षा चलती रहती है। इसके चलते बच्चों को तैयारी करने का
ज्यादा अवसर मिलता है। प्राचार्य रणबीर ने बताया कि जो विद्यार्थी बेहतर
करना चाहते हैं, उन्हें भी खास तैयारी कराई जाती है। विद्यालय निजी स्कूलों
को टक्कर देता है। स्कूल अपनी खूबियों के कारण क्षेत्र में जाना जाता है। न
शिक्षकों की कमी है और न बच्चों की।
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.