.

.

Breaking News

News Update:

How To Create a Website

Sunday 20 October 2013

मिड डे मील योजना : तुगलकी प्रयोगवाद

सरकारी स्कूलों में मिड डे मील योजना को आरंभ होने के 18 वर्ष बाद भी स्थायित्व की तलाश है। निर्णय क्षमता कमजोर हो तो प्रयोगवाद शुरू हो जाता है। लक्ष्य निर्धारित करने की अक्षमता विकल्पों की भरमार कर देती है। विकल्पों के झुरमुट या प्रयोगवाद की भूल भुलैया में वास्तविक लक्ष्य अक्सर ओझल हो जाता है। मिड डे मील योजना पर एक और प्रयोग का खाका तैयार कर लिया गया है। रिकॉर्ड बता रहा है कि मिड डे मील में प्रत्येक बच्चे पर औसतन पांच रुपये प्रतिदिन खर्च किए जा रहे हैं पर अब एकाएक गुणात्मकता, शुद्धता व जायका उपलब्ध करवाने का ऐसा जुनून चढ़ा कि सरकार ने भोजन तैयार करने वालों को पंचतारा ट्रेनिंग देने की घोषणा कर दी। नामी होटलों के शेफ मिड डे मील कुकों को प्रशिक्षण देंगे, कैटरिंग इंस्टीट्यूटों की भी सहायता ली जाएगी। राज्य में लगभग 20 लाख बच्चों को दोपहर भोजन योजना के दायरे में लाया जा चुका लेकिन कुछ माह पूर्व तक कुक ही नियुक्त नहीं किए गए थे। अब सरकार ने एक और तुगलकी फरमान जारी किया है कि खुले में पड़ा अनाज दोपहर भोजन योजना के लिए नहीं भेजा जाएगा। जरा यह बताया जाए कि कितने सरकारी स्कूलों में अनाज सुरक्षित रखने के लिए भंडारण की व्यवस्था है? मुश्किल से दस फीसद विद्यालयों में ही भंडारण संभव है, बाकी में अनाज खुले में या किसी शेड अथवा अस्थायी कमरे में अस्वास्थ्यकर परिस्थितियों में रखा जाता है। सरकारी एजेंसियों का खुले में रखा अनाज तो नहीं भेजा जाएगा पर यह भी तो बताया जाए कि चौकीदार व चहारदीवारी के बिना चल रहे सरकारी प्राइमरी स्कूलों में खुले में रखे गए अनाज का इस्तेमाल किया जाना चाहिए या नहीं? हाल में एक सरकारी स्कूल में परोसे गए भोजन में मरे हुए चूहे निकले, एक अन्य में कॉकरोच। गुणवत्ता रहित या कीड़े-कंकड़युक्त अनाज की आपूर्ति के समाचार अक्सर मिल रहे हैं, निर्धारित मीनू के अनुसार किसी दिन भोजन नहीं बनता, भोजन के नाम पर अधिकतर समय दलिया या खिचड़ी परोसी जा रही है, हलवा या खीर का स्वाद चखने को बच्चे तरस जाते हैं। हालात तो ये हैं लेकिन दूसरी तरफ मिड डे मील को पंचतारा रूप देने के दिवास्वप्न दिखाए जा रहे हैं। सरकार की नीति व नीयत पर कोई संदेह नहीं पर उसे चाहिए कि पहले योजना का आधार मजबूत करे, अनाज आपूर्ति, ईंधन व भंडारण की समुचित व्यवस्था हो ताकि बच्चों व अभिभावकों का विश्वास जागे, इसके बाद ही प्रयोग किए जाएं।       dj

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.